ईश्वर ने कार्य कारण की व्यवस्था के तहत सृष्टि का निर्माण किया है ! जिसे जीव और प्रकृति मिलकर कार्य कारण की व्यवस्था के तहत चलाते हैं ! इस कार्य कारण की व्यवस्था को न तो देवता बदल सकता है और न ही भगवान ! किन्तु हमारे धर्म की अवधारणा …
Read More »भारत के युवाओं की समस्या : Yogesh Mishra
कहने को तो भारत एक अति विकसित विकासशील देश है ! रोज रोज विकास के नये –नये कहानी किस्से भी सुनने में आते हैं ! किन्तु इसके बाद भी आपने कभी यह महसूस किया कि गरीब परिवारों के बच्चे गरीबी में जन्म लेने के बाद पूरा जीवन अपने समर्थ के …
Read More »भगवान शिव के सिर की गंगा का अपहरण : Yogesh Mishra
पौराणिक कथाओं के अनुसार ब्रह्मा जी के कमंडल से निकली जल देवी गंगा को भगवान शिव ने अपनी जटाओं में रोक लिया और फिर और वैष्णव के सूर्यवंशी महाराजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मोक्ष देने हेतु उन्हीं के कुल के सूर्यवंशी राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर …
Read More »मौर्यवंशी शासक सनातन धर्म विरोधी थे : Yogesh Mishra
यह एक बहुत बड़ी भ्रांति है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने अंतिम समय में बौद्ध धर्म अपना लिया था ! जबकि सच्चाई यह है कि चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य के दिशा निर्देश में लगभग 24 वर्ष तक शासन करने के बाद मोक्ष प्राप्ति की इच्छा से अपने अंतिम समय में …
Read More »गोस्वामी तुलसीदास खानदानी कवि थे : Yogesh Mishra
बहुत कम लोग यह जानते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास खानदानी कवि थे ! इनके बाबा का नाम पं० सच्चिदानंद शुक्ल था ! जो अपने क्षेत्र के मशहूर कथावाचक एवं प्रसिद्ध भजन गायक भी थे ! वह अपने कथावाचन के लिए समय-समय पर विभिन्न तरह के भजन का निर्माण किया करते …
Read More »शैव और वैष्णव योगी में अंतर : Yogesh Mishra
भगवान श्री कृष्ण ने श्रीमद भगवत गीता के छंठे अध्याय के अठारहवे श्लोक में कहा है कि – यदा विनियतं चित्तमात्मन्येवावतिष्ठते !! निःस्पृहः सर्वकामेभ्यो युक्त इत्युच्यते तदा॥ 6/18 अर्थात्- जब (यदा), विशेष रूप से संयत किया हुआ (विनियतं), चित्त (चित्तम्), आत्मा में ही (आत्मनि एव), स्थित रहता है (अवतिष्ठते), तब …
Read More »रावण ने काशी यात्रा क्यों नहीं की : Yogesh Mishra
काशी भगवान शिव द्वारा स्थापित अनादि नगरी होने के बाद भी शिव भक्त रावण ने अपने संपूर्ण जीवन काल में कभी भी काशी यात्रा नहीं की ! जबकि वह प्राय: काशी के ऊपर से पुष्पक विमान द्वारा कैलाश पर्वत भगवान शिव के साक्षात दर्शन करने के लिए जाया करता था …
Read More »एक ही मंत्र काफी है : Yogesh Mishra
समाज में धर्म की दुकान चलाने वालों तथाकथित संतों ने यह भ्रांति फैला रखी है, कि जीवन में अलग-अलग उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये अलग-अलग मंत्रों की साधना करनी चाहिये ! जबकि यह अवधारणा नितांत अव्यवहारिक, असिद्धांत और मंत्र विज्ञान के मूल भावना के विपरीत है ! अर्थात दूसरे शब्दों …
Read More »पूर्ण साधक के लिये सभी धर्म ग्रंथ व्यर्थ हैं : Yogesh Mishra
धर्म ग्रंथ दो तरह के होते हैं ! एक अनुभूति धर्म ग्रंथ और दूसरा ठगी धर्म ग्रंथ ! अनुभूति धर्म ग्रंथ से तात्पर्य उस धर्म ग्रंथों से है, जिनको हम से अधिक विकसित चेतना के स्तर के व्यक्तियों द्वारा ईश्वर की व्यवस्था को अनुभूत करके लिखा गया ! और ठगी …
Read More »आखिर हिंदू धर्म प्रतीक नाले तक कैसे पहुंचा : Yogesh Mishra
हिंदू सदैव से राजसत्ता का चाटुकार और धर्म के प्रति दोगला रहा है ! यही वजह है कि हिंदू धर्म के सर्वश्रेष्ठ पीठाधीश्वर भी हिंदुओं को संगठित करने के स्थान पर चंदा बटोरने के लिए शहर शहर चांदी की खड़ाऊ लेकर घूमते हैं ! आज हिंदुत्व के नाम पर बस …
Read More »