वैष्णव धर्म शास्त्रों में भगवान विष्णु के अनेकों अवतारों का वर्णन मिलता है ! यह सभी अवतारों की कल्पना वैष्णव धर्म शास्त्र लिखने वाले रचनाकारों ने भगवान विष्णु के महत्व को बताने के लिये समय-समय पर की है ! किन्तु कुटिल अंग्रेजों ने इसी अवतारवाद की अवधारणा को कथावाचकों के माध्यम से एक हथियार बना कर हम हिंदू समाज का सर्वनाश करने की योजना बनाई थी !
विचार कीजिये जब हम किसी महापुरुष को अवतार घोषित कर देते हैं ! तब उस स्थिति में उस महापुरुष के द्वारा किये जाने वाले सभी पुरुषार्थ पूर्ण कार्य को यह मान लेते हैं कि जो काम हमारे उस युग पुरुषों ने किया थे वह सामान्य मनुष्य वर्तमान परिस्थितियों में नहीं कर सकता है ! इसी तरह की हमारी जो सोच कथावाचकों ने बना दी है ! उसी का परिणाम है कि अब हम हिंदुत्व की रक्षा के लिये कोई भी कार्य नहीं करना चाहते हैं बल्कि अपनी इस कायरता को छिपाने के लिये अवतार के इंतजार का बहाना बतलाते रहते हैं !
जबकि होना यह चाहिये कि हमारे महापुरुषों ने विपरीत परिस्थितियों में जिस तरह से संपूर्ण पुरुषार्थ और साहस के साथ सनातन धर्म की रक्षा के लिये तरह-तरह के सकारात्मक प्रयास किये थे ! उनका ऐतिहासिक विश्लेषण करके हमें भी आज सनातन धर्म पर हो रहे आक्रमण से बचने के लिये हमें अपने उन महापुरुषों के कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिये ! लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है !
क्योंकि 1857 की क्रांति जो ब्राह्मणों ने गुरुकुलों के माध्यम से खड़ी की थी ! उस रहस्य को समझने के बाद अंग्रेजों ने सबसे पहला कार्य यह किया कि ब्राह्मणों के गुरुकुलों को कानून बना कर नष्ट करवा दिया और बुद्धिजीवी ब्राह्मणों के स्थान पर वर्ण संकर और जाति विहीन कथावाचकों को अपने राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिये पोषित करना शुरू कर दिया !
उसका परिणाम यह हुआ कि इन गैर ब्राह्मण कथावाचकों ने हिन्दू समाज को अंग्रेजों के षडयंत्र नीति के तहत गुमराह करने के लिये तरह-तरह की काल्पनिक मिथकों का सहारा लेकर हिंदू धर्म ग्रंथों से इतर जाकर नई-नई कपोल कल्पित कथाओं का निर्माण करना शुरू कर दिया और हिंदू पुरुषार्थी समाज को दिशा विहीन अवतारवादी और ईश्वरवादी बना दिया !
कालांतर में जब इसी अवतारवाद और ईश्वरवाद की जड़ें काफी गहरी हो गई ! तब शिक्षा, पुलिस और नये-नये कानूनी व्यवस्था के माध्यम से हिंदू समाज को पुरुषार्थ विहीन और वैचारिक रूप से नपुंसक बना दिया गया !
आज उसी का परिणाम है कि सत्य सनातन हिंदू धर्म पर चारों ओर से कुठाराघात हो रहे हैं और हम हिंदू किसी मायावी अवतार के इंतजार में अपने सर्वनाश को दिन-व-दिन निकट आते देख रहे हैं !
मेरा मत है कि जब तक हिंदू समाज ईश्वरवाद और अवतारवाद के चमत्कारों से अलग हटकर पूर्व के महापुरुषों द्वारा किये गये पुरुषार्थ पूर्ण कारणों का अनुसरण नहीं करेगा ! तब तक सत्य सनातन हिंदू धर्म की रक्षा नहीं हो सकेगी !
इसलिये हमें धर्म शास्त्रों के सत्य आधारित रहस्यों को जानना होगा तथा कथावाचकों की कपोल कल्पित कथाओं से अलग हटकर यथार्थ को समझते हुये अपने सत्य सनातन हिंदू धर्म के रक्षार्थ अपने सामर्थ्य, बुद्धि, विवेक का संपूर्ण प्रयोग करते हुये, अपने धर्म की रक्षा करनी होगी ! तभी धर्म हमारी रक्षा कर सकेगा !