धर्मांतरण करवाने वाले यह अच्छी तरह से जानते हैं कि जब तक भारत में ब्राह्मणों का सम्मान रहेगा, तब तक यह धर्मांतरण करवाने वाले लोगों के षडयंत्र सफल नहीं होंगे ! क्योंकि भारत के अंदर कोई भी ऐसा सनातन हिंदू धर्म परिवार नहीं है, जिसका किसी न किसी ब्राह्मण संपर्क न हो ! चाहे वह ब्राह्मण ज्योतिषी हो, कर्मकांडी हो, कथावाचक हो, या पारिवारिक सलाहकार हो !
इस तरह किसी न किसी रूप में हिंदू धर्म के हर व्यक्ति का संपर्क ब्राह्मणों से होता है और धर्मांतरण करवाने वाले यह जानते हैं कि जब तक हिंदुओं का संपर्क ब्राह्मणों से बना रहेगा, तब तक उनके धर्मांतरण का षड्यंत्र हिंदुस्तान में पूरी तरह से सफल नहीं हो सकता है !
इसलिए धर्मांतरण कराने वाले संगठनों ने योजनाबद्ध तरीके से ब्राह्मणों को शोषणकारी और अत्याचारी कहलवाने अपने कुछ चमचों को धन व सुविधायें देनी शुरू की ! फिर धीरे-धीरे जो हिन्दू लोग धर्मांतरण करने वालों के इस “ब्राह्मण विरोधी अभियान” में सहयोगी बने, उन्हें भी इन पैशाची सभ्यता का पोषण करने वाले ने बहुत बड़ी मात्रा में धन और सुविधाएं दी और उनसे खुले रूप से सार्वजनिक मंचों पर ब्राह्मणों का विरोध करवाया !
ब्राह्मणों को निर्बल करने के लिए ब्राह्मणों द्वारा संचालित 1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने एक अभियान चलाकर ब्राह्मणों के सारे गुरुकुल को ब्रिटिश पार्लियामेंट से पास शिक्षा कानून के तहत लाठी, डंडे, गोली चलवा कर बंद कर दिया और जो ब्राह्मण कृषि आदि का कार्य करते थे, उनके ऊपर इतना अतिरिक्त लगान लगाया कि वह खेतीवाड़ी छोड़कर दूसरे कार्यों में लग गये !
ब्राह्मण क्यों की एक लड़ाकू नस्ल है ! अत: ब्राह्मणों ने भी हार नहीं मानी और आज तक डेढ़ सौ साल बाद भी ब्राह्मण विरोधी दर्जनों कानून होने के बाद भी ब्राह्मण अपने मूल अस्तित्व और प्रभाव को जिंदा बनाये हुए है ! यही धर्मांतरण करवाने वाले संगठनों की बड़ी समस्या है !
कहा जाता है कि ब्राह्मणों ने पूर्व में निम्न जाति के लोगों का शोषण किया ! यह अवधारणा भी धर्मांतरण करवाने वाले गिरोह द्वारा ही फैलाई गई है ! जितने भी निम्न जाति के नेता या हरिजनों के शुभचिंतक रहे हैं, वह सभी ब्राह्मणों द्वारा ही पोषित रहे हैं ! चाहे वह भीमराव अंबेडकर ही क्यों न हों !
आज जो संत कपोल कल्पित अपराध के तहत जेलों में पड़े हैं ! उनके कारावास में पड़े होने का कारण भी यह धर्मांतरण करवाने वाले गिरोह ही है ! इन धर्मांतरण करवाने वाले गिरोह का इतना प्रभाव है कि संसद और न्यायपालिका दोनों ही इन धर्मांतरण करवाने वालों के इच्छा के अनुसार कानून बनाने या निर्णय देने के लिए बाध्य हो जाते हैं !
जब तक भारत में ब्रिटिश पार्लियामेंट के मानकों पर निर्मित भारत का संविधान लागू रहेगा ! तब तक इस देश का उत्थान नहीं हो सकता और ऐसे धर्मांतरण करवाने वाले गिरोह निश्चित रूप से कार्य करते रहेंगे ! चाहे सत्ता में कोई भी बैठा हो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता ! इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि इलाहाबाद के कुंभ के अंदर ईसाइयों द्वारा धर्मांतरण करवाये जाने का अभियान बड़ी तेजी से चल रहा है !
शासन-प्रशासन के संज्ञान में संपूर्ण विषय है ! इसके बाद भी कुंभ क्षेत्र के अंदर इन धर्मांतरण करवाने वाले ईसाइयों को सरकारी खर्च पर टेंट और सुविधाएं दी गई हैं ! कहने को तो केंद्र और राज्य दोनों स्थानों में हिंदूवादी विचारधारा की सत्ता है और दोनों ही सत्ता शीर्ष अपने आप को हिंदू बतलाते हैं फिर भी मजबूर होकर इन्हें भी वही करना होता है जो धर्मांतरण करवाने वाला गिरोह चाहता है !