संस्थापक का परिचय
पंडित योगेश कुमार मिश्र का जन्म प्रयाग (इलाहाबाद)के ब्राहमण कुल में योगनी एकादशी के दिन 11 माह के गर्भकाल के उपरान्त हुआ था। अकालमृत्युजयी गुरूदेव पं. हंसराज शर्मा के सानिध्य में आपने मात्र सात वर्ष की आयु से ही योग, ध्यान, साधना प्रारम्भ की तथा 11 वर्ष की आयु में श्रीमद भागवत गीता पर प्रथम भाष्य लिखा।
एम.काॅम., एल.एल.बी. की शिक्षा प्राप्ति के उपरान्त वर्ष 1992 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में कार्य आरम्भ किया वर्ष 1997 से 2000 तक उच्चतम न्यायलय दिल्ली में भारत सरकार के अधिवक्ता के रूप में कार्य किया। वर्ष 2001 से 2010 तक उत्तर प्रदेश में गौरक्षा व जीव रक्षा का व्यापक अभियान उत्तर प्रदेश शासन के साथ सहयोग से चलाया व हजारों गौवंश की रक्षा की तथा उत्तर प्रदेश में पूर्ण गौवध निषेध अधिनियम लागूू करवाने में अहम भूमिका अदा की।
भविष्यफल कथन की जन्म जात प्रतिभा के होते हुये भी आपने अध्यात्म एवं भारतीय ज्योतिष पर 2000 से अधिक पुस्तकों का अध्यन किया एवं 5 पुस्तके भी लिखी और ज्योतिष के संशोधित सिद्धान्तों द्वारा हजारों ऐसी भविष्यवाणियाँ की जो निश्चित तिथि व समय पर घटित हुयी। आपको अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय ज्योतिष संस्थाओं द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत भी किया गया है।
सनातन ज्ञान पीठ के उद्देश्य
वैदिक ज्योतिष : वैदिक ज्योतिष, अध्यात्म, सनातन शास्त्र, वैदिक पूजन एवं कर्मकांड, गौ जीव-जन्तु, पशु-पक्षी एवं प्राकृतिक सम्पदाओं के मानव समाज से अन्योन्याश्रित संबधों पर शोध करना, उन्हेें सुरक्षित व संरक्षित करना एवं उन्हें मानव उपयोगी बनाने हेतु कार्य करना, उनका विश्वस्तर पर प्रचार-प्रसार करना, उनके लाभ व प्रयोग हेतु उनकी शिक्षा एवं प्रशिक्षण देना। उन्हें मानव समाज के समक्ष मानवता के लिये उपयोगी सिद्ध करना तथा उनके शिक्षण एवं प्रशिक्षण के लिए विद्यालय खोलना व खुलवाना।
पर्यावरण संरक्षण : समस्त पेड़-पौधे, पशुओं, पक्षियों, जीवों की रक्षा करना तथा उनके प्राकृतिक नैसर्गिक सनातन स्वरूप को बनाये रखने हेतु शोध व कार्य करना। औषधिय वृक्षों का वृक्षारोपण करना एवं प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण करना।
वैदिक चिकित्सा : सनातन, वैदिक, आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण करना व करवाना एवं सनातन, वैदिक, आयुर्वेदिक, प्राकृतिक औषधालय की स्थापना करना व करवाना।
गौ सेवा : गौ एवं पशु-पक्षियों के लिये रूग्णालय, गौशाला व पशु आश्रयगृह की स्थापना करना व करवाना। प्राणियों, पर्यावरण व प्रकृति के प्रति लोगों के लिये संवेदनशील शिक्षा प्रणाली विकसित करना व करवाना।
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