मोहम्मद साहब ने इस्लाम की स्थापना पूरे विश्व में शांति कायम करने के लिए की थी, इस्लाम का अर्थ ही है “शांति में प्रवेश” | किन्तु उनके न रहने के बाद उनको मानने वाले एक वर्ग ने “इस्लाम” का उपयोग पूरी दुनिया में दहशत या आतंक फैलाकर सत्ता प्राप्त करने के लिये किया |
जिसके परिणाम स्वरुप मानवता दहल गई और पूरी दुनिया के अंदर इस्लाम को मानने वालों को दहशतगर्द या आतंकवादी कहा जाने लगा, जबकि ऐसा नहीं है इस्लाम को मानने वालों में बहुत से आत्मसयंमी, चिंतनशील, बुद्धिजीवी भी हैं किंतु इस्लाम धर्म के मठाधीश अपने निजी स्वार्थ के लिये या इस्लाम का झंडा गलत तरीके से बुलंद करने के लिए इस्लाम के धार्मिक ग्रंथों की गलत व्याख्या करके इस्लाम के मानने वालों को गुमराह कर रहे हैं |
इस्लाम को मानने वाला आम इंसान न तो इतना पढ़ा-लिखा है कि इस्लाम धर्म की पेचीदगियों को समझ सके और ना ही इतना शक्तिशाली है कि गलत व्याख्याकारों का विरोध कर सके | जिसका लाभ उठाकर अपने धर्म की दुकान चलाने वाले इस्लाम की गलत व्याख्या करके इस्लाम को “शांति का धर्म” बतलाते तो हैं लेकिन कार्य पूरी तरह से दहशतगर्द और आतंकवादियों जैसे ही करते हैं | जिसके परिणाम आज इस्लाम को गलत तरीके से मानने वाले विश्व के सभी देशो में अलग-थलग पड़ गये हैं और विश्व के सभी विकासशील और चिंतनशील देश इस्लाम को मानवता के लिए खतरा समझने लगे हैं |
अंतर्राष्ट्रीय परिपेक्ष में देखा जाए तो मुसलमानों की उत्पत्ति स्थल “अरब” आज अमेरिका के आधीन चला गया है | स्वयं अमेरिका के अंदर मुसलमानों के प्रवेश पर कड़ा प्रतिबंध है |
फ्रांस के अंदर बुर्का पहनना और मस्जिद के सामने सड़क पर नमाज अदा करना कानूनन अपराध है |
जर्मन में इस्लाम को मानने वाला कोई भी दांपत्य अपनी संतानों को वयस्क होने के पूर्व (18 वर्ष की आयु के पूर्व ) बिना उस संतान की इच्छा के खतना नहीं करा सकता है |
चीन के अंदर रोज़ा रखना अपराध घोषित कर दिया गया है |
जापान में “कुरान” खरीदना और बेचना कानूनन अपराध है | कोई भी मुसलमान जापान के अंदर अपनी कोई स्थाई संपत्ति नहीं बना सकता है |
रूस के अंदर मुसलमानों की स्थिति भी दयनीय है वहां पर मुसलमान किसी भी नई मस्जिद का निर्माण नहीं कर सकता है |
इराक पूरी तरह से अमेरिका के अधीन चला गया है और कुवैत, सीरिया, ईरान, अफ़गानिस्तान मुसलिम देश होते हुये भी आज खुद मुसलमानों से परेशान है |
यूरोप के अंदर विकासशील मुसलमान इसाई धर्म स्वीकार कर रहे हैं |
ऑस्ट्रेलिया के अंदर भी मुसलमानों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है और उनके लिए कठोर कानून बनाए जाने पर वहां के संसद की स्वीकृति प्राप्त हो गई है | इस तरह आने वाले 20 वर्ष के अंदर ही पूरी दुनिया में मुसलमान प्रभावहीन हो जाएंगे | परिणामतः विकासवादी मुसलमान दूसरे धर्मों में चले जाएंगे जैसा कि आज स्पष्ट रूप से योरोप और अमेरिका में ही नहीं पूरे विश्व में दिखाई दे रहा है | इस तथ्य की पुष्टि स्वयं इस्लाम के धर्म ग्रंथों से होती है जिसमें स्पष्ट रुप से यह लिखा है कि एक समय इस्लाम धर्म मात्र मक्का और मदीना के बीच ही रह जाएगा |