ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या का रहस्य : Yogesh Mishra

शंकाराचार्य के इस सूत्र ‘ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या, जीवो ब्रह्मेव नापराह’ का क्या मतलब है ? जब से यह सिद्धांत आया है तबसे इस विषय में कोई स्पष्टता से कुछ नहीं कह सका है ! कुछ विद्वानों और आचार्यों ने…
शंकाराचार्य के इस सूत्र ‘ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या, जीवो ब्रह्मेव नापराह’ का क्या मतलब है ? जब से यह सिद्धांत आया है तबसे इस विषय में कोई स्पष्टता से कुछ नहीं कह सका है ! कुछ विद्वानों और आचार्यों ने…
विश्व के साम्राज्यवादी और पूंजीवादी व्यवस्था ने अपने विश्व सत्ता के उद्देश्य को पाने के लिये पश्चिमी शिक्षा पद्धति के माध्यम से बराबर हमें यह समझाने का प्रयास किया है कि हम और हमारे पूर्वज दोनों ही पूरी तरह से…
420 वर्ष पूर्व जब ईस्ट इंडिया कंपनी के तथाकथित व्यापारी भारत आये तो वे भारत से सूती वस्त्र, छींटज़ के कपड़े, सिल्क के कपड़े आयातित करके ब्रिटेन के रईसों और आम नागरिकों को बेंचकर भारी मुनाफा कमाना शुरू किया !…
यदि भारत और चीन के बीच युद्ध होता है और दोनों देश खुद के हथियारों से लड़ते है, यानी भारत को अमेरिका और रूस सहयोग नहीं करते हैं तो चीन की फौजे मात्र एक हफ्ते के अंदर दिल्ली तक पहुँच…
ब्राह्मणों को ईश्वर ने अलग-अलग सामाजिक दायित्वों के लिये अलग-अलग गुण-धर्म के अनुसार निर्मित किया है ! यदि ब्राह्मणों में आज भी रक्त की शुद्धता है तो वह गुणधर्म आज भी स्पष्ट देखे जा सकते हैं ! जैसे यजुर्वेद के…
चारों वेदों के चार व्याख्या ग्रंथ हैं ! जिनको ब्राह्मण ग्रंथ कहते हैं ! जो हैं ऐतरेय, तैत्तरीय, शतपथ एवम गोपथ ! इन्हीं ब्राह्मण ग्रंथों को पांच नामों से पुकारा जाता है, इतिहास, कल्प, गाथा, नाराशंसी, पुराण ! यही वह…
सोने की चिड़िया कहे जाने वाला भारत विदेशी आक्रांताओं के लूटे जाने के बाद भी, आज भारत की जनता के पास विश्व का सबसे अधिक सोना है ! यही नहीं जितना सोना एक सामान्य व्यक्ति अपने जीवन में खरीदता है…
प्रकृति ने जब मनुष्य का निर्माण किया तो उसे मास्तिष्क का उपहार दिया ताकि वह अपने जीवन को अधिक परिष्कृत कर सके और इस धरा को और भी सुन्दर बना सके ! मनुष्य ने ज्ञान विज्ञान की सहायता से प्रकृति…
आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि कभी रावण काल में श्री लंका का भूभाग वर्तमान आस्ट्रेलिया से जुड़ा हुआ था ! रावण की अधिकांश सैन्य छावनी इसी भू भागा में थीं ! जो राम रावण युद्ध में हुये विनाशक…
हमें हमेशा से यही समझाया गया है कि लोकतंत्र में शासक जन भावनाओं के अनुरूप ही शासन करते हैं जबकि व्यवहारिक तौर पर यह देखा गया है कि यह एक नितांत झूठ के अतिरिक्त और कुछ नहीं है ! क्योंकि…