इस पृथ्वी पर प्रत्येक जीव की तरह मनुष्य भी, एक पशु ही है ! जो निरंतर आनंद के भ्रम में सुख की खोज करता रहता है ! जीवनी ऊर्जा के नाभि चक्र से अधोगामी होने पर मनुष्य को जो सुख प्राप्त होता है, वह संसार के किसी अन्य सुख के …
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क्या वैष्णव विपरीत संस्कृति के हैं : Yogesh Mishra
हिंदुओं को सदैव से यह शिकायत रही है कि मुसलमानों की जीवन शैली हिंदुओं के एकदम विपरीत है ! इसी आधार पर मुसलमानों ने मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में पाकिस्तान की मांग की थी ! जिसे तत्कालीन अंग्रेज सरकार ने स्वीकार भी कर लिया था ! लेकिन भारत के …
Read More »वैष्णव भक्ति क्यों अधूरी है : Yogesh Mishra
आपरिपक्व वैष्णव लेखकों का मत है कि कलयुग में व्यक्ति की बुद्धि और सामर्थ्य कम हो जाने के कारण व्यक्ति मात्र भक्ति के द्वारा ही ईश्वर को प्राप्त कर सकता है ! यह दर्शन या विचारधारा पूरी तरह से अपूर्ण है ! शैव जीवन शैली में दो आयामों के मिलन …
Read More »पुत्रेष्ठि यज्ञ का अज्ञात रहस्य : Yogesh Mishra
तीन तीन पत्नियों के होने के बाद भी शुक्राणु की निर्बलता के कारण राजवैध द्वारा लंबे समय तक चिकित्सा किये जाने के बाद भी जब 40 वर्ष की आयु बीतने तक राजा दशरथ को कोई उतराधिकारी पुत्र संतान प्राप्त नहीं हुई ! तब उन्हें मजबूर होकर शिव के भक्त और …
Read More »भारत के आदर्शतम प्रधान मंत्री : Yogesh Mishra
94 साल के एक बूढ़े व्यक्ति को मकान मालिक ने किराया न दे पाने पर किराए के मकान से निकाल दिया ! बूढ़े के पास एक पुराना बिस्तर, कुछ एल्युमीनियम के बर्तन, एक प्लास्टिक की बाल्टी और एक मग आदि के अलावा शायद ही कोई सामान था ! बूढ़े ने …
Read More »हिंदुओं को कथावाचकों से क्यों बचना चाहिये : Yogesh Mishra
जैसा कि हम सभी जानते हैं कथावाचक परजीवी होते हैं ! अर्थात भगवान की कथा के नाम पर अपनी दुकान चलाने के लिए यह लोग भक्त समूहों को भावुक और गुमराह करके अपना जीवन यापन करते हैं ! इसीलिए इन्हीं कथावाचक के कारण हिंदू धर्म में अनेक भ्रांतियां और विकृतियां …
Read More »हिंदू संस्कृति क्यों नहीं मिट सकती है : Yogesh Mishra
पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा लेखन हिंदू धर्म में ही हुआ है ! यह एक प्राचीन सभ्यता की लंबी महाश्रृंखला है या दूसरे शब्दों में कहा जाये तो हिंदू धर्म में लिखे गये ग्रंथों के मात्र नाम को ही यदि सूचीबद्ध किया जाये तो वह अपने आप में एक मोटा …
Read More »माया भ्रम नहीं अनुभूति का विषय है : Yogesh Mishra
किसी भी तथ्य या पदार्थ पर हर व्यक्ति की प्रतिक्रिया उसके संस्कार और बुद्धि के अनुसार अलग-अलग होती है ! अनुभूति के क्षेत्र में इस अलग-अलग प्रतिक्रिया को अलग-अलग अनुभूति भी कहा जाता है ! अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि किसी भी तथ्य या प्रकाश पदार्थ के विषय …
Read More »शैक्षिक डिग्री ज्ञान नहीं अहंकार की सूचक है : Yogesh Mishra
पूरे विश्व में जब उपनिवेशवाद की शुरुआत हुई और लोग हथियार लेकर दुनियां को जीतने निकल पड़े ! तब दुनियां ने जल्द जीत की इच्छा से हथियारों के विज्ञान का विकास हुआ ! विज्ञान के इस विकास के साथ ही साम्राज्यवादी दृष्टिकोण भी विकसित हुआ ! कैसे जल्दी से जल्दी …
Read More »आलोचना और समालोचना में अन्तर !
प्राय: आलोचना और समालोचना का अन्तर नहीं जानते हैं ! और लोग अक्सर ऐसा कहा करते हैं कि अमुक (व्यक्ति, वस्तु या कार्य) की आलोचना मत कीजिए ! ऐसा कहने वाले लोग आलोचना और समालोचना दोनों को एक ही एक ही मानते हैं ! जबकि दोनों में बहुत से मूलभूत …
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