क्या आपने सोचा कभी है कि जब भारत के लूट की दौलत और तकनीकि की चोरी से योरोप में औद्योगिक क्रांति संभव है ! तो भारत में यूरोप की तरह कोई औद्योगिक क्रांति क्यों नहीं हो सकी और क्यों भारत ऐतिहासिक रूप से महान होने के बाद भी यूरोप से मध्यकाल में औद्योगिक क्रांति में पिछड़ गया ? जबकि उस समय भी भारत में पूरी दुनिया की एक बड़ी जनसंख्या रहती थी !
इसका उत्तर मैं देता हूँ ! प्रकृति का यह नियम है कि जो भी समुदाय खुद से आत्म संतोषी हो जाता है या तो उसका सर्वनाश होता है या फिर वह गुलाम बना लिया जाता है और या फिर वह दूसरों पर आश्रित हो जाता है ! भारत के साथ भी धर्म की गलत व्याख्या के कारण यही हुआ !
विचार कीजिये कि क्या आप इमानदारी से कह सकते हैं कि आपको एक भारतीय होने पर गर्व है ? क्या आपको इससे ज्यादा गर्व तब नहीं होता यदि आप अमेरिकन की तरह ही भविष्य के विश्व के योजनाकार होते ! सच बात यह है कि हमें भारतीय होने पर फर्जी गर्व करना आज मजबूरी है ! कोई मुझे बतालाये कि पिछले एक हजार वर्षों में भारत की क्या उपलब्धि रही है ! सिवाय इसके कि अपने ही देशवाशियों को धोका देकर या अपनी बहन बेटी का सौदा कर के कुछ सम्पन्नता हासिल कर ली !
हम भारत को महान कह सकते हैं पर हमें यह स्पष्ट पता होना चाहिये कि भारत भूतकाल में महान था वर्तमान नहीं ! विगत कुछ वर्षों में या कुछ दशकों में हमने कुछ भी ऐसा नहीं किया कि जिसके आधार पर हम स्वयं को महान कह सकें ! जो सभ्यतायें केवल 400 से 500 वर्ष पहले उभरी थी ! आज वह सभ्यतायें मानव जाति की रक्षक, मार्गदर्शक और अग्रदूत बनी हुई हैं !
आज से मात्र 700 वर्ष पहले अमेरिकन के लोग जो विश्व से अलग थलग कटे हुये थे वह आज एक अमेरिकी होने पर गर्व कर रहे हैं क्योंकि उन्होंने दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाली तकनीक, दवाइयां, मशीनें की उपज अपने यहां की है और दुनिया के बड़े बड़े प्रबुद्ध लोगों का साथ लिया है ! जबकि भारत के लोग दुनिया को बेवकूफ बनाकर ठगने में ही लगे रहे और पूरे विश्व में अपनी विश्वसनीयता खो दी !
उसी का परिणाम है कि आज विश्व के समक्ष अपनी उपलब्धियां बताने के लिये हमारे पास कोई भी बड़ी चीज है ही नहीं ! जिस समय पूरा यूरोप खुद को विकसित बनाने में जुटा हुआ था ! उस समय भारतीय या तो गुलामी कर रहे थे या फिर ऐशो आराम कर रहे थे !
जबकि हम जानते हैं कि जिस समय यूरोप में भूखे नंगे आदिवासी रहते थे ! उस समय भारत में एक से एक महान गणितज्ञ और वैज्ञानिक पैदा हो चुके थे ! पर यह तो बहुत अपमान की बात है कि आज वही आदिवासी लोग मानव जाति के अग्रदूत हो गये और हम अपने इतिहास को ही देखते रह गये और बिछड़ते चले गये !
भारतीयों धर्माचार्यों ने आत्म सयंम और आत्म संतोषी की गलत परिभाषा देकर हमें नपुंसक बना दिया आज हमारे पास बस उतना ही पुरुषार्थ है कि हम विवेकहीन होकर बलात्कार कर सकते हैं बस ! हम धार्मिक और आध्यात्मिक होने का मात्र नाटक करते हैं ! हमसे ज्यादा अय्याश, लोभी, धूर्त, बेईमान, कर्तव्य विमुख, धर्म विमुख, समाज द्रोही, राष्ट्रघाती कोई नहीं है ! इसीलिये आज राष्ट्र का ही नहीं हमारा भी सर्वनाश हो रहा है !
जिस समय पुर्तगाल, ब्रिटेन, फ्रांस में छोटी छोटी नौकायें हुआ करती थी ! उस समय भारतीयों के पास समुद्र में जाने के लिये बड़े बड़े व्यवसायिक जहाज थे ! जिस समय पुर्तगाली लोग छोटी छोटी नौकाओं से भटकते भटकते भारत के दरवाजे तक पहुंचे थे ! उस समय भी भारत के राजाओं के पास बड़े-बड़े व्यवसायिक और नौसेना के जहाज हुआ करते थे ! जिस्र देख कर पुर्तगाली, ब्रिटेन, फ्रांस और डच निवासी भौचक रह गये थे !
पुर्तगाली भारत में मसाले का व्यापार करने आये थे ! क्योंकि उनके देश में मसाले नहीं होते थे ! लेकिन उन्होंने जब भारत के कर्तव्यविहीन, पलायनवादी, अराजक समाज को देखा तो उन्होंने यहां के उद्योग धंधों में अपने पैर जमाने शुरू कर दिये और बहुत ही कम समय में यहां के उद्योग धंधों पर अपना कब्जा कर लिया !
जिसकी सूचना जब ईसाइयों के धर्मगुरुओं को मिली तब उन्होंने इंग्लैंड की महारानी से कहकर एक समझौते के तहत चंदा जोड़कर “ईस्ट इंडिया कंपनी” का निर्माण करवाया ! जिसमें पैसा लगाने वालों के धन के सुरक्षा की गारंटी इंग्लैंड की महारानी ने ली था और योरोप के लोगों ने महारानी के विश्वास पर “ईस्ट इंडिया कंपनी” में पैसा लगाया था !
यह वही ईस्ट इंडिया कंपनी थी ! जो भारत में व्यापार करने आयी थी और भारत की शासक बन कर बैठ गई ! जिससे अपना पीछा छुड़ाने में 60 लाख भारतीयों को जान देनी पड़ी और लगभग 350 साल का समय लगा !
फिर भी हम नहीं जागे आज भी हम नाकारा और निकम्मों की तरह दूसरों को मूर्ख बनाकर धन कमाने और भोग विलास में लगे हुये हैं ! यदि ऐसा ही सब कुछ चलता रहा तो वह समय भी दूर नहीं है जब भारत के सारे प्राकृतिक संसाधनों पर पुनः विदेशियों का कब्जा होगा ! भारत के अंदर विदेशी पूंजीपतियों के बड़े-बड़े कल कारखाने स्थापित होंगे और आज जो हम अपने आप को स्वतन्त्र भारत का नागरिक कहते हैं ! हम उनके यहां थोड़ी सी मजदूरी के लिये गुलामी कर रहे होंगे ! जबकि उस समय भी भारत में स्वतंत्रता दिवस वैसे ही मनाया जाता रहेगा !
अब हमारे पास समय नहीं है यदि हमने जागरूक होकर अपने भविष्य को नहीं संभाला तो वह दिन दूर नहीं जो हमारे साथ हमारे भविष्य, स्वास्थ्य, राष्ट्र और संपत्ति चारों चीजों का विनाश हो जायेगा !
इसलिये धर्म और राष्ट्र की सही व्याख्या को समझो ! कर्तव्यनिष्ठ और पुरुषार्थी बनो ! जिससे हम अपना ही नहीं अपने बच्चों का भविष्य भी राष्ट्र के साथ सुरक्षित कर सकें !!
जय हिन्द जय भारत !!