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मंदिरों में बैठने से भगवान को भी घमंड आ जाता है ! : Yogesh Mishra

भगवान कोई वी.आई.पी. नहीं जिसे मंदिरों में सुरक्षित बैठा दिया जाये ! बल्कि वह प्रकृति का एक सार्वजनिक सेवक है ! जिसका काम ईश्वर द्वारा जो जीव आत्मायें पृथ्वी पर निवास कर रही हैं ! उनके सभी का दुख दर्द…

हाँ मैं जातिवादी हूँ ! : Yogesh Mishra

किसी मुर्ख ने फेसबुक पर कल मुझसे कहा कि आपको अपने नाम के आगे से जाति सूचक शब्द हटा देना चाहिये ! जबकि वह स्वयं गुप्ता लगाये हुये थे ! तो मैने सोचा कि मैं उनको ही नहीं पूरी दुनिया…

नेताजी सुभाष चन्द्रबोस के साथ आवाम का विश्वासघात : Yogesh Mishra

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्‍हें आजादी दूंगा ! जय हिन्द ! जैसे नारों से आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में रहे हैं ! जिनसे लम्‍बे समय…

राष्ट्र में ब्राह्मण नहीं तो कुछ भी नहीं बचेगा : Yogesh Mishra

भारत का मनुष्य अपनी असफलता और बुराई का दोष भाग्य और ईश्वर को देता है समाज की बुराई का श्रेय ब्राह्मण को जाता है ! आज जो पुत्र पैदा हुआ, जो नौकरी मिली, जिसको लोग कहते है ईश्वर कि कृपा,…

आखिर जाति के नाम पर ब्राह्मणों पर अत्याचार कब तक : Yogesh Mishra

सवर्णों में एक जाति ब्राह्मण है ! जिस पर सदियों से राक्षस, पिशाच, दैत्य, दानव, यवन, मुगल, अंग्रेज, कांग्रेस, सपा, बसपा, वामपंथी, भाजपा, सभी राजनीतिक पार्टियाँ और आधुनिक कानूनों के ओट में हरिजन एक्ट और आरक्षण के नाम पर विभिन्न…

क्या आदि गुरु शंकराचार्य ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस हैं : Yogesh Mishra

प्रकृति की व्यवस्था यदि पूर्वाग्रही होकर देखा जाये तो अत्यंत जटिल है ! अन्यथा तटस्थ भाव से यदि प्रकृति को समझने की चेष्टा की जाये ! तो प्रकृति अपने रहस्य स्वयं ही खोलने लगती है ! प्रकृति बहुत ही व्यवस्थित…

यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे का रहस्य : Yogesh Mishra

‘यथा ब्रह्माण्डे तथा पिण्डे’ -चरक संहिता का यह श्लोकांश हमें समझाता है कि जो-जो इस ब्रह्माण्ड में है वही सब हमारे शरीर में भी है ! यह भौतिक संसार पंचमहाभूतों से बना है ! आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी…

जानिए म्लेच्छता का विज्ञान : Yogesh Mishra

“म्लेच्छ” शब्द का अर्थ है वह व्यक्ति जिसकी इच्छा मल की तरह दूषित हो अर्थात सामाजिक व्यवस्था के विपरीत मल के समान दूषित इच्छा प्रगट करने वाला व्यक्ति “म्लेच्छ” है ! जैसे परस्त्री या कन्या के भोग की इच्छा या…

राष्ट्रीय एकता के नाम पर इतिहास के हत्यारे कौन हैं : Yogesh Mishra

लालबहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद 1966 में इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री बने रहने के लिये वामपंथियों की मदद चाहिये थी ! समझौता हुआ कि आप प्रधानमंत्री बनी रहो पर हमें देश की शिक्षा व्यवस्था दे दो ! अत: कट्टर…

अस्पृश्यता का षडयंत्रकारी इतिहास : Yogesh Mishra

संस्कृत में “अछूत” को “अस्पृश्य” कहते हैं ! किसी भी वैदिक ग्रन्थ में “अस्पृश्य” शब्द का उल्लेख तक नहीं है ! “वैदिक ग्रन्थ” से तात्पर्य है वैदिक संहिताएं ! ब्राह्मण-ग्रन्थ ! आरण्यक ! उपनिषद ! समस्त वेदाङ्ग साहित्य जिसमें गृह्य-सूत्र…