मानव ही नहीं समस्त जीव चेतना के तीन आयाम हैं ! एक आयाम गणित, विज्ञान और गद्य का है ! दूसरा आयाम प्रेम, काव्य, संगीत का है और तीसरा आयाम अनिर्वचनीय है ! न उसे गद्य में कहां जा सकता, न ही पद्य से ! न उसे तर्क से समझाया …
Read More »ध्यान की कला : Yogesh Mishra
ध्यान कोई जबरदस्ती लगाने की चीज बिल्कुल भी नही है ! आप जान बुझ कर जोर जबरदस्ती से ध्यान बिल्कुल भी नही लगा सकते हैं बल्कि व्यक्ति के एक विशेष मानसिक स्थिती में आने पर यह ध्यान तो एकाएक स्वत: लग जाता है ! ध्यान मन की एक अवस्था है, …
Read More »सभी धर्मग्रन्थ व्यर्थ हैं : Yogesh Mishra
धर्मशास्त्र शब्द पर आधारित सूचना के संग्रह से अधिक और कुछ नहीं हैं ! क्योंकि शब्दों में विराट ईश्वर नहीं समा सकता वह विशुद्ध अनुभूति का विषय है और शास्त्रों के शब्द मात्र हमारे मार्गदर्शक हैं, लेकिन साधना और अनुभूति हमें स्वयं करनी होगी ! बिना साधना और अनुभूति के …
Read More »समाधि का सूक्ष्म विज्ञान : Yogesh Mishra
मनुष्य में आकर्षण और अभिव्यक्ति के कई तल हैं ! जो मनुष्य के कर्मेंद्रियों और ज्ञानेंद्रियों को नियंत्रित करते हैं ! इन्हीं आकर्षण और अभिव्यक्ति को मनुष्य अज्ञानता में जन्म से मृत्यु तक अज्ञात कामना और वासना की संतुष्टि के लिये ढ़ोता रहता है ! संस्कार, स्वभाव, पूर्वाग्रह, विचार, कामना, …
Read More »द्रष्टा संन्यास आज की आवश्यकता है : Yogesh Mishra
शैव जीवन शैली में संन्यास का सीधा सा तात्पर्य जो भगवान के बनाये हुये संसार को में एक न्यासी के रूप में अपना जीवन यापन करता हो ! अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि ईश्वर की सृष्टि ईश्वर ही चला रहा है, हम तो मात्र उस सृष्टि में अपना …
Read More »काल से सभी पराजित हैं : Yogesh Mishra
इस सृष्टि में शिव के अतिरिक्त काल से अधिक सामर्थवान कोई भी नहीं है ! काल को जीतना मनुष्य के पुरुषार्थ का विषय ही नहीं है ! फिर वह चाहे भगवान राम, कृष्ण, बुद्ध, सिकंदर, चाणक्य, सुकरात आदि कोई भी हों ! इसी में एक और नाम जोड़ा जा सकता …
Read More »भगवान कहीं नहीं है : Yogesh Mishra
भगवान कहीं नहीं है : Yogesh Mishra दुनिया के सारे धर्म ग्रंथ मानव द्वारा निर्मित हैं ! सभी मंत्र, चालीसा, स्त्रोत, पुराण, उपनिषद, दर्शन, वेदान्त आदि सभी कुछ मनुष्य ने अपनी अनुभूति और समझ के आधार पर निर्मित किये हैं ! इन सभी धर्म ग्रंथों के निर्माण के पीछे एक …
Read More »ध्यान प्रक्रिया में बदलाव की जरुरत क्यों है : Yogesh Mishra
ध्यान प्रक्रिया हर देश काल परिस्थिती में अलग अलग समय पर अलग अलग रहीं हैं ! आधुनिक मनुष्य का मन मस्तिष्क प्राचीन काल से अलग है ! आज का बदला हुआ चित्त एक बहुत ही नयी घटना है ! कोई भी परंपरागत विधि अपने वर्तमान रूप में प्रयुक्त नहीं हो …
Read More »आपके अंतिम निर्णय पर भगवान का भी अधिकार नहीं है : Yogesh Mishra
कहने को तो अर्जुन भगवान श्रीकृष्ण के सखा अर्थात मित्र थे ! पर इसके अलावा अर्जुन कृष्ण के बुआ कुन्ती के लड़के अर्थात कृष्ण के बुएरे भाई भी थे ! इसके साथ ही अर्जुन जब अपनी ममेरी बहन सुभद्रा को भगा कर ले गये और कृष्ण ने बहन सुभद्रा के …
Read More »भगवान श्री कृष्ण का ब्रह्म तत्व स्वरूप : Yogesh Mishra
कहने को तो भगवान श्री कृष्ण के विराट व्यक्तित्व का बखान करने के लिये दो ही प्रमाणिक ग्रंथ हैं, जो कि उनके समकालीन लेखक श्री वेदव्यास जी द्वारा लिखे गये थे । पहला महाभारत और दूसरा श्रीमद् भागवत पुराण । किंतु भगवान श्री कृष्ण के विराट ब्रह्म व्यक्तित्व को जानने …
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