विश्व सत्ता के षडयंत्र पर पैनी निगाह : Yogesh Mishra

मेरा यह मानना है कि विश्व में होने वाली सभी अप्रिय घटनाओं के पीछे एक विशेष वर्ग का हांथ है ! जो अपने निजी लाभ के लिये किसी भी स्तर पर गिर कर उसे अंजाम देती है ! उनके नुमाईनदे विश्व के हर महत्वपूर्ण स्थान पर अपने उद्देश्य को अंजाम देने के लिये बैठे हैं ! फिर वह चाहे मिडिया हो, पालटिक्स हो या फिर उद्योग घराने !

यह वैश्विक शतरंज के खिलाड़ियों की भांति अपने छिपे हुये एजेंडे को किसी भी हाल में लागू करते हैं ! आइये इसका विश्लेषण करते हैं ! वैसे कहने को तो अमेरिका और रूस अलग अलग हैं ! पर मुझे अंतर्राष्ट्रीय राजनीति पर विचार करते हुये यह आभास हुआ कि पुतिन ने आज जो खुद को नई विश्व व्यवस्था के निर्माण की योजना से अलग कर लिया है ! वह विश्व सत्ता का ही बहुत सोचा समझा फैसला है ! क्योंकि सबसे बड़ा प्रश्न ! उन्होंने अपनी इस सूचना को अपने भाषणों में भी स्पष्ट कर दिया और दुनियां को पुतिन ने बड़ी चतुराई से यह भी आभास दिया कि वह यहूदी षडयंत्रकारियों से दूर हैं !

हालांकि, सवाल यह है कि इस भाषण के दौरान वह इनसे नाराज क्यों नहीं हुये ! क्योंकि रूस में भी यहूदियों के पास एक बड़ी शक्ति है ! जो रूस की राजनीति को प्रभावित करती है ! पुतिन ने अपने भाषण में कहा कि सोवियत संघ की शुरुआत में सरकार में 85% यहूदी शामिल थे ! यह भी दिलचस्प है कि कई इतिहासकार और विचारकों के अनुसार यहूदी रुसी क्रांति के समय भी कई बड़े पावर ब्लॉक को नियंत्रित करते थे !

1915 में एक यहूदी अलेक्जेंडर जर्मन गुप्त सेवा के साथ मिलकर रूस में इलुमिनाटी बोल्शेविक तख्तापलट की योजना बना रहा है ! जिसके लिये उसने जर्मन वित्त मंत्रालय से 7 मिलियन जर्मन मुद्रा प्राप्त कर लिये थे ! आपको तब कल्पना करनी चाहिये कि उस समय की तुलना में जर्मन मुद्रा का मूल्य अब कम से कम एक हज़ार गुना हो गया है ! अलेक्जेंडर ने अपनी योजनाओं पर चर्चा करने के लिये ज़्यूरिख में 1904 में व्लादिमीर लेनिन से मुलाकात की ! अलेक्जेंडर स्पष्ट रूप से एक अंदरूनी सूत्र से उन्हें बतलाया कि बहुत जल्द औद्योगिक देशों के बीच एक विश्व युद्ध होने जा रहा है और यह होगा ही ! जिसकी तैयारी रूस को भी करनी चाहिये !

इसी प्रथम विश्व युद्ध का कारण सिंहासन फ्रांज़ फर्डिनेंड की ऑस्ट्रियाई वारिस की हत्या हुयी थी ! जो हिटलर की जन्म भूमि थी ! हत्यारों गैवरिलो प्रिंसिपल और नेडेल्को कैब्रिनोविक के परीक्षण के दौरान यह पता चला कि हत्या की योजना के पीछे ग्रैंड ओरिएंट के फ्रांसीसी यहूदी राजमिस्त्री थे ! हालांकि सर्बों को दोषी ठहराया गया था और सर्बों के बीच एक विशाल सामूहिक वध किया गया था !

यह ही प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत थी ! इस घटना के बाद भी रूसी सीज़र नहीं चाहता था कि सर्ब ऑस्ट्रो-हंगरी के दबाव के सामने झुकें ! सर्बिया को रूस, फ्रांस और इंग्लैंड द्वारा सभी सैन्य समर्थन का वादा किया गया था अगर उसने ऑस्ट्रिया से मांगों को नहीं दिया ! फ्रांसीसी फ्रीमेसोनरी ने इसलिये सर्बियाई पर हत्या का दोष लगाकर उन्हें एक सचेत संघर्ष को आगे बढ़ाया ! वह निश्चित रूप से जानते थे कि रूस सर्बियाई लोगों को नहीं जाने देगा, जिनके साथ उनका एक मजबूत ऐतिहासिक संबंध है ! ऑस्ट्रिया ने जर्मनी को युद्ध में घसीटा और इसलिये हिटलर यहूदियों की रण नीति को ही दोषी मानता था !

यहूदी अलेक्जेंडर परवस कम उम्र से ही लेनिन के कोच और प्रायोजक थे ! पहले से ही उसने 1901 में म्यूनिख, जर्मनी में स्थित एक समाचार पत्र “इस्क्रा” (चिनगारी) में लेनिन को संपादक बनाया ! फिर इसी प्रतिरोध अखबार के जरिये रूस को नियंत्रित किया ! रूस में घुसपैठ की तकनीक शुरू की और अमेरिका के जेपी मॉर्गन समूह ने रूसी क्रांति के वित्तपोषण में एक प्रमुख भूमिका निभाई थी !

पहली रुसी क्रांति ने ज़ार निकोलस द्वितीय की शक्ति और संसद के गठन का नेतृत्व किया था ! अलेक्जेंडर पार्वस ने पहले भी इस पहली क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाई थी ! फरवरी 1905 में रूस में फिर इसने अराजकता का नेतृत्व किया और रूस में एक अस्थायी सरकार ने पदभार संभाला ! जिस वजह से ज़ार निकोलस ने मार्च 1917 मे सिंहासन छोड़ दिया और जुलाई 1917 में रूस की बोल्शेविक पार्टी लगभग समाप्त हो गई ! किन्तु अक्टूबर क्रांति के दौरान हालांकि लेनिन के नेतृत्व में बोल्शेविक पार्टी ने अंतरिम सरकार को उखाड़ फेंका ! बोल्शेविकों ने खुद को विभिन्न मंत्रालयों के नेताओं का नाम दिया और देश का नेतृत्व संभाला ! जबकि इस सब के पीछे अमेरिका का पैसा और यहूदियों का दिमाग था !

अलेक्जेंडर ने 1916 में बोल्शेविक के भी तख्तापलट की तैयारी शुरू की ! उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि लेनिन के पास वह सारा पैसा था जितनी इस कार्य के लिये जरूरत थी ! जेपी मॉर्गन समूह में मुख्य रूप से यहूदी ज़ायोनी शामिल थे ! विशेष रूप से जेकब और मोर्टिमर शिफ, फेलिक्स वारबर्ग, ओटो एच ! काह्न, मैक्स वारबर्ग, जेरोम जे ! हनूर, अल्फ्रेड मिलनर और गुगेनहाइम तांबे परिवार ने लेनिन की बोल्शेविक पार्टी को वित्तपोषित किया करते थे !

यहूदी पॉल और फेलिक्स वारबर्ग भी कुहन और लोएब एंड कंपनी के सह-मालिक बने इन सभी निवेशकों ने मिलकर योजनाबद्ध तरीके से रूस के तख्तापलट के लिये आवश्यक पूंजी उपलब्ध करवाई ! लेनिन और पार्वस को इस कार्य के लिये एक मिलियन डॉलर का सोना प्राप्त हुआ था ! अन्य स्रोतों में 6 मिलियन डॉलर के सोने का भी उल्लेख मिलता है ! लेनिन ने स्विटजरलैंड से सील की गई ट्रेन में इस सोने को फिनलैंड पहुँचाया था ! इसके लिये वह लम्बे समय तक जर्मन क्षेत्र में रहा, जो अपने आप में उल्लेखनीय है !

इसलिये हम सुरक्षित रूप से कह सकते हैं कि अमीर यहूदी बैंकरों ने रूसी क्रांति की योजना बनाई थी ! इसलिये यह आश्चर्यजनक नहीं है कि लेनिन के अधीन पहली सोवियत सरकार में 85% के लिये यहूदी शामिल हुये थे ! आखिरकार, तख्तापलट करने वाले यहूदी ही थे ! जो मात्र लेनिन का नाम प्रयोग कर रहे थे ! यहूदी ज़ायोनी लॉबी ने सभी प्रमुख विश्व युद्धों की शुरुआत की और वित्त पोषण किया ! मैं मानता हूं, इस तरह से इसे स्वीकार करना थोड़ा कठिन है ! लेकिन यदि आप स्वयं कुछ शोध करते हैं तो आप भी इसी निष्कर्ष पर पहुंचेंगे !!

स्कॉटिश संस्कार के एक्स.एन.यू.एम.एक्स डिग्री फ्रैमासन में प्रमाण के तौर पर रखा अल्बर्ट पाइक का वह 1871 का पत्र प्रमाण है जिसमें तीन विश्व युद्धों की योजना बतलायी की गयी थी ! जिसके अनुसार ही आज भी पूरी दुनियां चल रही है !

पर इस सब के बाद भी यह ध्यान दीजिये कि पुतिन ने नई दुनिया के आदेश से अपने बिल्कुल भी अलग नहीं किया है ! वास्तव में बहुत से छिपे प्रश्न हैं ! जैसे “ब्रिक्स के नियंत्रण में आज भी कई देश क्यों हैं और रूस ने डॉलर से खुद को डिस्कनेक्ट क्यों नहीं किया है और रूस ने आज भी अपने स्वयं के पैसे प्रिंट करना शुरू नहीं किया है ? “किसके इशारे पर व्लादिमीर पुतिन चल रहे हैं ? आपने अनुमान लगाना चाहिये !

और आज भारत भी इन्हीं षडयंत्रकारियों का मोहरा बन रहा है ! जिसे सभी भारतवासियों को समझना चाहिये !!!

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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