नई विश्व व्यवस्था में कृतिम भुखमरी का दुष्चक्र : Yogesh Mishra

आने वाले समय में अन्न पर पहला हक़ रोटी, शराब और पेट्रोल में किसका होगा ! जैसा कि फोटो से स्पष्ट है कि गोदामों में अनाज सड़ता नहीं बल्कि किसी के इशारे पर जानबूझ कर खाने का अनाज सड़वाया जाता…
आने वाले समय में अन्न पर पहला हक़ रोटी, शराब और पेट्रोल में किसका होगा ! जैसा कि फोटो से स्पष्ट है कि गोदामों में अनाज सड़ता नहीं बल्कि किसी के इशारे पर जानबूझ कर खाने का अनाज सड़वाया जाता…
लोकतंत्र की खूबसूरती यही है कि यदि आम जनमानस की भावनाओं का जनप्रतिनिधि सम्मान न करें तो नागरिकों को यह अधिकार है कि वह अपने मौलिक अधिकार की रक्षा के लिये संगठन या समूह बनाकर आंदोलन खड़ा कर सकते हैं…
क्या आप जानते हैं कि आपका दिमाग ही विश्व सत्ता का नया हथियार है ! चलिये इस पर थोड़ा विस्तार से चर्चा करते हैं ! मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही मनुष्य की भावनाओं ने और महत्वाकांक्षाओं ने व्यक्ति को…
महोपनिषद् में वर्णित “अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम् ! उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम् !! ( अध्याय 4, श्लोक 71) अर्थात यह अपना बन्धु है और यह अपना बन्धु नहीं है, इस तरह की गणना छोटे चित्त वाले लोग करते…
व्यक्तित्व में कुछ गुण पैतृक या आनुवांशिक होते हैं ! शरीर का रंग, रूप, शरीर की बनावट गुणों से युक्त हो सकते हैं ! इसका कारण बालक को प्राप्त हुए अपने माता-पिता के गुणसूत्र (क्रोमोसोम्स) हैं ! बालक की आनुवांशिकता…
अपने को विकसित देश का विकसित नागरिक कहने वाले व्यक्तियों से मैं यह पूछना चाहता हूं कि विकसित मनुष्य की पहचान क्या है ! सनातन धर्म के अनुसार जिस मनुष्य में दया, प्रेम, करुणा, स्नेह, सम दृष्टि, सहयोग, सहकारिता, त्याग…
बीजिंग में चीन ने खनिज संसाधन में धनी तिब्बत काउंटी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अपने खनन को उचित ठहराया है ! यह क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है ! चीन ने कहा कि यह उसके अधिकार…
मध्य युग में पूरे यूरोप पर राज करने वाला रोम ( इटली ) नष्ट होने के कगार पर आ गया है ! मध्य पूर्व को अपने कदमो से रौंदने वाला ओस्मानिया साम्राज्य (ईरान,सऊदी, टर्की) अब अपने घुटनो पर है !…
प्रत्येक व्यक्ति के चरित्र का निर्माण उसके पूर्व जन्म के संचित संस्कार और वर्तमान परिवेश के अनुरूप होता है ! किंतु एक विषय पर अभी तक मनोवैज्ञानिक चुप हैं कि क्या मनुष्य के द्वारा बोली जाने वाली भाषा का भी…
हमारा ऐतराज़ इस नई विश्व व्यवस्था की वक़ालत करने वाले मूल्यों और नियमों को लेकर नहीं है ! बल्कि हमारी आपत्ति उन तरीक़ों और माध्यमों को लेकर है जिन्हें ईजाद करके नई विश्व व्यवस्था लागू करने के लिये किया जा…