लग्नाधिपति और गुरु या शुक्र का केन्द्र में स्थापित होना जातक को दीर्घ जीवी और राजनीति में सफ़ल होने के लिये अपनी युति देता है तो ऐसे जातक को जीवन भर स्वस्थ शरीर का सुख बना रहता है।
जन्म राशि व लग्न का शुभ ग्रहों से युक्त अथवा देखना शरीर को निरोगी बनाने मे और शरीर को स्वस्थ रखने का कारक माना जाता है।
लग्न का स्वामी बलवान होकर शुभ ग्रहों से युक्त हो तो शरीर स्वस्थ होता है।
लग्न मे जल राशि हो तो शरीर मोटा होता है तथा लग्नेश जलग्रह बलवान हो तो शरीर स्वस्थ होता है।
लग्न का स्वामी चर राशि मे शुभ ग्रह से देखा जा रहा हो तो शरीर स्वस्थ होता है, कीर्तिमान भी होता है और संसार में आदर पाने वाला होता है।
चन्द्र राशि और लग्न का स्वामी एक ही स्थान पर हो तो शरीर मोटा होता है।
लग्न का स्वामी जल राशि मे हो शुभ ग्रह चन्द्र, बुध, गुरु या शुक्र से युक्त हो और जलचर ग्रह से देखने वाला हो तो शरीर ताजा और मोटा होता है।
शुभ ग्रह की राशि 4,3,6,9,12,2,7 हो और लग्न नवांश का स्वामी जन्म राशि का होवे तो शरीर स्वस्थ होता है।
शुभ राशि का लग्न हो और पापग्रह नही देखता हो तो शरीर स्वस्थ होता है।
जन्म लग्न मे गुरु हो या लग्न को गुरु देखता हो तो शरीर स्वस्थ होता है।
लग्न स्वामी शुभ ग्रह के साथ राशि मे बलवान हो तो शरीर स्वस्थ होता है।
लग्न का स्वामी जल राशि मे बलवान शुभ ग्रह के साथ हो तो शरीर पुष्ट होता है।
यदि लग्नाधिपति चर राशि मे हो और उस पर शुभ ग्रह की द्रिष्टि हो तो शरीर बलवान होता है।