समाज में धर्म की दुकान चलाने वालों तथाकथित संतों ने यह भ्रांति फैला रखी है, कि जीवन में अलग-अलग उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये अलग-अलग मंत्रों की साधना करनी चाहिये !
जबकि यह अवधारणा नितांत अव्यवहारिक, असिद्धांत और मंत्र विज्ञान के मूल भावना के विपरीत है ! अर्थात दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जीवन में यदि एक मंत्र आपने सिद्ध कर लिया है, तो उसी मंत्र से जीवन में सभी उपलब्धियों को प्राप्त किया जा सकता है !
जैसे विश्वामित्र जी ने मात्र गायत्री मंत्र से अपने जीवन के सभी मनोरथों को पूरे कर लिया था ! कालिदास जी ने भी मात्र निर्माण मंत्र से अपने जीवन के सभी मनोरथों को पूरे किया था ! इसी तरह हम लोगों के समकालीन पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य ने भी यह सिद्ध कर दिया कि अकेला एक मंत्र ही आपके जीवन के सभी मनोरथों को पूर्ण करने में सक्षम है !
मंत्र विज्ञान वास्तव में होता क्या है ?
जब आप किसी मंत्र का अनुष्ठान करते हैं, तो आपके मस्तिष्क और शरीर के अंदर उस मंत्र के अनुरूप तरंगों में परिवर्तन होता है ! जिससे आपका मस्तिष्क ब्रह्मांडीय ऊर्जाओं से जुड़ जाता है और ब्रह्मांड की शक्तियां आपको वह सभी कुछ दे देती हैं, जो आपकी कामना होती है !
और जब हम अलग-अलग मंत्रों का अनुष्ठान करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क अलग-अलग तरंगों को विकसित करने में अधिक समय लेता है ! जिससे जीवन का बहुमूल्य समय बर्बाद हो जाता है और उपलब्धियां भी बहुत थोड़ी सी ही प्राप्त होती हैं !
इसलिए जीवन में एक ही मंत्र की साधना काफी है ! वह मंत्र आपको गुरु ने दिया हो या आपने किसी ग्रन्थ या स्वप्रेरणा से ईश्वर से प्राप्त किया हो ! एक ही मंत्र की साधना आपके संपूर्ण जीवन के लिए पर्याप्त है !
इसलिए विभिन्न मंत्रों के प्रपंच में न फंस कर अपने जीवन का बहुमूल्य समय कहीं भी नष्ट मत कीजिए ! शांति पूर्वक जो मंत्र आपके पास है, उसी में सतत साधना कीजिए ! आपको आपके जीवन की सभी उपलब्धियां उसी मंत्र से प्राप्त हो जाएंगी !!