जानिये ! “सहज सन्यास” की दीक्षा क्या है ?

संन्यास का तात्पर्य पलायन नहीं है | सहज सन्यासी एक स्वतंत्र रूप से विकसित मनुष्य है जो किसी भी सामाजिक या धार्मिक बंधनों में बंध कर अपने व्यक्तित्व का विनाश नहीं करता है | आज हमारे समाज में “धर्म और…
संन्यास का तात्पर्य पलायन नहीं है | सहज सन्यासी एक स्वतंत्र रूप से विकसित मनुष्य है जो किसी भी सामाजिक या धार्मिक बंधनों में बंध कर अपने व्यक्तित्व का विनाश नहीं करता है | आज हमारे समाज में “धर्म और…
व्यक्ति कर्म से पूजनीय है जन्म से नहीं: वर्ण व्यवस्था हिन्दू धर्म में प्राचीन काल से चले आ रहे सामाजिक गठन का अंग है, जिसमें विभिन्न समुदायों के लोगों के आध्यात्मिक विवेक के आधार पर काम निर्धारित होता था। प्रायः इन…
रुद्राभिषेक : रूद्र अर्थात भूत भावन शिव का अभिषेक शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव को ही रुद्र कहा जाता है क्योंकि- रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों…
मित्रो यदि आप में थोड़ा सा भी धैर्य हो और सत्य को जानने की वास्तव मे जिज्ञासा हो तभी आप इस लेख को पढ़ें अन्यथा नहीं । क्योंकि ऐसी बाते अगर विस्तार से ही बात जाएँ तो ही उचित होता…
वाल्मीकि रामायण, रामचरित मानस, कबंध रामायण व अन्य इतर मुद्रित रामायणों के अतिरिक्त भी हमारे पुराणों में श्रीराम की गाथा का वर्णन किया गया है। शास्त्रों के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और विजय नामक मुहूर्त में…
मित्रो लालकिला शाहजहाँ के जन्म से सैकड़ों साल पहले “महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीय” द्वारा दिल्ली को बसाने के क्रम में ही बनाया गया था जो कि महाभारत के अभिमन्यु के वंशज तथा महाराज पृथ्वीराज चौहान के नाना जी थे |…
जगद्गुरु रामभद्राचार्य कहते हैं कि वर्तमान में प्रकाशित तुलसीकृत रामचरितमानस अशुद्धियों का पुलिंदा है। यहां तक कि मंगलाचरण भी गलत लिखा गया है। जो रामचरितमानस अब तक पढ़ी जा रही थी, उसे तुलसीदास द्वारा लिखी गयी मूल रामचरितमानस नहीं माना…
समाज में प्रचलित धारणा अनुसार शिवलिंग की पूजा सिर्फ पुरुष के द्वारा संपन्न होनी चाहिए न कि नारी के द्वारा। साथ ही विशेष रूप से यह भी मत है कि अविवाहित स्त्री को शिवलिंग पूजा से पूरी तरह से वर्जित…
. मानव शरीर पाँच तत्वों से बना है जिन सभी तत्वों की प्रकृति नाशवान है। वेदों में स्पष्ट लिखा है कि मनुष्य शरीर तथा ब्रहमाण्ड का सृजन एक समान हुआ है और सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड प्रत्येक मनुष्य शरीर के अंदर समान…
कुछ लोग शिवलिंग की पूजा की आलोचना करते है.. छोटे छोटे बच्चो को बताते है कि हिन्दू लोग लिंग और योनी की पूजा करते है..मूर्खों को संस्कृत का ज्ञान नहीं होता है..और छोटे छोटे बच्चो को हिन्दुओ के प्रति नफ़रत…