Tag rajiv dixit

लोगो के दिमाग में लगे बौद्धिक ताले राष्ट्र को ही नष्ट कर देंगे : Yogesh Mishra

राजनीतिक सिद्धान्त को कभी-कभी राजनीतिक चिंतन के पर्याय के रूप में देखा जाता है ! लेकिन यह समझ लेना जरूरी है कि उनका अर्थ आवश्यक रूप से एक ही नहीं होता है ! राजनीतिक चिंतन एक सामान्यीकृत मुहावरा है !…

अब देव भूमि उतराखंड में होगी भांग की खेती : Yogesh Mishra

सितंबर 2019 से देहरादून ओ.एन.जी.सी. सभागार से हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने अन्य मुख्य जजों के साथ मिलकर ‘संकल्प नशामुक्त देवभूमि’ नाम से अभियान शुरू किया ! नशे के खिलाफ चीफ जस्टिस के इस अभियान का पुलिस विभाग, कई शिक्षण…

आखिर ब्राह्मण कभी हारता क्यों नहीं ?? : Yogesh Mishra

मुसलमानों के आक्रमण से पहले सनातन धर्मी ब्राह्मण और बौद्ध धर्म के बीच तीखा संघर्ष चला था ! इस संघर्ष में बौद्ध धर्म ने सनातन धर्म को पराजित कर दिया था ! क्योंकि जब राजा अशोक ने बुद्ध धम्म को…

क्या भांग ही सोमरस है ? बढ़ा खुलासा : Yogesh Mishra

वेदों में सोमरस यज्ञ के विशेष आकर्षण के बतौर आता है ! इन्द्र को बुलाया जाता है कि आयें और सोमरस पान करें ! ज़ाहिरन सोमरस वैदिक जनों के पास एक ऐसा पदार्थ था, जो उनके लियह सबसे अधिक लुभावना…

जानिए भगवान शिव को भांग क्यों प्रिय थी ? : Yogesh Mishra

विश्व की प्राचीनतम शैव नगरी में आज भी भांग का प्रयोग खुले आम होता है ! महाशिवरात्रि और होली का रंग तभी जमता है जब भांग का भी संग हो ! यकीनन भांग का ज्यादा इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है…

आम जनता की पहुँच के बाहर क्यों हो रहा है, सूचना का अधिकार : Yogesh Mishra

सूचना का अधिकार कानून संभवत: आम जनता द्वारा सबसे ज्यादा बार प्रयोग किया जाने वाले कानूनों में से एक है ! अगर यहां से भी 45 दिनों के भीतर जवाब नहीं मिलता है तो आवेदक केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य…

महर्षि दयानन्द के गृहस्थों को पशु तुल्य निर्देश : ( आर्य समाजी हलाला ) Yogesh Mishra

महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थ प्रकाश समुल्लास.-4 के पृष्ठ- 96,97 पर लिखा है कि वेदाध्ययन के समाप्त होने पर ही व्यक्ति को गृहस्थ में प्रवेश करना चाहिये ! सोलह से चौबीस वर्ष तक कन्या और पच्चीस से अड़तालीस वर्ष तक पुरुष…

दयानन्द की मृत्यु ठण्ड लगने और इंफेक्शन अर्थात संक्रमण से हुई थी ! Yogesh Mishra

सन् 1897 में श्री देवेन्द्र नाथ मुखोपाध्याय ने एक पुस्तक लिखी जिसका नाम ‘‘दयानन्द चरित’’ था ! यह पुस्तक बंगला भाषा में लिखा था ! इसका अनुवाद सन् 2000 में 103 वर्ष पश्चात् बाबू घासी राम एम.ए., एल.एल.बी. ने हिन्दी…

शैवों का साहित्य निर्माण कभी रुका नहीं : Yogesh Mishra

कहा जाता है कि शैव उपासक रावण पर भगवान राम के विजय के बाद वैष्णवों के धर्म अनुयायियों में एक से एक वैष्णव उपासना पद्धति और वैष्णव साहित्यों का निर्माण किया है जबकि वैष्णव राज सत्ता का समर्थन न मिलने…

शैव तन्त्र बदनाम कैसे हुआ ? : Yogesh Mishra

जिसे आम लोग तंत्र के नाम से जानते हैं वह है जादू-टोना, जिसका कोई दार्शनिक और वैज्ञानिक आधार नहीं है और जिसकी बुनियाद में सदियों से चले आते अंधविश्वास हैं ! जबकि तंत्र वास्तव में अंधविश्वास को तोड़ता है !…