आखिर मानवता के रक्षा का सूत्र क्या है : Yogesh Mishra

यह एक प्राचीन अवधारणा है कि लोग मेहनत करने से बड़े आदमी बन सकते हैं ! जो कि आज के इस भौतिक युग में पूरी तरह से गलत सिद्ध हो रहा है ! आज मेहनत करने वाला इंसान जीवन भर…
यह एक प्राचीन अवधारणा है कि लोग मेहनत करने से बड़े आदमी बन सकते हैं ! जो कि आज के इस भौतिक युग में पूरी तरह से गलत सिद्ध हो रहा है ! आज मेहनत करने वाला इंसान जीवन भर…
प्राय: मूर्ख तांत्रिकों द्वारा पंचमकार को बिना समझे बुझे हुये उसकी बड़ी जोर शोर से पैरवी की जाती है ! जबकि पंचमकार का अर्थ है, पञ्च तत्वों को नियंत्रित करने का विज्ञान ! जिसमे पांच “म” शब्द से शुरू होने…
शिव पुराण, लिंग पुराण, सहित किसी भी शैव ग्रंथ में ऐसा नहीं लिखा है कि भगवान शिव भांग, गंजा, चरस आदि का सेवन किया करते थे ! किन्तु फिर भी बहुत से लोगों ने भगवान शिव के ऐसे चित्र बना…
भक्त भी भगवान द्वारा बनाया गया एक नायाव जीव है ! जो भगवान को भी धोखा देकर मोक्ष की कामना करता है ! उसे अगर भगवान स्वयं भी आकर साक्षात् ज्ञान देना चाहें तो भक्त उस ज्ञान की भी छीछालेदर…
भारत पर लगभग 1200 वर्षों तक आक्रमण करने वाले यूनानी, फ़ारसी, मंगोल, मुग़ल, फ़्रांसिसी, डच, पुर्तगाली, अंग्रेज आदि अनेक लुटेरे ने भारत से लगभग तीन लाख टन सोना लूट कर ले गये ! अब भी भारत के खजाने में लगभग…
हम आये दिन देखते हैं कि सनातन धर्म को नष्ट करने के लिए पूरी दुनिया में तरह-तरह के षडयंत्र पिछले ढाई हजार वर्षों से किये जा रहे हैं ! विश्व की कई संस्कृतियों को इन षड्यंत्रकार्यों ने ख़त्म कर दिया…
इस पूरे ब्रह्मांड की उत्पत्ति ब्रह्म तत्व और ब्रह्म ऊर्जा में व्याप्त तरंगों से हुई है ! यह संसार भी उसी ब्रह्म तत्व और ब्रह्म ऊर्जा का प्रतिबिंब है ! इससे परे इस सृष्टि में कुछ भी नहीं है !…
क्या आप जानते हैं कि प्राचीन काल में धर्म का अर्थ चक्र किस तरह भ्रमण करता था ! आखिर वह क्या वजह थी कि पूरी दुनिया का सोना भारत में इकट्ठा होता था और भारत पूरी दुनिया का पेट भरता…
हिरण्यवती नदी का प्राचीन संस्कृत नाम उज्जयिनी है ! इसे गण्डकी, इरावती, ‘बुद्धचरित’ के वर्णन के अनुसार यह नदी राप्ती की सहयोगी नदी जान पड़ती है ! किन्तु हिरण्यवती वामनपुराण के वर्णन के अनुसार सरस्वती नदी के समान ही पुण्य…
सनातन ऋषि कहते हैं कि प्रकृति की व्यवस्था के तहत पुरुष आधा ही है और स्त्री भी समग्र नहीं है बल्कि वह भी प्रकृति के आधे अंग की ही स्वामिनी है ! यही मैथुनिक सृष्टि का आधार है ! न…