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वैष्णव लेखकों ने समाज को कैसे विकास विरोधी बना : Yogesh Mishra

सभी कथावाचक बतलाते हैं कि रामायण समाज के हर वर्ग को जोड़ने का दिव्य ग्रंथ है ! यह कोई भी कथावाचक नहीं बतलाता है कि रामायण ने ही व्यक्ति के स्वतन्त्र चिंतन करने और अपनी राय प्रकट करने के संदर्भ में प्रतिबंध लगाने की शुरुआत की थी ! जिसकी पूरी …

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स्व ही कर्मों का प्रमाण है : Yogesh Mishra

प्राय: सभी धर्मों में ऐसा चिंतन है कि ईश्वर के समक्ष हर व्यक्ति को मृत्यु के उपरांत प्रस्तुत होना पड़ता है और उस समय व्यक्ति ने जो भी अच्छे या बुरे कर्म किए हैं, उसका सबूत देना पड़ता है ! साक्ष्य के तौर पर वैष्णव अग्नि को प्रमाण मानते हैं …

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सनातन धर्म वितण्डावादियों के हवाले : Yogesh Mishra

सामान्य भाषा में वितण्डावाद का अर्थ निरर्थक दलील, हुज्जत करना या निराधार लड़ाई-झगड़ा करना होता है ! जिसे दूसरे शब्दों में दूसरे की बातों या तर्कों की उपेक्षा करते हुए बस अपनी बात कहते चले जाने की क्रिया को वितण्डावाद कहते हैं ! और जब स्वार्थ या भावनात्मक कारणों से …

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मात्र संस्कृत भाषा हिंदुत्व का आधार नहीं है : Yogesh Mishra

यह एक चिंतन का विषय है कि भारत अनादि काल से विभिन्न भाषा और संस्कृतियों का देश रहा है ! फिर भी सभी धर्म ग्रंथ संस्कृत भाषा में ही क्यों मिलते हैं ? जबकि भारत के संदर्भ में तो यह विश्व विख्यात लोकोक्ति है कि “कोस कोस पर पानी बदले, …

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लाक्षाग्रह का सत्य : Yogesh Mishra

प्रयागराज इलाहबाद से 50 किलोमीटर दूर हंडिया के तथाकथित लाक्षागृह के निकट गंगा घाट पर बरसात के कारण टीला की मिट्टी ढह जाने के कारण करीब छह फीट चौड़ा सुरंग दिखाई देने लगी ! क्षेत्र में सुरंग की बात चर्चा में आने पर ग्रामीण वहां पहुंचने लगे ! साथ ही …

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चिंतन विहीन धर्म गुरु की तलाश : Yogesh Mishra

आज ही नहीं अनादि काल से मनुष्य बहुत अधिक चिंतन के पक्ष में नहीं रहा है ! कुछ महत्वपूर्ण संवेदनशील व्यक्तियों ने जो चिंतन किया, उसी से सनातन धर्म ग्रंथों का निर्माण हुआ है ! मानव समाज सदैव से चिंतन से कतराता रहा है और यह परंपरा आज भी चली …

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क्या ब्रह्मचर्य की अवधारणा एक भ्रम है : Yogesh Mishra

ब्रह्मचर्य को वैष्णव जीवन शैली में बहुत महत्व दिया गया है ! न जाने कितने कपोल कल्पित उदाहरणों से वैष्णव द्वारा मनुष्य को यह समझाने की कोशिश की जाती रही है कि जीवन में ब्रह्मचर्य से अद्भुत शक्तियां प्राप्त की जा सकती हैं ! प्राय: ब्रह्मचर्य के लाभ को बतलाते …

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मुक्ति और मोक्ष में अंतर : Yogesh Mishra

वैसे तो महाभारत के वन पर्व में लोमश ऋषि युधिष्ठिर को अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद की कथा सुनाते हैं ! इसी संवाद को कालांतर में अष्टावक्र गीता के नाम से जाना गया ! जो अद्वैत वेदान्त अर्थात शैव उपासना पध्यति का ग्रन्थ है ! जनक का संबोधन यहाँ …

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आपका संस्कार ही आपका भगवान है : Yogesh Mishra

वैष्णव जीवन शैली में एक अवधारणा यह भी है कि “होई है वही जो राम रचि राखा” अर्थात इस दुनिया में आपके साथ जो कुछ भी होना है, उसे ईश्वर ने पहले से ही लिख रखा है या दूसरे शब्दों में कहा जाए कि आप इस दुनिया में जो भी …

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क्या सभी के लिये वैष्णव राजाओं की पूजा अनिवार्य है : Yogesh Mishra

जैसा की मैंने अपने पूर्व के अनेकों लिखो में लिखा है कि भारत अनादि काल से शैव संस्कृति का अनुयायी रहा है ! भारत की उपजाऊ जमीन और प्राकृतिक संसाधनों पर कब्जा करने के लिए कृषि प्रधान वैष्णव संस्कृति के लोगों ने भारत पर आज से 10,000 वर्ष पूर्व छल …

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