जानिए यज्ञ कैसे कार्य करता है ?

वनौषधियों के पंचांग को कूटकर खाने में उसे बडी़ मात्रा में निगलना कठिन पड़ता हैं ! यही स्थिति ताजी स्थिति में कल्क बनाकर पीने में उत्पन्न होती है ! इससे तो गोली या वाटिका बना कर सेवन करने में मनुष्य…
वनौषधियों के पंचांग को कूटकर खाने में उसे बडी़ मात्रा में निगलना कठिन पड़ता हैं ! यही स्थिति ताजी स्थिति में कल्क बनाकर पीने में उत्पन्न होती है ! इससे तो गोली या वाटिका बना कर सेवन करने में मनुष्य…
यज्ञ अपना आदर्श, अपनी क्रिया से स्वयं ही प्रकट करता रहता है ! बस आवश्यकता उसे समझने की है ! (1) अग्नि का स्वभाव है कि सदा उष्णता और प्रकाश धारण किये रहती है हम भी उत्साह, श्रमशीलता, स्फूर्ति, आशा…
यज्ञ अथवा अग्निहोत्र आज केवल धार्मिक कर्मकांड तक ही सीमित नहीं रह गया है ! यह शोध का विषय भी बन गया है ! ‘अमेरिका’ में यज्ञ पर शोध हुए हैं और प्रायोगिक परीक्षणों से पाया गया है कि वृष्टि,…
ब्राह्मण अर्थात लिप्सा से जूझ सकने योग्य मनोबल का धनी ! प्रलोभनों और दबावों का सामना करने में समर्थ ! औसत भारतीय स्तर के निर्वाह में काम चलाने से संतुष्ट ! इन परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के लिए आरम्भिक जीवन…
कृषि को अच्छी प्रकार करने के वेदों ने अनेक उपाय बतायें हैं वा मनुष्यों का मार्गदर्शन किया है ! वेद के अनुसार कृषि कार्य में यज्ञ का उपयोग करना चाहिये ! यजुर्वेद 18/9 में कहा है ‘कृषिश्च मे यज्ञेन कल्पन्ताम्’…
ब्राह्मणों को गाली देना, कोसना, उन्हें कर्मकांडी, पाखंडी, लालची, भ्रष्ट, ढोंगी जैसे विशेषणों के द्वारा अपमानित करना आजकल ट्रेंड में है ! इसके लिये इसाई व मुसलिम देशों से बहुत पैसा भी आ रहा है ! कुछ लोग विदेशी इशारे…
यदि अपने आप को बचाना है और अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखना है, तो समाज में तीन तीन चीजों का महत्व सदैव बना रहेगा ! सबसे पहला “संवाद”, संवाद से सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक ज्ञान…
सनातन ज्ञान पीठ के संस्थापक श्री योगेश कुमार मिश्रा ने आज अपने व्याख्यान में बतलाया कि सनातन जैविक भोजन और सब्जियों के ही सर्वश्रेष्ठ क्यों हैं ! इसके निम्नलिखित कारण बतलाये ! जिसकी वजह से लोग इन्हें पसंद करते हैं…
सनातन ज्ञान पीठ के संस्थापक श्री योगेश कुमार मिश्रा ने समाज में सनातन जैविक परिवार की कल्पना की है ! इस हेतु सनातन ज्ञानपीठ समय-समय पर अलग-अलग स्थानों पर प्राचीन सनातन जैविक पद्धति से कैसे स्वस्थ जीवन का निर्वाह किया…
ज्यों-ज्यों घोर कलयुग आता जाएगा त्यों-त्यों देश के ब्राह्मण संस्कारशून्य होकर प्रभावहीन हो जाएंगे तथा राजा निरंकुश होकर शूद्रतुल्य हो जाएंगे !”….’अपनी तुच्छ बुद्धि को ही शाश्वत समझकर कुछ मूर्ख अपने तरीके से शासन चलायेंगे ! ईश्वर की तथा धर्मग्रंथों…