कहने को तो भारत एक अति विकसित विकासशील देश है ! रोज रोज विकास के नये –नये कहानी किस्से भी सुनने में आते हैं !
किन्तु इसके बाद भी आपने कभी यह महसूस किया कि गरीब परिवारों के बच्चे गरीबी में जन्म लेने के बाद पूरा जीवन अपने समर्थ के अनुसार अच्छी से अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी पूरा जीवन गरीबी में ही गुजार देता हैं !
या दूसरे शब्दों में कहा जाये कि भारत में शिक्षा की संरचना कुछ इस तरह से की गई है कि व्यक्ति के माता पिता अपने बच्चे की शिक्षा के लिये कितना भी रुपए खर्च कर दें फिर भी बच्चे को मात्र डिग्रियां ही मिल जाती हैं ! उनका बौद्धिक विकास कभी नहीं होता है !
और यदि वह कहीं नौकरी पा भी जाये तो उसे जीवन भर बड़े से बड़े पद पर होने के बाद भी अपमानित ही होना पड़ता है क्योंकि यहाँ इस दुर्व्यवस्था पूर्ण जीवन में सभी के बाप बैठे हैं !
इसके साथ ही अपने अगली पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिये अन्तत: या तो स्वाभिमान से समझौता करना पड़ता है या फिर भ्रष्टाचार के मार्ग को अपनाना पड़ता है !
उसी का परिणाम है कि आज भारत में स्नातक और परास्नातक बच्चों को स्वरोजगार के नाम पर दिल्ली के सदन से पकोड़े बेचने की सलाह दी जा रही है !
यह सलाह हमारी शिक्षा व्यवस्था के नितांत असफल होने की सूचना है !
अर्थात मेरे कहने का तात्पर्य है कि आज बच्चों के साथ शिक्षा से अधिक उनके व्यक्तित्व पर काम करने की जरूरत है ! क्योंकि आज भारतीय बच्चे असामयिक परंपरागत दायरे में ही विकसित हो रहे हैं और उसी का परिणाम है कि अपने जीवन की असफलताओं को भारतीय बच्चे अव्यवहारिक परवरिश की दुर्व्यवस्था न मान कर अपने भाग्य का हिस्सा मान कर असफल जीवन जी रहे हैं !
जबकि ईश्वर सभी को विकास का बराबर मौका दिया है ! लेकिन उस मौके को पहचानने की समझ न होने के कारण आज भारत के बच्चे विकसित नहीं हो पा रहे हैं ! इसके लिए सनातन ज्ञान पीठ संस्थान ने आन लाईन 3 महीने का एक विशेष संवाद अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है !
जिसमें स्नातक या परास्नातक की शिक्षा ले रहे बच्चे प्रवेश ले सकेंगे ! इस क्षेत्र में अभी तक कोई भी सरकारी या गैर सरकारी संस्था कार्य नहीं कर रही है !
और अधिक जानकारी और पंजीकरण के लिए आप कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं !!