क्या आपको मालूम है कि जिस दिन जम्मू कश्मीर से 4 लाख से अधिक हिन्दुओं को भगाया गया था ! वह तारीख थी 19 जनवरी 1990 ! उस दिन केंद्र में विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रधानमंत्री थे ! जनता दल गठबंधन की सरकार थी ! बी.जे.पी. के समर्थन से सरकार बनी हुई थी और चल भी रही थी !
इसी दौरान प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने बी.जे.पी. के मौन समर्थन से मण्डल कमीशन की संस्तुति लागू कर दी थी ! जिसके विरोध में सैकड़ों सवर्ण बच्चों ने अपने अन्धकारमय भविष्य को देखते हुये अपने शरीर पर पेट्रोल छिड़क कर सार्वजनिक रूप से आत्म दाह कर लिया था ! तब भी हिन्दुत्व का झन्डा लेकर चलने वाली बी.जे.पी. ने उन मरने वाले बच्चों के समर्थन में कोई भी सकारात्मक कदम नहीं उठाया !
इसी तरह 1998 और 2003 में भी कश्मीर में काफी हिंसक झड़प हुई थी ! जिसमें बचे हुये हिन्दू परिवारों को भी कश्मीर छोड़कर भागना पड़ा ! जो सिलसिला पांच वर्षों तक चलता रहा ! इस समय भी भा.ज.पा. केंद्र की सत्ता में काबिज थी ! लेकिन उसने इसे रोकने के लिये कुछ नही किया बल्कि हिन्दुओं को हिंदुत्व के नाम पर गुमराह करके अपनी राजनीतिक रोटी सेकती रही !
19 जनवरी 1990 के समय अलगाववादी नेता मुफ़्ती मुहम्मद सईद देश के गृहमंत्री थे जिनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती हैं ! उस समय जम्मू कश्मीर के राज्यपाल बी.जे.पी. नेता जगमोहन थे ! उस समय वहां राज्यपाल शासन था जो कि केंद्र सरकार के अधीन होता है !
अब जरा आप गौर कीजिये कि जम्मू कश्मीर से हिन्दुओं को भगाये जाने का आरोप अंध भक्त किस पर आरोप लगते हैं कांग्रेस पर ! लेकिन सरकार किसकी थी ? राज्यपाल किसका था ? एक्शन किसको लेना था ? हिन्दुओं को सुरक्षा देना किस सरकार की जिम्मेदारी थी ? हमेशा से यह पार्टी कांग्रेस के पीछे छुपकर अपने नक्कारेपन को छुपाती रही है ! यही पार्टी जो कल कर रही थी वही आज भी कर रही है ! कोई बदलाव नही आया इतने सालों बाद भी, आज भी सत्ता में होने के वावजूद अपने नकामी के लिये हमेशा कांग्रेस के तरफ उंगली दिखाती रहती है और मुर्ख अंध भक्त ताली बजाते रहते हैं !
अब और देख लीजिये ! असम के बी.जे.पी. शिक्षा मंत्री का एक और बयान आया है कि उन्होंने सरकारी सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों को बंद कर उन्हें सामान्य सेकंडरी स्कूल में बदलने की बात कही है ! उनकी इस हिन्दुत्व विरोधी टिप्पणी को अंध भक्त धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के नाम पर असम में बड़े रणनीतिक कदम के रूप में देख रहे हैं ! जाहिर है अब बी.जे.पी. को असम में “संस्कृत भाषा” वोट नहीं दिलवा सकती है ! क्योंकि असम में मदरसा प्रणाली मुस्लिमों के लिहाज से बड़ी जगह है ! इसलिये बंग्लादेशी और रोहिंग्ये मुसलमानों के वोट के लिये संस्कृत विद्यालय बंद करना आवश्यक है ! अत: बी.जे.पी. के बिना किसी भय और संकोच के यह कदम उठा लिया है !
यह दुर्भाग्य है कि बी.जे.पी. 2019 के चुनावों के बाद भी अब तक वह अपने स्पष्ट दृष्टिकोण के लिये राजनीति की कोई सकारात्मक भाषा नहीं खोज पाई है ! अब बी.जे.पी. और आर.एस.एस. की भी भारत को औपचारिक रूप से एक हिंदू राष्ट्र घोषित करने में कोई दिलचस्पी नहीं है ! बी.जे.पी. के दूसरे बड़े बड़े नेता अब अपने निजी राजनैतिक लाभ के लिये अम्बेडकर को भगवान और भारत के संविधान को राष्ट्रीयता की एक पवित्र पुस्तक के रूप में बता रहे हैं !
अब बी.जे.पी. और आर.एस.एस. देख रही है कि गिरते जन आधार को बचाने के लिये कांग्रेस विरोध, एंटी पाकिस्तान, एंटी मुस्लिम और सांप्रदायिक टिप्पणियां प्रभावशाली नहीं रह गयी हैं ! हाँ कुछ अंध भक्त आज भी यह झुनझुना बजा रहे हैं ! लेकिन बी.जे.पी. और आर.एस.एस. की अब इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है ! बल्कि दूसरे शब्दों में कहा जाये तो अब हिंदुत्व की जगह बी.जे.पी. मुस्लिम और इसाई विचार मंच में अपना भविष्य तलाश रही है ! जिसे अंध भक्तों के अलावा सभी स्वीकार कर रहे हैं ! ऐसे ही हजारों उदहारण हैं !
इसका मतलब अब हिन्दुओं को अपना भविष्य खुद देखना है ! उनकी रक्षा कोई भी करने वाला नहीं है !