किसी भी व्यक्ति के जीवन में हार की वजह उसके द्वारा संसार की क्रिया विधि को सही तरह से न समझ पाना ही है ! प्राय: हम लोग यह मानते हैं कि हम संसार की क्रिया विधि को पूरी तरह से समझते हैं !
लेकिन सच्चाई यह है कि हमें जीवन के दूसरे पड़ाव में पहुंचकर यह पता चलता है कि आज तक हम जिस तरह से जीते चले आ रहे हैं, वह संसार में जीने का सही तरीका था ही नहीं !
इसी वजह से जीवन भर के संघर्ष और तनाव को झेलने के बाद जब हमारे हाथ कुछ नहीं लगता तो हम हार मान लेते हैं और यह सोचने लगते हैं कि हमारे सोचने और जीने का तरीका तो सही था लेकिन यह संसार ही गलत था !
और फिर अपने अहं के पोषण के लिये दूसरों की आलोचना, सांसारिक क्रिया शैली की आलोचना, अपने असफलता की जिम्मेदारी दूसरों पर थोप शुरू कर देते हैं !
और न जाने कितने बहाने बना कर हम दूसरों को अपनी असफलता के लिए जिम्मेदार ठहरा देते हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि हम संसार को कभी भी सही तरह से समझ ही नहीं पाते हैं इसीलिये असफल होते हैं !
और उससे बड़ी बात यह है कि हम अपने आस पास के लोग भाई-बहन, बेटा-बेटी, पड़ोसी, शिष्य आदि को भी अपनी नासमझी के अनुसार ही जीने के लिए बाध्य करते हैं और अपने अहंकार में उन सभी का जीवन नष्ट कर देते हैं !
इस तरह हम अपना ही नहीं, बल्कि अपनी नासमझी से अपने साथ न जाने कितनों का जीवन नष्ट कर देते हैं ! जबकि एक अनपढ़ अज्ञानी व्यक्ति दूसरों के जीवन में अपनी नासमझी के कारण दखल नहीं देता है और वह अपने अज्ञान से मात्र अपना ही जीवन नष्ट करता है, किसी अन्य का नहीं !
और इस तरह सिद्ध कर देते हैं कि जीवन में हारा हुआ व्यक्ति अज्ञानी व्यक्ति से अधिक खतरनाक होता है !!