आर.एस.एस. के पूर्व प्रचारक की मनोव्यथा : Yogesh Mishra

मेरी यह वार्ता मेरे एक पुराने संघ के पूर्णकालिक स्वयं सेवक से अचानक हुयी वार्ता का अंश है ! जो मुझे बनारस यात्रा के दौरान एक नौका यात्रा में मिल गये ! वह उस समय बहुत दुखी और व्यथित थे ! उनकी व्यथा उन्हीं के शब्दों में !

नचिकेता की तरह मैंने चिन्तन किया कि बचपन से लेकर आज तक चाहे पढ़ाई रहा हो, खेल रहा हो, धार्मिक क्रिया-कलाप रहा हो, विज्ञान के छात्र होते हुये भी कर्मकाण्ड पर पकड़ की बात रही हो, व्यासपीठ से श्रीराम कथा प्रवक्ता की रही हो, कुश्ती लड़ना, संगीत में तबला आदि बहुमुखी प्रतिभा के होते हुये भी राष्ट्रभक्ति ऐसी कि 5-5किमी॰भोर में दौड़कर जाना, नौकरी छोड़कर प्रचारक बनना, फिर गृहस्थ होते हुये भी धन का मोह न करके संघ-प्रकल्पों के लिये दूर जंगल के गावों में जाकर गरीब परिवार के बच्चों के पढ़ाई आदि की व्यवस्था, प्रकल्पों की व्यवस्था, मुसलमानों के बीच में जाकर मन्दिर पर पुजारी बनकर अपने धर्म के लिये लड़ना, गुजरात में मन्दिर तुटने की सूचना पर रातों-रात संगठन को सक्रिय करके मन्दिर की रक्षा करना आदि कार्य मैंने राष्ट्रीय स्वयं सेवक बन कर बिना किसी आशा अपेक्षा के किये हैं ! जिससे मेरा दाम्पत्य जीवन ही नष्ट नहीं हुआ बल्कि परिवार में भी जीवन भर उपेक्षा सहनी पड़ी ! यह सब बस सिर्फ राष्ट्र के लिये !

परन्तु आज जब अपनी सरकार सत्ता में आयी तो काशी के अति प्राचीन मन्दिरों का टूटना, आरक्षण को और प्रभावी करना, नकली शंकराचार्य बनाकर असली के समकक्ष खड़ा कर देना ! सनातन मान बिन्दुओं की उपेक्षा करना मात्र वोट की राजनीति के लिये ! पूर्व के सरकारों की तरह अल्पसंख्यक तुष्टीकरण !

पाकिस्तान, अमेरिका व चीन के आगे घुटने टेक देना ! आर्थिक सुधार के नाम पर नोट बन्दी पर भ्रष्टाचार के नाम पर चुप्पी साध लेना ! समाज विरोधी हरिजन एक्ट को बढ़ावा, समलैंगिकता और परदाम्पत्य गमन को मौन स्वीकृति ! रोहिंग्ये और बंगलादेशी घुसबैठियों का पोषण आदि ऐसी तमाम विसंगतियों को देख कर मुझे लगा कि सदैव हमने जिस राष्ट्र-रक्षा और धर्म-रक्षा के लिये कार्य किया ! वह वास्तविकता से परे मात्र सत्ता प्राप्त करने का माध्यम था !

और अब सत्ता मिल गयी है तो पुरानीं सरकारों की तरह जिन्हें कभी हम कोसते थे उन्हीं की शैली पर वर्तमान समय पर भोग की इच्छा ही हमारे अग्रजों की स्पष्ट मनसा है ! तो त्याग का ड्रामा क्यों और हमने आज तक दूसरें का विरोध राष्ट्र और धर्म की रक्षा के लिये क्यों किया था !

शायद यह मेरी भूल थी कि मैं आर.एस.एस की घ्रणित नीति को समझ नहीं पाया और उनके लिये आंख बंद करके पूरी निष्ठा से आज तक कार्य करता रहा ! मेरे प्रत्येक कार्य संगठन विशेष के लिये तो थे पर शायद राष्ट्र के लिये नहीं थे ! जो आज सत्ता प्राप्ति के बाद मेरे प्राश्चित का कारण है !

अब उन्होंने यह निश्चय किया है कि राष्ट्र के सर्वांगीण उन्नति के लिये जितनी श्रद्धा एवं लगन से उन्होंने संघ का कार्य किया था ! उससे भी अधिक श्रद्धा एवं लगन से सनातन धर्म एवं संस्कृति की रक्षा के लिये वह हमारे साथ सनातन ज्ञान पीठ में उसी ईमानदारी से कार्य करना चाहते हैं ! जिससे भारत पुनः समृद्धशाली एवं विश्वगुरू बन सके !

उन्होंने युवा शक्ति से भी आग्रह है कि वह भी सत् राष्ट्र-रक्षा एवं धर्म-रक्षा में सक्रिय भूमिका निभाने के लिये आगे आयें और सनातन ज्ञान पीठ के संस्थापन श्री योगेश कुमार मिश्र से जुड़ कर राष्ट्र के लिये कार्य करें !

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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-090 444 14408
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