महापुरुष जंगल क्यों चले जाते हैं : Yogesh Mishra

84 लाख योनियों में अपने चेतना के प्रति मनुष्य ही सबसे संवेदनशील जीव है ! अतः ईश्वर द्वारा मनुष्य को यह वरदान प्राप्त है कि वह निरंतर अपने चेतना के विकास करने के लिये चेतना की ऊर्जा के प्रति संवेदनशील रह सके !

गौतम बुद्ध, महावीर जैन, भगवान राम, वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त ऋषि जैसे हजारों नाम लिये जा सकते हैं जिन्होंने अपनी चेतना का विकास करने के लिए अंततः प्रकृति की शरण में जाना ही उचित समझा !

पर ऐसा क्यों है के बड़े-बड़े विचारक, चिंतक, राजकुमार, राजा, ऋषि, महर्षि आदि आदि अपनी आत्म चेतना के विकास के लिए बड़े-बड़े सुविधा संपन्न नगरों को छोड़कर जंगल की ओर चले जाते हैं !

इसका एक मात्र मूल कारण यह है कि प्रकृति निरंतर स्वाभाविक अवस्था में हमारी चेतना को शोधित, जागृत और विकसित करती रहती है !

यह रहस्य अपने चेतना की ऊर्जा के प्रति संवेदनशील व्यक्ति आसानी से समझ सकता है और सुविधा संपन्न नगर सदैव निरंतर हमारी चेतना की ऊर्जा में ह्रास करते रहते हैं !

जो व्यक्ति अपने चेतना की ऊर्जा के प्रति जागरूक है ! वह नगरीय जीवन में चेतना की ऊर्जा के ह्रास और प्रकृति के निकट जंगलों में चेतना की ऊर्जा के सतत विकास में बहुत आसानी से अंतर महसूस कर सकता है !

जिस ईश्वर ने इस प्रकृति को बनाया है ! उसी ने हमें भी बनाया है ! हमारी चेतना उसी प्रकृति का अंश है, जिस अंश से यह प्रकृति निर्मित है !

मनुष्य ने अपने विकास के साथ विलासिता के लिए नगरों का कृतिम निर्माण किया ! यह मनुष्य के कृतिम जीवन शैली की अवस्था है ! इसीलिए नगरों में मनुष्य की चेतना ऊर्जा निरंतर क्षय की गति को प्राप्त होती रहती है !

जब बड़े बड़े नगरों का निर्माण किया जाने लगा तो चेतना ऊर्जा के प्रति संवेदनशील लोग तपस्या के नाम पर नगरों को छोड़कर गहन जंगलों की ओर प्रस्थान करने लगे और उन्हें वहां पहुंचकर अपनी चेतना की ऊर्जा में स्वाभाविक विकास की अनुभूति हुई !

यही ऊंचे पर्वत और गहन जंगलों के बीच तीर्थों के निर्माण की मुख्य वजह भी रही है ! इसलिए अपने जीवनी ऊर्जा को विकसित करने के लिये चेतना ऊर्जा के प्रति संवेदनशील लोग नगरों को छोड़कर जंगलों की ओर प्रस्थान कर जाते हैं !

आज के कृतिम विकसित समाज में सभी आधुनिक सुविधाओं के रहते हुये भी ऐसा संभव नहीं है लेकिन यह मेरी निजी अनुभूति है कि यदि व्यक्ति वर्ष में दो बार कम से कम 10-12 दिन के लिए शहरों को छोड़कर गहन जंगल या पर्वतीय क्षेत्र में प्रकृति के निकट निवास करता है, तो निश्चित रूप से उसे अपने चेतना की ऊर्जा के स्वत: विकास की अनुभूति होती है ! जो व्यक्ति के आत्म कल्याण में बहुत सहायक है !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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