ईश्वर अपनी रक्षा स्वयं करता है ! : Yogesh Mishra

16-17 जून 2013 की मध्य रात्रि से ही निरंतर जलप्रलय के संकेत मिले थे ! लेकिन केदारनाथ धाम में भक्त भक्ति में कम और मस्ती में अधिक व्यस्त थे ! उसी का परिणाम था कि सुबह होते-होते पूरी केदारघाटी तबाह हो गई ! आपदा में मरने वालों की संख्या सरकारी दस्तावेजों में करीब 4000 दर्ज की गई लेकिन वास्तविक संख्या 10 हजार से ज्यादा लोगों की मृत्यु होने का अनुमान है ! आज भी हर बारिश के बाद केदार घाटी में नर कंकालों के मिलने का सिलसिला जारी है !

हुआ यूँ कि उस काली रात केदारनाथ धाम में घनघोर बारिश हो रही थी ! पूजा में लीन श्रद्धालुओं को पहली बार अहसास हुआ कि उनके आसपास से तेजी से पानी बह रहा है ! वेग इतना था कि लोग ठहर नहीं पा रहे थे ! कुछ घंटे बाद वेग धीमा हुआ और वह रात तो बीत गई ! लेकिन यह ईश्वर का स्पष्ट संकेत था कि सावधान बड़ी घटना होने वाली है ! केदारनाथ घाटी को तुरंत खाली कर दो ! पर किसी ने इस संकेत पर ध्यान नहीं दिया !

17 जून की सुबह जब कपाट खुला और आरती-पूजा शुरू हुई तो उस वक्त बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद थे ! तभी अचानक गडग़ड़ाहट सुनाई पड़ी और किसी को कुछ समझ में आता कि इसके पहले ही मंदिर के पीछे से सैलाब आता दिखाई दिया ! पूरा केदारनाथ धाम देखते ही देखते तहस-नहस होकर उसी सैलाब के साथ बह गया ! बचा तो केवल बाबा केदारनाथ का मंदिर ! क्योंकि उसी सैलाब के पानी के साथ आये हुये एक पत्थर ने सैलाब की धारा को दो दिशाओं में मोड़ दिया ! तो सैलाब का पानी मंदिर के दोनों तरफ से होकर गुजर गया !

यह केदारनाथ मंदिर के पीछे ईश्वर द्वारा स्थापित ठीक मंदिर के आकार की यह आयताकार शिला जिसे ईश्वर ने सैलाब के साथ बहाकर स्वत: मंदिर के पीछे स्थापित किया था ! जिससे सैलाब का पानी दो हिस्सों में बंट गया और उस ऐतिहासिक मंदिर की रक्षा स्वत: हो गयी ! इस घटना के द्वारा ईश्वर में मनुष्य को यह संकेत दिया कि उसे अपनी रक्षा के लिये किसी मनुष्य की आवश्यकता नहीं है ! बल्कि मनुष्य को अपनी रक्षा के लिये ईश्वर के संकेत को समझने की आवश्यकता है !

आज जो हम संवेदनाविहीन होकर ईश्वर द्वारा प्रकृति के माध्यम से दिये जाने वाले संकेतों की उपेक्षा कर रहे हैं ! यह निश्चित ही हमारे सर्वनाश का कारण बनेगा ! ईश्वर परम सत्ता है ! उसकी रक्षा मनुष्य नहीं कर सकता है लेकिन मनुष्य क्योंकि ईश्वर का अंश है ! अत: ईश्वर मनुष्य की रक्षा जरुर कर सकता है और इसीलिये हर प्राकृतिक आपदा के पहले ईश्वर मनुष्य को प्राकृतिक संकेतों द्वारा आगाह करता है ! लेकिन मद और अहंकार में हम ईश्वर के संकेत नहीं समझ पाते हैं और अपने सर्वनाश को आमंत्रित कर लेते हैं !

जैसे केदारनाथ आपदा के पूर्व भी ईश्वर ने संकेत दिये थे जिसे किसी ने नहीं माना और बाद में भी इसको बादल फटने के कारण हुई आपदा बतलाया गया ! इसमें सोनप्रयाग तबाह हो गया था और केदारनाथ यात्रा मार्ग के ऐतिहासिक स्थलों में से एक रामबाड़ा का अस्तित्व ही खत्म हो गया ! अब 14 किलोमीटर का यह यात्रा मार्ग अब 22 किलोमीटर हो चुका है ! आपदा की मार सबसे ज्यादा केदारघाटी में बसे गांवों पर पड़ी ! केदारनाथ में रोजी-रोजगार करने वाले सैकड़ों स्थानीय लोग काल के गाल में समा गये थे ! कुछ गांव तो विधवाओं के गांव के रूप में तब्दील हो चुके हैं ! घर में वयस्क पुरुष बचे ही नहीं हैं ! केदारनाथ उत्तराखंड के चारधाम यात्रा का तीसरा सबसे महत्वपूर्ण धाम है !

केदारनाथ उत्तराखण्ड के रूद्रप्रयाग जिले में स्थित समुद्रतल से 3584 मीटर की ऊँचाई पर हिमालय पर्वत के गढ़वाल क्षेत्र में आता है ! हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में उल्लिखित बारह ज्योतिर्लिंगों में से सबसे ऊँचा ज्योतिर्लिंग यहीं पर स्थित है ! चतुर्भुजाकार आधार पर पत्थर की बड़ी-बड़ी पट्टिओं से बनाया गया यह मन्दिर करीब 1000 वर्ष पुराना है और इसमें गर्भगृह की ओर ले जाती सीढ़ियों पर पाली भाषा के शिलालेख भी लिखे हैं !

केदारनाथ मन्दिर गर्मियों के दौरान केवल 6 महीने के लिये खुला रहता है जो प्रसिद्ध हिन्दू संत आदि शंकराचार्य को देश भर में अद्वैत वेदान्त के प्रति जागरूकता फैलाने के लिये जाना जाता है ! यह स्थान एक धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ एक सनातन संस्कार स्थल भी है ! इस ऐतिहासिक मन्दिर का मुख्य हिस्सा और सदियों पुराना गुंबद सुरक्षित है लेकिन उक्त सैलाब में मंदिर का प्रवेश द्वार और उसके आस-पास का इलाका पूरी तरह तबाह हो चुका है !

अर्थात अगर तुम्हें सुरक्षित रहना है तो तुम ईश्वर द्वारा भेजे गये प्रकृति के संकेतों को समझें और अपनी रक्षा स्वयं करो ! लेकिन कभी इस गलतफहमी में मत रहना कि तुम ईश्वर से अधिक समझदार हो गये हो और आज विज्ञान की मदद से मनुष्य इतना शक्तिशाली हो गया है कि अब वह ईश्वर की रक्षा कर सकता है ! यह न कभी हुआ था और न कभी होगा ! यही मनुष्य के अहंकार के विपरीत कठोर सत्य है !!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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