आत्मरक्षा के लिये संवाद, संस्कार और संस्कृति के महत्व को जानिये !!

यदि अपने आप को बचाना है और अपनी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित रखना है, तो समाज में तीन तीन चीजों का महत्व सदैव बना रहेगा ! सबसे पहला “संवाद”, संवाद से सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ सामाजिक ज्ञान का भी विकास होता है ! जिस समाज में संवादहीनता का वातावरण पैदा हो जाता है, वह समाज एक मरे हुये उस व्यक्ति की तरह होता है जो धीरे-धीरे सड़-गल कर नष्ट होने लगता है ! संवाद ही समाज की आत्मा है ! जिस समाज में संवाद हीनता हो जाती है वह समाज कभी भी संगठित और व्यवस्थित नहीं रह सकता है !

ठीक इसी तरह हमारे ऋषियों ने समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए “संस्कारों” पर अत्यधिक बल दिया है ! व्यक्ति का मूल स्वभाव पतन का है ! जो व्यक्ति संस्कार विहीन निरंकुश जीवन जीता है ! वह निश्चित रूप से निरंतर पतन को प्राप्त होता है और व्यक्ति को पतन से बचाने के लिये एकमात्र तरीका है कि व्यक्ति में संस्कारों का विकास किया जाये !

एक संस्कारवान व्यक्ति सदैव विवेकशील होकर अच्छे और बुरे निर्णयों के बीच अंतर कर सकता है ! परिणामत: वह सही निर्णय के माध्यम से निरंतर प्रगति को प्राप्त कर सकता है ! यदि किसी व्यक्ति को अपने जीवन में प्रगति करनी है तो उसे अपने अच्छे संस्कारों पर अत्यधिक बल देना चाहिये !

तीसरा विषय संस्कृति है ! यह कोई एक दिन में पैदा होने वाला विषय नहीं है और न ही इसे कहीं से आयात किया जा सकता है ! इसकी जानकारी के लिये इसे किसी भी शिक्षा के पाठ्यक्रम में पढ़ाया जा सकता है ! संस्कृति किसी भी सामाजिक व्यवस्था का क्रमबद्ध निरंतर विकास है ! जिस समाज को अपने संस्कृत की जानकारी नहीं है ! वह समाज धीरे-धीरे विनाश को प्राप्त होने लगता है !

हमारे पूर्वजों में व्यक्ति का व्यक्ति के साथ व्यवहार कैसा था ! व्यक्ति का परिवार के साथ व्यवहार कैसा था ! व्यक्ति का समाज के साथ व्यवहार कैसा था ! व्यक्ति का राष्ट्र के प्रति क्या कर्तव्य थे ! इन सारी सूचनाओं को हमारी संस्कृति ही हमसे जोड़े रखती है ! अत: व्यक्ति को अपनी सनातन संस्कृति की जानकारी अवश्य होनी चाहिये !

आज हमारे समाज में संवादहीनता व संस्कार और संस्कृति का पतन हो रहा है ! इसीलिये समाज और व्यक्ति उसी तेजी से नष्ट हो रहे हैं ! यदि हमें अपने आप को बचाना है तो हमें निरंतर आपस में संवाद बनाये रखना पड़ेगा ! व्यक्ति के संस्कारों पर बल देना पड़ेगा और सनातन संस्कृत को निरंतर अपने ध्यान में रखना पड़ेगा ! यही एक मात्र रास्ता है, अपने अस्तित्व को बचाए रखने का !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

प्रकृति सभी समस्याओं का समाधान है : Yogesh Mishra

यदि प्रकृति को परिभाषित करना हो तो एक लाइन में कहा जा सकता है कि …