जानिए भगवान शिव को भांग क्यों प्रिय थी ? : Yogesh Mishra

विश्व की प्राचीनतम शैव नगरी में आज भी भांग का प्रयोग खुले आम होता है ! महाशिवरात्रि और होली का रंग तभी जमता है जब भांग का भी संग हो ! यकीनन भांग का ज्यादा इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है…
विश्व की प्राचीनतम शैव नगरी में आज भी भांग का प्रयोग खुले आम होता है ! महाशिवरात्रि और होली का रंग तभी जमता है जब भांग का भी संग हो ! यकीनन भांग का ज्यादा इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है…
सूचना का अधिकार कानून संभवत: आम जनता द्वारा सबसे ज्यादा बार प्रयोग किया जाने वाले कानूनों में से एक है ! अगर यहां से भी 45 दिनों के भीतर जवाब नहीं मिलता है तो आवेदक केंद्रीय सूचना आयोग या राज्य…
सूर्य के उत्तरायण के आरंभ के सम्बन्ध में अनुशासन पर्व के 32वें अध्याय के पांचवें श्लोक को देखें:- उषित्वा शर्वरी श्रीमान पंचाशन्न गरोत्त में ! समयं कौरवा ग्रयस्य संस्कार पुरूषर्षभ: ! ! अर्थात पचास रात्रि बीतने तक उस उत्तम नगर…
भारत में बढ़ती बेरोजगारी पर चिन्तन कल सायंकाल में एक कार्यक्रम में गया था ! वहां पर युवाओं की योग्यता को लेकर चर्चा होने लगी ! चर्चा में शामिल अधिकांश लोगों का यह मत था कि आज के शिक्षित छात्र…
हमारे सनातन इतिहास का विकृतीकरण करने का कार्य मैकडानल ने विशेष रूप से किया ! उन्होंने अपनी पुस्तक ‘वैदिक रीडर’ में लिखा-”ऋग्वेद की ऋचाओं से प्राप्त ऐतिहासिक सामग्री से पता चलता है कि ‘इण्डो आर्यन’ लोग सिंधु पार करके भी…
मेरे अपने निजी अनुभव में यह आया है कि कंप्यूटर आदि कृतिम वस्तुएं जो मनुष्य के लिये सहायक हैं या जहां कहीं भी ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है ! वह सभी चीजे तंत्र से प्रभावित की जा सकती हैं…
आज कंप्यूटर का युग है ! कंप्यूटर के द्वारा कृतिम बौद्धिकता के सैकड़ों आयाम प्रस्तुत किये जा रहे हैं ! ऐसी स्थिति में कोई आश्चर्य नहीं कि आगामी युग में विश्व में ट्रेन और वाहनों का संचालन सफलतापूर्वक कंप्यूटर द्वारा…
स्वामी दयानंद न केवल ईसाई संस्था थियोसोफिकल सोसायटी के अहम सदस्य थे बल्कि थियोसोफिकल सोसायटी के संस्थापकों को पत्र लिखकर उसे भारत में लाने वाले भी दयानंद ही थे ! 1878 से लेकर अपनी मृत्यु 1883 तक स्वामी जी ने…
नागपाश संकटमोचन हनुमानाष्टक रावण जुद्ध अजान कियो तब ! नाग कि फांस सबै सिर डारो ! श्री रघुनाथ समेत सबै दल ! मोह भयो यह संकट भारो ! आनि खगैस तबै हनुमान जु ! बन्धन काटि सुत्रास निवारो ! को…
यत पिंडे-तत ब्रह्माण्डे अर्थात सभी धर्म ग्रंथ कहते हैं कि जो भी कुछ मनुष्य के पिण्ड यानी शरीर में है, बिल्कुल वैसा ही सब कुछ इस ब्राह्मांड में है अर्थात संपूर्ण ब्रह्मांड में जो भी है वही द्रव्य एवं ऊर्जा…