वैसे तो सामान्य परिस्थितियों में विश्व के सभी धर्मों को मानने वाले अपने अपने भगवान की तारीफ करते नजर आते हैं लेकिन जब भगवान परीक्षा लेता है तो भक्त प्रायः भगवान पर संदेह करने लगते हैं और उसी का परिणाम है कि व्यक्ति धर्म च्युत होकर उसका पतन हो जाता है !
आज मात्र 2 ग्राम कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को उसकी औकात दिखा रखी है ! आज का व्यक्ति अब भगवान पर विश्वास नहीं कर रहा है ! बल्कि जिस अल्कोहल को पीना तो दूर व्यक्ति उसके विषय में सुनना और देखना भी पसंद नहीं करता था ! आज वही व्यक्ति मंदिर में घुसने के पहले उसी अल्कोहल से हाथ धोकर अंदर जा रहा है !
आज व्यक्ति कोरोना वायरस के भय से मंदिर की घंटी नहीं बजा रहा है और न ही भगवान को प्रसाद चढ़ा रहा है ! चाहे भले ही अपने घर में स्वयं 6 बार खाना खाता हो ! लेकिन उसके भगवान आज भूखे हैं !
राम जन्मभूमि पर विवादास्पद ढांचे को गिराये जाने के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में विश्व हिंदू परिषद के अधिवक्ता द्वारा यही तर्क दिया गया था कि पुलिस की कड़ी सुरक्षा के कारण विवादास्पद ढांचे के स्थान पर बैठे हुये रामलला भूख से व्याकुल हैं ! इसलिये उस स्थान पर पूजा-अर्चना और प्रसाद लगाने की आज्ञा प्रदान की जानी चाहिये !
लेकिन वही हिंदू आज मंदिर के परिसर में जाने से भी कतरा रहा है ! पूजा अर्चना और प्रसाद तो दूर की बात है ! इंसान मंदिर के अंदर प्रवेश करने की कल्पना मात्र से भयभीत है !
कमोवेश यही स्थिति हर धर्म की है ! इंटरनेट पर सैकड़ों चित्र मिल जायेंगे जहां पर चर्च में जीसस क्राइस्ट को अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर से नहलाया जा रहा है जबकि वह स्वयं कभी अल्कोहल नहीं लेते थे ! और इसी तरह मक्का में काला पत्थर “हजरे अस्वद” को वहां के धर्म व्यवस्थापक स्वयं अल्कोहल युक्त सैनिटाइजर से धो रहे हैं जबकि इस्लाम में अल्कोहल का प्रयोग मना है !
सिख के गुरूद्वारे में निरंतर बनाये जाने वाला धार्मिक लंगर का प्रसाद अब बनना बंद हो गया है ! यह स्थिति हिंदू, मुसलमान, सिख, ईसाई की ही नहीं है ! बल्कि विश्व के समस्त धर्म के समस्त नागरिकों की है !
अब प्रश्न यह है कि क्या हमारा भगवान विज्ञान के आगे नतमस्तक हो गया है या हमारे उस भगवान में अब हमारे कल्याण का सामर्थ्य नहीं बचा ! जिस भगवान को लेकर हमने सदियों से हजारों धर्म शास्त्रों की रचना की और करोड़ों लोगों को अपने धर्म के अनुरूप जीवन शैली जीने को बाध्य करने के लिये उनकी हत्या कर दी !
अगर हमारा भगवान इतना कायर, कमजोर, अविश्वसनीय और निरर्थक है तो फिर उस भगवान के नाम पर इस विश्व में सदियों से धर्म युद्ध के नाम पर विनाश का तांडव क्यों हो रहा था !
मनुष्य को मनुष्य ही क्यों नहीं बने रहने दिया गया ! उसके ऊपर ईश्वर की आस्था जबरदस्ती क्यों थोप दी गई ! अगर वह ईश्वर इतना कमजोर है तो !
यह विचारणीय प्रश्न है कि हमें अब बदली हुई परिस्थितियों में ईश्वर पर विश्वास करना चाहिये या फिर विज्ञान के चमत्कारों पर ! अगर विज्ञान ईश्वर से अधिक शक्तिशाली है तो ईश्वर की जगह विज्ञान की आराधना करने में क्या बुराई है !!