Tag shaivism and vaishnavism conflict

जानिए पाशुपत शैव साधारण शैवों में क्या अंतर था !

पाशुपत शैव साधारण शैवों से भिन्न थे ! प्राचीन काल में मूल शैव सम्प्रदाय पाशुपत सम्प्रदाय कहलाता था ! वे शिव को ही कर्ता- धर्ता समझते थे ! इस मत के मानने वाले शिव को पति मानते थे और जीव…

वैष्णव देवी स्थल पर लाल चुनरी क्यों चढ़ती है ?

लाल रंग सुहागिनों का रंग है ! देवी पुराण के अनुसार जितनी भी वैष्णव देवी हैं उन्हें लाल बहुत पसंद है और वैष्णव देवताओं को पीले रंग के वस्त्र बहुत पसंद हैं ! अत: मां को प्रसन्न करने के लिये…

जानिए शैव और वैष्णव सम्प्रदाय की उत्पत्ति कैसे हुई !

वैदिककाल में देव और असुरों के झगड़े के चलते धरती के अधिकतर मानव समूह दो भागों में बंट गए ! हजारों वर्षों तक इनके झगड़े के चलते ही पहले सुर और असुर नाम की दो धाराओं का धर्म प्रकट हुआ,…

शैव सम्प्रदाय का वास्तविक इतिहास जानियें ! Yogesh Mishra

गोवर्धन पीठाधीश्वर पुरी शंकराचार्य महाभाग निश्चलानंद सरस्वती जी कहते हैं वैष्णव , शैव, शाक्त ,गाणपत्य और सौर ये पांच तरह के सनातनी हैं जो कि क्रमशः विष्णु , शिव , शक्ति, गणपति और सूर्य के उपासक होते हैं ये अपने…

शैव वैष्णव संघर्ष पर हमारा शोध अवश्य पढ़ें ! Yogesh Mishra

विश्व का प्रथम शैव वैष्णो संघर्ष प्रजापति दक्ष और भगवान शिव के मध्य हुआ था और अंतिम संघर्ष रावण और राम के मध्य हुआ था ! आर्य बाहर से आये नहीं थे, बल्कि भारत से बाहर जाकर बसे थे !…

महाभारत के बर्बरीक की पुरी कथा !!

बर्बरीक महाभारत के एक महान योद्धा थे ! वह भीम पुत्र घटोत्कच और अहिलावती के पुत्र थे ! बर्बरीक को कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनके बल से पलक झपते ही महाभारत के युद्ध में भाग लेने वाले समस्त वीरों…

रावण को वैष्णव लेखकों ने बनाया था खलनायक ! जानिए रावण का वास्तविक चरित्र !

वैष्णव अनुयाई के ब्राह्मण पिता विश्रवा और शैव अनुयाई की राक्षसी माता कैकसी का पुत्र रावण तेजस्वी और तपस्वी पुत्र था ! कालांतर में रावण ने सशक्त सैन्य बल एकत्र करके देवताओं पर आक्रमण कर उन्हें परास्त कर दिया और…

दीपावली में धन प्राप्ति हेतु प्रभावशाली शैव तंत्र को भी अपनाइये !

दीपावली में धन प्राप्ति हेतु की गई देवी लक्ष्मी की आराधना निशा कालीन पूजन है ! इस समय मां लक्ष्मी के पति भगवान विष्णु गहन निंद्रा में सो रहे हैं ! वह देव प्रबोधिनी एकादशी के दिन जागेंगे ! इसीलिए…

पर्यावरण पर ज्योतिष शास्त्रों की राय अवश्य पढ़ें !

महाराजा विक्रमादित्य के नौरत्न राज ज्योतिषी वराहमिहिर कहते हैं कि वापी, कूप, तालाब आदि जलाशयों के किनारे पर बगीचा लगाना चाहिये क्योंकि जलयुक्त स्थल यदि छायारहित हो तो शोभा नहीं पाता ! बगीचे की स्थापना हेतु कोमल भूमि अच्छी होती…

गाय के ख़ुराकी की दर अलग-अलग क्यों ?

उत्तर प्रदेश शासन से गाय यह जानना चाहती है कि उसके ख़ुराकी की दर अलग-अलग स्थान पर अलग-अलग क्यों है ? जैसे यदि गाय उत्तर प्रदेश कि पंजीकृत गौशाला में रखी जाती है तो उसके भरण पोषण हेतु मात्र 21रुपये…