एडोल्फ हिटलर ने अपनी आत्मकथा में लिखा है: अगर तुम्हें किसी भी कौम से कोई काम करवाना हो, तो उसे किसी काल्पनिक शत्रु के नाम से भयभीत कर दो, फिर वह कौम कुछ भी करने को राजी हो जायहगी ! और यह उसने अपने अनुभव से लिखा है !
उसने लिखा है कि अगर किसी कौम को युद्ध पर लड़वाना हो, तो एक झूठा शत्रु पैदा कर दो, जिससे आप पर विश्वास करने वाला भयभीत हो जायह ! अगर सच्चा शत्रु मिल जायह तब तो ठीक, नहीं तो झूठा शत्रु खड़ा कर दो !
कह दो इस्लाम खतरे में है ! कह दो हिंदू धर्म खतरे में है ! कह दो भारत खतरे में है कि पाकिस्तान खतरे में है ! और बता दो कि खतरा कौन पैदा कर रहा है ! दुश्मन खड़ा कर दो, चाहे वह झूठा ही हो ! फिर तुम उस कौम को मरने और मारने के लिए राजी कर सकते हो ! फिर उससे तुम कोई भी बेवकूफियां करवाने के लिए उसे राजी कर सकते हो ! फिर अपनी खुद की आत्महत्या करने को उस कौम को राजी किया जा सकता है !
आदमी भयभीत हो जायह, फिर उसे किसी भी तरह राजी किया जा सकता है ! यह दुनिया के जो भी शोषक हैं, इस बात को बहुत भलीभांति जान गए ! लेकिन वृहत्तर मानव-समाज, हम सब अब तक भी ठीक-ठीक परिचित नहीं हो पाए हैं कि हमारा शोषण किन आधारों पर हो रहा है !
भय और प्रलोभन ही राजनीति का आधार है जिसके प्रभाव में व्यक्ति वास्तविक समस्या भूल जाता है ! इस तरह राजनीतिज्ञ जरूर मोटा और तगड़ा हो जाता है ! पर आम जनता परेशान ही रहती है और वह हमारी कमजोरियों का शोषण करते हैं और हमें समझते हैं कि तुम राष्ट्र और धर्म के लिये ऐसा करो !