धर्म को नाकारता आधुनिक युवा समाज : Yogesh Mishra

विज्ञान के प्रगति के साथ-साथ व्यक्ति के सोचने, समझने, विचार करने के तरीके में भी बहुत तेजी से परिवर्तन आया है ! आज व्यक्ति तथाकथित धर्म के मूल सिद्धांतों का विश्लेषण आज के विज्ञान के चश्मे से करना चाहता है !
धर्म का जो अंश तर्क संगत और स्वीकार्य नहीं लगता, उसे आज की युवा पीढ़ी सहज रूप से नाकार रही है ! जिससे अनेक धर्मों का अस्तित्व खतरे में आ चुका है ! उसमें एक धर्म हिंदू धर्म भी है !

जिसकी रक्षा के लिये लाखों की संख्या में साधु, संत, महात्मा, कथावाचक, शंकराचार्य आदि जगह जगह प्रवचन देकर युवा पीढ़ी को पुनः धर्म की ओर मोड़ने का असफल प्रयास कर रहे हैं लेकिन युवा पीढ़ी इनके अव्यवहारिक और बेबुनियाद तर्कों को मानने को तैयार नहीं है !

धर्म का यदि गहराई से अध्ययन किया जाये तो स्पष्ट रूप से यह समझा जा सकता है कि धर्म की अवधारणा किसी समय के समाज को व्यवस्थित रूप से चलाने के लिए नियंत्रित करने की दृष्टि से विकसित की गई थी ! जब हमारे पास आधुनिक विकसित विज्ञान नहीं था !

किंतु अब मनुष्य के पास एक विज्ञान है ! जिससे वह अपनी रक्षा स्वयं कर सकता है ! अतः उसे अब किसी भी अव्यावहारिक धर्म या मान्यता की आवश्यकता नहीं है !

आज समाज में व्यक्ति के जीने का तरीका, व्यक्ति की सोच समझ, सभी कुछ बदल चुकी है ! किंतु हमारे धर्म गुरु अभी भी समाज को अपने हजारों साल पुराने लिखे हुए ग्रंथों से चलाना चाहते हैं ! जिसका वह स्वयं अनुकरण नहीं करते हैं ! इसीलिए युवा पीढ़ी का धर्म गुरुओं के साथ वैचारिक संघर्ष है !

और होना भी चाहिए क्योंकि यदि हम हजारों साल पुराने ग्रंथों के सिधान्तों से ही चिपके रहेंगे तो अपने विकास के नये आयाम कैसे खोजेंगे ! इसलिए धर्म का वह अंश जो वर्तमान मनुष्य के विकास में सहयोगी नहीं है उसे यदि युवा पीढ़ी नाकर रही है, तो यह मनुष्य के विकसित होने का लक्षण हैं ! जिसका स्वागत होना चाहिये !
इस पर दुख नहीं हर्ष करना चाहिए कि हमारी युवा पीढ़ी हमसे अधिक समझदार है और धर्म के सैकड़ों साल पुराने अव्यावहारिक सिद्धांतों को अब वह अस्वीकार कर रही है ! जिनकी इस विज्ञान के दौर में कोई आवश्यकता नहीं है !

यह मनुष्य के विकास का सूचक है ! जो मनुष्य देश, काल, परिस्थिती के परिवर्तन के साथ धर्म के व्यावहारिक बदलाव को स्वीकार नहीं करते, वह मनुष्य निश्चित रूप से मानसिक रोगी होते हैं ! जो धर्म के व्यर्थ के सिद्धांतों को मान्यता और परंपरा के तहत ढोते रहते हैं !!

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

प्रकृति सभी समस्याओं का समाधान है : Yogesh Mishra

यदि प्रकृति को परिभाषित करना हो तो एक लाइन में कहा जा सकता है कि …