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जानिए मन्त्र भाग्य को कैसे बदलता है !!

प्राचीन भारतीय तत्वज्ञ, मनीषी, ऋषि, मुनियों ने अपने गंभीर अन्वेषणों परीक्षणों—निरीक्षण एवं विश्लेषणों से प्रत्येक तत्व में निहित अनेकानेक चमत्कार पूर्ण, सत्य—तथ्य शक्तियों का परिज्ञान, उपलब्धि तथा उपयोग को हस्तगत किया था ! अति प्राचीन काल में दृढ़ संकल्प शक्ति,…

जानिए हम अपना भाग्य स्वयं कैसे नष्ट करते हैं?

हम आज भाग्य की विशिष्ट शक्ति के दुरूपयोग पर चिंतन करते हैं जिसके कारण लगभग सभी साधक और साधारण मनुष्य न केवल अपनी हानि करते हैं बल्कि अपना स्वयं का भाग्य भी नष्ट करते हैं ! विषय गंभीर है पर…

मंत्रों के उच्चारण में स्थूल ध्वनि तरंगों का महत्व !!

मंत्रों के उच्चारण में स्थूल ध्वनि तरंगों का महत्व मंत्र शब्दों का एक खास क्रम है जो उच्चारित होने पर एक खास किस्म का स्पंदन पैदा करते हैं, जो हमें हमारे द्वारा उन स्पंदनों को ग्रहण करने की विशिष्ट क्षमता…

जानिए मन्त्र शक्ति से भाग्य परिवर्तित कैसे करें !

भाग्य बदलना एक बहुत बड़ी बात है, जो सामान्य लोगों के लिए संभव नहीं ,यह स्थिति गंभीर साधना के बाद आती है अथवा किसी पारलौकिक शक्ति के हस्तक्षेप के बाद ही उत्पन्न होती है ,किन्तु भाग्य में परिवर्तन लाना इससे…

जानिए वैष्णव का क्रमिक विकास और पतन !

सतयुग काल में समस्त पृथ्वी पर शैव विचारधारा ही विकसित रूप में थी ! इसी का प्रभाव था कि महर्षि भृगु जैसे ऋषि भी भगवान विष्णु के सीने पर लात मारने का समर्थ रखते थे ! इसी समय अनेकों देव(…

वैष्णव की छल नीति को अपनाया है, ईसाई धर्मांतरणकारियों ने !!

ब्रह्म ज्ञान को पूरी तरह हड़प लेने के बाद वैष्णव ने इस ब्रह्म ज्ञान के सहारे समस्त पृथ्वी पर अपना प्रभाव जमाने की शुरुआत की ! उन्होंने इसके लिये तीन अलग-अलग चरणों में कार्य आरंभ किया ! पहले चरण लोगों…

जानिए पाशुपत शैव साधारण शैवों में क्या अंतर था !

पाशुपत शैव साधारण शैवों से भिन्न थे ! प्राचीन काल में मूल शैव सम्प्रदाय पाशुपत सम्प्रदाय कहलाता था ! वे शिव को ही कर्ता- धर्ता समझते थे ! इस मत के मानने वाले शिव को पति मानते थे और जीव…

वैष्णव देवी स्थल पर लाल चुनरी क्यों चढ़ती है ?

लाल रंग सुहागिनों का रंग है ! देवी पुराण के अनुसार जितनी भी वैष्णव देवी हैं उन्हें लाल बहुत पसंद है और वैष्णव देवताओं को पीले रंग के वस्त्र बहुत पसंद हैं ! अत: मां को प्रसन्न करने के लिये…

जानिए शैव और वैष्णव सम्प्रदाय की उत्पत्ति कैसे हुई !

वैदिककाल में देव और असुरों के झगड़े के चलते धरती के अधिकतर मानव समूह दो भागों में बंट गए ! हजारों वर्षों तक इनके झगड़े के चलते ही पहले सुर और असुर नाम की दो धाराओं का धर्म प्रकट हुआ,…

शैव सम्प्रदाय का वास्तविक इतिहास जानियें ! Yogesh Mishra

गोवर्धन पीठाधीश्वर पुरी शंकराचार्य महाभाग निश्चलानंद सरस्वती जी कहते हैं वैष्णव , शैव, शाक्त ,गाणपत्य और सौर ये पांच तरह के सनातनी हैं जो कि क्रमशः विष्णु , शिव , शक्ति, गणपति और सूर्य के उपासक होते हैं ये अपने…