जानिये ! “सहज सन्यास” की दीक्षा क्या है ?

संन्यास का तात्पर्य पलायन नहीं है | सहज सन्यासी एक स्वतंत्र रूप से विकसित मनुष्य है जो किसी भी सामाजिक या धार्मिक बंधनों में बंध कर अपने व्यक्तित्व का विनाश नहीं करता है | आज हमारे समाज में “धर्म और…
संन्यास का तात्पर्य पलायन नहीं है | सहज सन्यासी एक स्वतंत्र रूप से विकसित मनुष्य है जो किसी भी सामाजिक या धार्मिक बंधनों में बंध कर अपने व्यक्तित्व का विनाश नहीं करता है | आज हमारे समाज में “धर्म और…
भारतीय ज्योतिष ग्रंथों में रत्न धारण करने के सिध्दांतों का वर्णन कहीं नहीं मिलता है फिर भी दुनिया भर में लोगों के द्वारा रत्न धारण करने का प्रचलन बहुत पुराना है तथा प्राचीन समयों से ही दुनिया के विभिन्न हिस्सों…
यदि आपके घर में रहने वाले सदस्यों में हमेशा अनबन रहती है, कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता है। सारा पैसा बीमारी में चला जाता है या घर में पैसों की बरकत नही होती है और आपके घर में शांति नही…
मित्रों ऋषि वेदव्यास द्वारा लिखित महाभारत ग्रंथ के कुछ अध्याय ऐसे भी हैं ,जिन पर कभी भी अधिक चर्चा नहीं हो पाई,इनके अनुसार जब महाभारत युद्ध का समापन हो गया था | युद्ध अतिविनाशकारी सिद्ध हुआ था, विजेता भी…
ज्वालामुखी योग का फल अशुभ माना गया है। इस योग में आरंभ किया हुआ कार्य पूर्णतया सिद्ध नहीं हो पाता अथवा बार-बार विघ्न बाधाएं आती है। इस योग में शुभ कार्य आरम्भ नहीं करने चाहिए। दुष्ट शत्रुओं पर प्रयोग करने…
आज कल घरों में बाथरूम और टॉयलेट एक साथ होना एक फैशन बन गया है लेकिन इससे घर में प्रबल वास्तुदोष उत्पन्न होता है। इस दोष के कारण घर में रहने वालों को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना…
दिव्य आध्यात्मिक सिद्धि की प्राप्ति में मन चंचलता के रूप में सबसे बड़ी बाधा उत्पन्न करता है | अधिकांशतः यह होता है कि हमे हमारा मन जहाँ ले जाये वही बह जाते है और उस के अनुरूप व्यवहार करते है…
दो व्यक्तियों के मध्य सकारात्मक ऊर्जा का आदान प्रदान हो यह आवश्यक नहीं. इसका अर्थ यह है कि नकारात्मक ऊर्जा किसी दुसरे व्यक्ति से सात्विक व्यक्ति को बिना किसी चेतावनी के शांत रूप में प्रवेश कभी भी कर सकती है.…
भारत के कुछ गद्दार राजघरानों के अंग्रेजों से मिल जाने के कारण 1857 की क्रांति विफल हो चुकी थी | देश को स्वतंत्र कराने वाले योद्धाओं को अंग्रेजों ने ढूंढ ढूंढ कर नगरों में सार्वजनिक रूप से जिंदा जला दिया…
आध्यात्मिक दिव्य ऊर्जा के क्षय का सबसे प्रमुख कारण मन के सभी छोटे और बड़े नकारात्मक विचार होते हैं | ऐसे विचारो मे अधिकांशतः विचार तुलनात्मक , निषेधात्मक और अपेक्षात्मक होते हैं, जो कि मानव मन को असहज बना देते…