भगवन शिव और चिलम जानिए किया है सच : Yogesh Mishra

शिव पुराण, लिंग पुराण, सहित किसी भी शैव ग्रंथ में ऐसा नहीं लिखा है कि भगवान शिव भांग, गंजा, चरस आदि का सेवन किया करते थे ! किन्तु फिर भी बहुत से लोगों ने भगवान शिव के ऐसे चित्र बना…
शिव पुराण, लिंग पुराण, सहित किसी भी शैव ग्रंथ में ऐसा नहीं लिखा है कि भगवान शिव भांग, गंजा, चरस आदि का सेवन किया करते थे ! किन्तु फिर भी बहुत से लोगों ने भगवान शिव के ऐसे चित्र बना…
अग्नि पुराण के अनुसार तंत्र के षट्कर्म में मारण के द्वारा बिना किसी अस्त्र-शस्त्र के शत्रु को समाप्त किया जा सकता है ! इसके लिए विपरीत प्रत्यंगिरा देवी की आराधना भी की जाती है, किंतु देवियों की आराधना व्यक्ति को…
भक्त भी भगवान द्वारा बनाया गया एक नायाव जीव है ! जो भगवान को भी धोखा देकर मोक्ष की कामना करता है ! उसे अगर भगवान स्वयं भी आकर साक्षात् ज्ञान देना चाहें तो भक्त उस ज्ञान की भी छीछालेदर…
भारत पर लगभग 1200 वर्षों तक आक्रमण करने वाले यूनानी, फ़ारसी, मंगोल, मुग़ल, फ़्रांसिसी, डच, पुर्तगाली, अंग्रेज आदि अनेक लुटेरे ने भारत से लगभग तीन लाख टन सोना लूट कर ले गये ! अब भी भारत के खजाने में लगभग…
हम आये दिन देखते हैं कि सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए पूरी दुनिया में तरह-तरह के षडयंत्र पिछले ढाई हजार वर्षों से किये जा रहे हैं ! विश्व की कई संस्कृतियों को इन षड्यंत्रकार्यों ने ख़त्म कर दिया…
इस पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति ब्रह्म तत्व और ब्रह्म ऊर्जा में व्याप्त तरंगों से हुई है ! यह संसार भी उसी ब्रह्म तत्व और ब्रह्म ऊर्जा का प्रतिबिंब है ! इससे परे इस सृष्टि में कुछ भी नहीं है !…
क्या आप जानते हैं कि प्राचीन काल में धर्म का अर्थ चक्र किस तरह भ्रमण करता था ! आखिर वह क्या वजह थी कि पूरी दुनिया का सोना भारत में इकट्ठा होता था और भारत पूरी दुनिया का पेट भरता…
अदृश्य शिव दृष्य प्रपंच (लिंग) का मूल कारण है ! इसीलिये अव्यक्त पुरुष को शिव तथा अव्यक्त प्रकृति को लिंग कहा जाता है ! वहाँ इस गंध वर्ण तथा शब्द, स्पर्श, रूप आदि से रहित रहते हुए भी शिव ब्रह्माण्ड…
ध्यान लिंग साधना शैवों की अति प्राचीन साधना पद्धति है ! इससे संसार में ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है ! ध्यान लिंग के निर्माण में एक ताँबे के शिव लिंग में ठोस किया हुआ पारा…
हिरण्यवती नदी का प्राचीन संस्कृत नाम उज्जयिनी है ! इसे गण्डकी, इरावती, ‘बुद्धचरित’ के वर्णन के अनुसार यह नदी राप्ती की सहयोगी नदी जान पड़ती है ! किन्तु हिरण्यवती वामनपुराण के वर्णन के अनुसार सरस्वती नदी के समान ही पुण्य…