ध्यान लिंग साधना शैवों की अति प्राचीन साधना पद्धति है ! इससे संसार में ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है !
ध्यान लिंग के निर्माण में एक ताँबे के शिव लिंग में ठोस किया हुआ पारा भरा होता है तथा इस शिव लिंग के चारों ओर साथ चांदी के छल्ले वैज्ञानिक पध्यति से लगाये जाते हैं । यह सात छल्ले शिव लिंग के सात खण्डों में विभाजित करते हैं ! सभी सात खण्ड शरीर के सात चक्र के रूप में प्रतिष्ठित होते हैं । उसमें से सभी सातों चक्र आपके ध्यान करने पर पूरी तीव्रता से आपके प्राण ऊर्जा का उधर्व गति संचालन करते हैं !
यह ध्यान लिंग आपके भौतिक शरीर के विभिन्न चक्र केन्द्रों को जागृत करने में आपके सहायक होते हैं ! यह जीव के जीवन के सात आयामों को सिद्ध करने में जीव के सहायक होते हैं या यह कहिये कि यह जीव के सात चक्रों को सक्रीय करके जीवन के सात आयामों के मौलिक ऊर्जा को सक्रीय कर देते हैं ! जिससे जीवन में अनेक चमत्कार घटित होते हैं !
इस प्रक्रिया बहुत तीव्र होती है ! मात्र साढ़े तीन साल में कई साधक सिद्ध पुरुष बन जाते हैं ! बस आवश्यकता सही प्रक्रिया से साधना करने की है !
रावण के काल में लंका में प्रत्येक निवासी ध्यान लिंग साधना किया करता था ! तब शिव लिंग ताम्बे के नहीं बल्कि ठोस सोने के होते थे !
वह साधना व्यक्ति के सभी एक सौ चौदह चक्रों को सक्रीय करते हैं ! जो जीवनी ऊर्जा को ब्रह्माण्ड में शिव ओरा की ओर ले जाने में सहायक होती है ! हर चक्र के ऊपर जाने पर अलग अलग दक्षता प्रगट होती है ! यह बहुत ही अद्भुत और दुर्लभ साधना विज्ञान है !
जिससे जीव संसार में ब्रह्माण्डीय ऊर्जा से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है !!