अब राजीव दीक्षित की हत्या नहीं हो सकेगी : Yogesh Mishra

यह एक व्यावहारिक सत्य है कि व्यक्ति के न रहने के बाद भी उसके विचार जीवित बने रहते हैं ! यही विचार समाज में बड़े परिवर्तन लाते हैं ! और जो लोग समाज को अपने तरीके से चलाना चाहते हैं…
यह एक व्यावहारिक सत्य है कि व्यक्ति के न रहने के बाद भी उसके विचार जीवित बने रहते हैं ! यही विचार समाज में बड़े परिवर्तन लाते हैं ! और जो लोग समाज को अपने तरीके से चलाना चाहते हैं…
एक बार धृतराष्ट्र के नियोग पिता महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर आये ! गांधारी ने उनकी बहुत सेवा की ! जिससे प्रसन्न होकर उन्होंने गांधारी को वरदान मांगने को कहा ! गांधारी ने अपने पति के समान ही बलवान सौ पुत्र होने…
शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी थे ! विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था ! मृकण्ड ने सोचा कि महादेव संसार के सारे विधान बदल सकते हैं ! इसलिये क्यों न भोलेनाथ को…
किसी विशेष धर्म का अनुपालन व्यक्ति को संसार में मात्र एक धार्मिक आइडेंटिटी दे सकता है बस ! पर व्यक्ति का वास्तव में धार्मिक होना तो इंसान के भीतर की प्रक्रिया है ! भारतीय समाज से बड़ा धार्मिक दुनियाँ का…
सनातन संस्कृति से घ्रणा करने वालों के द्वारा यह झूठ प्रचारित किया जाता है कि वैदिक कालीन सरस्वती नदी का कभी अस्तित्व नहीं रहा है ! वेदों में उल्लेखीत सरस्वती नदी का कभी कोई अस्तित्व नहीं रहा यह बात पिछले…
यह लेख मोदी की तारीफ में नहीं बल्कि नरेन्द्र मोदी जी के माध्यम से पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित भारतीय मानसिक गुलामों की विशेष प्रजाति के मानसिक स्थिती का वैचारिक विश्लेषण है ! जो मोदी ही नहीं कोई भी सनातन राष्ट्रवादी…
वैष्णव धर्म शास्त्रों में भगवान विष्णु के अनेकों अवतारों का वर्णन मिलता है ! यह सभी अवतारों की कल्पना वैष्णव धर्म शास्त्र लिखने वाले रचनाकारों ने भगवान विष्णु के महत्व को बताने के लिये समय-समय पर की है ! किन्तु…
आपने देखा होगा कि मैंने शास्त्रों को प्रमाण मानते हुये कुछ लेख अपने फेसबुक पर डाले ! तो लोगों ने मुझे धर्म विरोधी, मुल्लों का दलाल, विधर्मी आदि न जाने क्या-क्या कह डाला ! लेकिन मैंने जो लिखा पढ़ा वह…
भारतीय दर्शन के अनुसार कर्म तीन प्रकार के होते हैं,- 1. संचित कर्म, 2. प्राब्ध कर्म,3. क्रियमाण कर्म ! वर्तमान तक किया गया कर्म संचित कर्म कहलाता है, वर्तमान में जो कर्म हो रहा है, वह क्रियमाण है, संचित कर्म…
शंकाराचार्य के इस सूत्र ‘ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या, जीवो ब्रह्मेव नापराह’ का क्या मतलब है ? जब से यह सिद्धांत आया है तबसे इस विषय में कोई स्पष्टता से कुछ नहीं कह सका है ! कुछ विद्वानों और आचार्यों ने…