विज्ञान के प्रगति के साथ-साथ व्यक्ति के सोचने, समझने, विचार करने के तरीके में भी बहुत तेजी से परिवर्तन आया है ! आज व्यक्ति तथाकथित धर्म के मूल सिद्धांतों का विश्लेषण आज के विज्ञान के चश्मे से करना चाहता है ! धर्म का जो अंश तर्क संगत और स्वीकार्य नहीं …
Read More »भारतीय युवा सफल कैसे होंगे : Yogesh Mishra
आज पूरी दुनिया बदल रही है और इस बदलती दुनिया के साथ विश्व के सभी देशों के समाज भी बदल रहे हैं ! किन्तु भारत अपनी मान्यताओं और परंपराओं के कारण आज के प्रगतिशील विश्व से 200 वर्ष पीछे चल रहा है ! भारत के पास बहुत बड़ी युवा पूंजी …
Read More »महापुरुष जंगल क्यों चले जाते हैं : Yogesh Mishra
84 लाख योनियों में अपने चेतना के प्रति मनुष्य ही सबसे संवेदनशील जीव है ! अतः ईश्वर द्वारा मनुष्य को यह वरदान प्राप्त है कि वह निरंतर अपने चेतना के विकास करने के लिये चेतना की ऊर्जा के प्रति संवेदनशील रह सके ! गौतम बुद्ध, महावीर जैन, भगवान राम, वशिष्ठ, …
Read More »नृत्य चिकित्सा का विज्ञान : Yogesh Mishra
नृत्य मानव सभ्यता के साथ विकसित हुई अनादि चिकित्सा पद्धति का एक स्वाभाविक स्वरूप है ! अति प्राचीन काल में जब नृत्य विज्ञान विकसित नहीं था ! उस समय भी शैव जीवन शैली के लोग अपनी नकारात्मक ऊर्जा को निकालने के लिये बिना किसी सुर ताल के नृत्य किया करते …
Read More »मनुष्य को नये जीवन दर्शन की आवश्यकता क्यों है : Yogesh Mishra
मानवता सतत विकासशील रही है ! इसी वजह से मनुष्य अन्य जीव-जंतुओं के मुकाबले क्रमशः आधुनिक और विकसित होता चला गया ! जब किसी प्रजाति में निरंतर विकास होगा, तो स्वाभाविक है कि उस प्रजाति की जीवनशैली भी निरंतर परिवर्तित होती रहेगी ! जीवन शैली के परिवर्तन के साथ ही …
Read More »ईसाईयों का छद्म धर्मांतरण वैष्णव की देन है : Yogesh Mishra
आजकल विशेष रुप से आये दिन यह सूचना प्राप्त होती है कि ईसाई समाज लोगों को मूर्ख बना कर धर्मांतरण करवा रहा है ! कई उदाहरण तो ऐसे भी मिलते हैं कि जिस क्षेत्र में व्यक्तियों की शारीरिक बनावट जिस तरह की है, वहां पर ईसाई समाज ईसा मसीह की …
Read More »हरम में लड़कियाँ स्वेच्छा से भी रहती थीं : Yogesh Mishra
सदैव से राजाओं के पास मनोरंजन और भोग के लिये तीन तरह की स्त्रियाँ होती थी ! एक रानियों, दूसरी रखैलों और तीसरी दासियों ! जिनके लिए महल के अंदर ही एक अलग दुनिया बसा दी जाती थी ! भारतीय भाषा में इसे रनिवास कहा जाता था और अरबी भाषा …
Read More »अपने आनंद को कहां ढूंढ़े : Yogesh Mishra
व्यक्ति सुख, संतुष्टि और आनंद के लिए पूरे जीवन इधर-उधर भटकता रहता है ! कोई धन कमाने में आनंद ढूंढता है, तो कोई शारीरिक वासना की पूर्ति में ! कोई व्यक्ति यश में आनंद ढूंढता है तो कोई भक्ति में ! जबकि आनंद किसी को कभी कहीं नहीं मिलता है …
Read More »शिव सहस्त्रार ज्ञान के अतिरिक्त सृष्टि के सभी धर्म ग्रन्थ अधूरे हैं : Yogesh Mishra
शैव जीवन शैली में भगवान शिव ने रावण की योग्यता, क्षमता, प्रतिभा और पात्रता को देखते हुये, जो संपूर्ण सृष्टि का ज्ञान रावण को शिव सहस्त्रार ज्ञान के रूप में दिया था ! वह जीव कल्याण के लिये एकमात्र अपने आप में संपूर्ण ज्ञान है ! इसके अतिरिक्त सृष्टि में …
Read More »शिव सहस्त्रार ग्रन्थ का महत्व : Yogesh Mishra
शिव सहस्त्रार एक तमिल भाषा में श्रुति और स्मृति के आधार पर संग्रहित किया गया ऐसा ग्रंथ है, जो राम रावण युद्ध के बाद विलुप्त हो गया ! लेकिन इसका बहुत बड़ा अंश तमिल लोकगीतों में बहुत समय तक चर्चा में रहा ! जन श्रुतियों के अनुसार इस संपूर्ण ग्रंथ …
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