वेदों में पृथ्वी को मां क्यों कहा गया है : Yogesh Mishra

वैज्ञानिक विश्लेषण आज जो पृथ्वी पर जीवन है ! वह पृथ्वी के सहयोग से है ! अगर जीवों के साथ पृथ्वी का सहयोग न होता तो शायद अन्य ग्रहों की तरह यह पृथ्वी भी वीरान ग्रह के रूप में होती…
वैज्ञानिक विश्लेषण आज जो पृथ्वी पर जीवन है ! वह पृथ्वी के सहयोग से है ! अगर जीवों के साथ पृथ्वी का सहयोग न होता तो शायद अन्य ग्रहों की तरह यह पृथ्वी भी वीरान ग्रह के रूप में होती…
भगवान शिव के संदर्भ में कहा जाता है ! कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। अर्थात भगवान शिव जो कपूर के समान सफ़ेद हैं ! वही भगवान विष्णु के लिये कहा जाता है ! शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम् | विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं…
ब्राह्मण अनादि काल से अपने धर्म और राष्ट्र का रक्षक रहा है ! जब भी कभी देश पर कोई बड़ी विपत्ति आयी है तब ब्राह्मण ही था ! जिसने आकर देश को संभाला है ! फिर वह चाहे पुष्यमित्र शुंग…
वैष्णव धर्म ग्रंथों में अग्नि को मानव इतिहास की सबसे बड़ी खोज बतलाया गया है ! जबकि शैव जीवन शैली में अग्नि का कोई महत्व नहीं है ! क्योंकि वह प्रकृति के सहयोगी और उपासक हैं ! मानव में मात्र…
प्रकृति ने समाज के हर व्यक्ति के लिए हर वस्तु सहज ही उपलब्ध करवाई है ! जिसे दूसरे शब्दों में कहा जाये कि प्रकृति के द्वारा उपलब्ध हर वस्तु पर हर व्यक्ति का समान अधिकार है ! किंतु समाज को…
पश्चिम जगत की हजारों अर्थहीन, अविकसित, भ्रमक, आम अवधारणाओं की तरह यह भी एक भ्रांति है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ! जब की सत्यता यह है कि मनुष्य भावनात्मक प्राणी है ! वह तो समाज से संबंध बस…
मेरी दृष्टि में भारत के गौरवशाली इतिहास में महापुरुष तो दो ही हुये हैं ! एक स्वामी महावीर जी और दूसरे गुरु नानक जी महाराज ! दोनों के ही संदेश मानवता के लिए अद्भुत संदेश हैं ! यदि समाज मात्र…
भारत में वैष्णव प्रपंच के दौरान भक्ति काल में फैलाये गये भ्रम के तहत समाज में यह अवधारणा विकसित हुई कि भगवान की पूजा करने से मनुष्य अपने जीवन में सब कुछ प्राप्त कर लेता है ! जबकि सनातन धर्म…
पितृ पक्ष शुरू हो गये हैं ! अब हिंदू दर्शन के अनुसार पितृ पृथ्वी पर भ्रमण करेंगे ! अतः सभी आस्थावान परिवारों में अब 15 दिन तक पितरों के लिये पिंड दान, तर्पण, मर्जन आदि का अनुष्ठान किया जायेगा !…
गंभीरता से विचार करने पर यह निष्कर्ष निकलता है कि हर युग में भगवान अपने विचारधारा के विपरीत विचार रखने वाले विद्वानों से नफरत करते रहे हैं ! जिसके कुछ उदहारण निम्न हैं ! सतयुग में महर्षि भृगु को ही…