काल से सभी पराजित हैं : Yogesh Mishra

इस सृष्टि में शिव के अतिरिक्त काल से अधिक सामर्थवान कोई भी नहीं है ! काल को जीतना मनुष्य के पुरुषार्थ का विषय ही नहीं है ! फिर वह चाहे भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध, सिकंदर, चाणक्य, सुकरात आदि कोई भी…
इस सृष्टि में शिव के अतिरिक्त काल से अधिक सामर्थवान कोई भी नहीं है ! काल को जीतना मनुष्य के पुरुषार्थ का विषय ही नहीं है ! फिर वह चाहे भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध, सिकंदर, चाणक्य, सुकरात आदि कोई भी…
बीसवीं सदी के सबसे बड़े दार्शनिक, विचारक, चिंतक, बुद्धत्व को प्राप्त, गहन मनोचिकित्सक चंद्र मोहन जैन उर्फ़ भगवान रजनीश उर्फ़ ओशो के पुणे स्थित रजनीशपुरम आश्रम एवं उनकी सभी बौद्धिक संपदा के ऊपर अधिकार जमाने हेतु एक बहुत बड़ा विवाद…
ज्ञान और अनुभूति यह दोनों ही अलग-अलग विषय हैं ! प्रायः व्यक्ति ज्ञान को ही महत्व देता है अनुभूति को नहीं क्योंकि अंग्रेजों के शासन काल में जब अंग्रेजों ने भारत पर अपना शासन जमाया, तब उन्हें अपनी शासन व्यवस्था…
भगवान कहीं नहीं है : Yogesh Mishra दुनिया के सारे धर्म ग्रंथ मानव द्वारा निर्मित हैं ! सभी मंत्र, चालीसा, स्त्रोत, पुराण, उपनिषद, दर्शन, वेदान्त आदि सभी कुछ मनुष्य ने अपनी अनुभूति और समझ के आधार पर निर्मित किये हैं…
आज भारत के राजनैतिक दलों ने भारत की अनपढ़ जनता को आकर्षित करते हुये. लोकतांत्रिक राजनीति को ऐसी जगह लाकर खड़ा कर दिया गया है कि भारत को अपने सर्वनाश के अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग नहीं दिखलाई दे रहा है…
अर्थशास्त्र का सामान्य सिधान्त है कि किसी वस्तु की कीमत मांग और पूर्ति के संतुलन से निर्धारित होती है ! किंतु अब देखने में आ रहा है कि बाजार में वस्तु की कीमत का निर्धारण मांग और पूर्ति के संतुलन…
ध्यान प्रक्रिया हर देश काल परिस्थिती में अलग अलग समय पर अलग अलग रहीं हैं ! आधुनिक मनुष्य का मन मस्तिष्क प्राचीन काल से अलग है ! आज का बदला हुआ चित्त एक बहुत ही नयी घटना है ! कोई…
एंटीमैटर केवल एक काल्पनिक तत्व नहीं, बल्कि असली तत्व होता है ! इसकी खोज बीसवीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में हुई थी ! तब से यह आज तक वैज्ञानिकों के लिए कौतुहल का विषय बना हुआ है ! जिस तरह सभी…
जब कोई शेयर बाजार निरंतर ऊपर की तरफ बढ़ता है, तो उसे बुल अर्थात सॉड बाजार कहा जाता है और जब किसी देश का कोई शेयर बाजार निरंतर नीचे की ओर गिरता है तो उसे बीअर अर्थात भालू बाजार कहा…
भारत का अतीत बहुत खुबसूरत नहीं बल्कि सदैव से दरिद्रता और शोषण का रहा है ! हां कुछ राजे रजवाड़े या उनके प्रशासनिक चमचे संपन्न हुआ करते थे या धर्म के नाम पर कुछ मठ, मन्दिर चलाने वाले समाज का…