आयुर्वेद, अवसाद, चिंता और ओसीडी जैसे विकारों में उपचार के रूप में काफी महत्त्वपूर्ण नतीजे देता है ! इस तरह के अध्ययन हुए हैं जिनमें पता चला है कि आयुर्वेद की दवा की खुराक को बढ़ाने के साथ मरीज में एलोपैथी की दवा की खुराक की निर्भरता कम हो जाती गई है ! ऐसे भी अनेक मामले सामने आये हैं जिनमें एलोपैथी दवाओँ पर निर्भरता पूरी तरह खत्म कर गई है !
आयुर्वेदिक दवाएं मरीज़ में एक समग्र बदलाव लाती हैं जबकि एलोपैथी विकार के विशिष्ट लक्षणों पर ही काम करती है ! आयुर्वेद पारम्परिक खानपान और जीवनशैली पर ज़ोर देता है और इसके अलावा योग, व्यायाम और हर्बल उपचार भी उसमें शामिल हैं ! यह एक वैकल्पिक उपचार के रूप में प्रमाणित हैं जिसमें न सिर्फ शारीरिक और मनोवैज्ञानिक विकारों का उपचार शामिल है बल्कि यह आगामी बीमारियों से भी निजाते दिलाने के लिये व्यक्ति की जीवनशैली में बदलाव लाता है !
स्वास्थ्य को लेकर आयुर्वेद की अपनी परिभाषा है, जिसमें एक स्वस्थ दिलोदिमाग का एक महत्त्वपूर्ण रोल है ! एक समग्र विज्ञान के रूप में, आयुर्वेद मन, शरीर और आत्मा और इन्द्रियों और उनकी कार्यप्रणाली के बीच एक पारस्परिक संबंध की पड़ताल करता है और यह आपके मानसिक सेहत को सुधारता है !
मनुष्य मन यानी मानस, आत्मा, शरीर और इन्द्रियों का एक संगठन है ! इसमें शामिल हैं मनोवैज्ञानिक इन्द्रियां जिन्हें ज्ञानेन्द्रियां कहते हैं, और शारीरिक अंग जिन्हें कर्मेन्द्रियां कहते हैं ! इन प्राथमिक घटकों की पारस्पारिकता ही व्यक्ति के स्वास्थ्य का संचालन करती है !
मानस तीन क्रियात्मक गुणो से बनता हैः सत्व, रज और तम ! इन गुणों स व्यक्ति का तत्व यानी चरित्र परिभाषित होता है ! सत्व गुण तमाम अच्छी चीज़ों का समुच्चय है- आत्म नियंत्रण, ज्ञान, जीवन में सही और गलत की समझ ! रज गुण गतिशील होते हैं, हिंसा, ईर्ष्या, प्राधिकार, इच्छा और दुविधा इसमें आते हैं ! तम गुण की विशेषताएं हैं सुस्ती, निष्क्रियता, नींद और बेसुधी ! इन गुणों में रज और तम को मनोदशा के रूप में रेखांकित किया जाता है ! सत्व, रज और तम मानसिक बीमारियों के लिये जिम्मेदार हैं जिन्हें मनोविकार कहा जाता है !
रज व तम काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, मान, मद, शोक, चिंता, उद्वेग, भय और हर्ष इन बारह विकारों को उत्पन्न करते हैं ! ये विकार उग्र हो जाने पर मन क्षुब्ध हो जाता है ! क्षुब्ध मन मस्तिष्क की क्रियाओं को उत्तेजित कर मानसिक रोग उत्पन्न करता है ! मन, बुद्धि, स्मृति, ज्ञान, भक्ति, शील, शारीरिक चेष्टा व आचार (कर्तव्य का पालन) की विषमता को मानसिक रोग जानना चाहिए !
विरूद्ध, दोष-प्रकोपक, दूषित व अपवित्र आहार तथा गुरु, देवता व ब्राह्मण के अपमान से बारह प्रकार के मनोविकार बढ़ते हैं और ज्ञान (शास्त्रज्ञान), विज्ञान (आत्मज्ञान), धैर्य, स्मृति व समाधि से सभी मनोविकार शांत होते हैं !
मानसो ज्ञानविज्ञानधैर्यस्मृतिसमाधिभिः !
चरक संहिता, सूत्रस्थानम् 1.58
ज्ञान विज्ञानादि द्वारा मन (सत्त्व) पर विजय प्राप्त कराने वाली इस चिकित्सा पद्धति को चरकाचार्यजी ने ‘सत्त्वावजय चिकित्सा’ कहा है !
आज का मानव शारीरिक अस्वास्थ्य से भी अधिक मानसिक अस्वास्थ्य से पीड़ित है ! मानस रोगों में दी जाने वाली अंग्रेजी दवाइयाँ मन व बुद्धि को अवसादित (डिप्रेस) कर निष्क्रिय कर देती है ! सत्त्वावजय चिकित्सा मन को निर्विकार व बलवान बनाती है ! संयम, ध्यान-धारणा, आसन, प्राणायाम, भगवन्नाम जप, शास्त्राध्ययन के द्वारा चित्त का निरोध करके सम्पूर्ण मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करती है !
आयुर्वेद नें हमें इतने सारी अलग अलग जड़ी बूटियां दी हैं, कि हमे अवसाद पर उपचार ढुंढने के लिए काफी दूर जाने की जरुरत नही हैं ! ऐसी ही कुछ जडी बूटियों की एक सूची का उल्लेख नीचे की पंक्तियों में किया है, जो आसानी से मिल सकती हैं, और अवसाद के उपचार में अद्भुत काम करती हैं !
पवित्र तुलसी (तुलसी पत्ता) – तुलसी के पत्ते के साथ कुछ चीनी, दालचीनी और सूखे अदरक जड़ों के साथ गर्म पानी डालकर मिश्रण बनाए और एक दिन में 5 से 6 बार उसे पिए ! इससे आपकी मनोदशा पर नियंत्रण रखने में मदद मिलेगी !
इलायची – इलायची की एक सुखद खुशबू होती हैं ! इसे आपकी चाय में डालकर ले ! यह चाय अपको शांत करेगी !
अदरक – यदि आपको इलायची पसंद नही हैं, तो आप अपनी चाय में कुछ अदरक डाल सकते हैं ! अदरक का अवसाद विरोधी गुण आपको खुश करने में मदद करेगा ! जल्द राहत मिलने के लिए आपके खाने में सूखी अदरक की जड़ का कुछ पाउडर डालें !
काली मिर्च – काली मिर्च अवसाद के लिए उपचार में उपयोग की जाने वाली एक अन्य महत्वपूर्ण जडी बूटी हैं, यह अवसाद के लिए कारक आपके दोषों को दूर करता हैं !
ब्राह्मी – ब्राह्मी एक बहुत लोकप्रिय आयुर्वेदिक पौधा हैं, जिसमे दिमाग को शांत करने वाले गुण होते है, जो एक व्यक्ति को शांत करने में मदद करते हैं ! ब्राह्मी तेल को बेचनें वाले कई ब्रांड हैं, जिसको नियमित रुप से लागू करना चाहिए, जिससे दिमाग शांत रहेगा !
हल्दी – हल्दी मौसमी अवसाद पर प्रभावी ढंग से उपचार करने में मदद करती है ! यदि आपको मौसम में परिवर्तन के साथ उदास लगता हैं, तो गर्म दूध में चीनी और कुछ हल्दी डाल कर ले सकते हैं और इस उपचार का सकारात्मक प्रभाव महसूस करने के लिए, इस मिश्रण को कम से कम एक सप्ताह तक ले !
जटामासी – जटामासी एक दिमाग को शांत करने वाली और एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी हैं ! यह जड़ी बूटी अवसादग्रस्तता की भावनाओं को मन से दूर करने में मदद करती हैं !
नींबू – हालांकि यह पूरी तरह आयुर्वेदिक नहीं है, लेकिन नींबू में अवसाद विरोधी गुण हैं ! नींबू निचोड कर कुछ चीनी के साथ खाए ! यह आपके मन को शांत करेगा !
उपर्युक्त जड़ी बूटियों के लिए इसके अलावा, योग अवसाद के लिए एक महान आयुर्वेदिक उपचार है ! जो लोग प्राणायाम और योगासन नियमित रूप से करते हैं, वह अवसाद और निराशा की भावना के लिए कम संवेदनशील होते हैं, ऐसा पाया गया हैं ! आप एक सुबह की सैर भी कर के देख सकते हैं !