आखिर कौन सिद्ध करना चाहता है कि ब्राह्मण विदेशी हैं ? Yogesh Mishra

1855 मैं जब अंग्रेज पूरे के पूरे भारत से यहां के खजाने, पांडुलिपि और सनातन संस्कृति के समिति चिन्हों को लूटकर इंग्लैंड ले जाने लगे | उस समय जो उनके उपयोग का था उसे अपने पास रख लिया और जो उनके उपयोग का नहीं था उसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नीलाम करके मोटी रकम पैदा करने लगे | तब भारत के सम्मान और संस्कृति के रक्षार्थ ब्राह्मण समाज ने एकजुट होकर इन अंग्रेजो को भारत से खदेड़ में का निर्णय लिया |

क्योंकि गुरुकुलों का संचालन ब्राह्मण समाज ही करता था और गुरुकुलों में सभी जाति के नौजवान पढ़ा करते थे | अतः उन नौजवानों को संगठित कर अंग्रेजों को देश से खदेड़ना बहुत सरल था इसीलिए यह दायित्व ब्राह्मणों ने अपने कंधे पर लिया | इस पूरे के पूरे आंदोलन का वैचारिक केंद्र बंगाल का आनंद मठ बना | भारत के लगभग सभी गुरुकुलों ने इसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया | किंतु देश के कुछ गद्दार राजे-रजवाड़ों के कारण भारत से अंग्रेजों को खदेड़ने की योजना विफल हो गई और लगभग एक करोड़ 22 लाख भारतीयों को अंग्रेजों ने पेड़ों पर उल्टा लटका कर जिंदा ही नीचे आग जला कर उसमें भून दिया | जिस में अधिकांश संख्या ब्राह्मण और क्षत्रियों की थी | मरने के बाद भी महीनों तक उनकी लाशें पेड़ से लटकी रही | चील कौवों ने उनकी लाशों को नोच-नोच कर खाया और लाशों की बदबू के कारण लोगों ने उस मार्ग से आना जाना बंद कर दिया | आज भी प्रतीक के तौर पर सार्वजनिक स्थान पर ऐसे अनेक वृक्ष मिल जाएंगे | जिन के नीचे शिलालेख लिखा है कि 1857 की क्रांति के समय अंग्रेजों ने इसी पेड़ पर क्रांतिकारी शहीदों को उल्टा लटकाकर जिंदा जला दिया था |

बात यहीं खत्म नहीं हुई 1857 के विफल क्रांति के बाद भारत में दुबारा हिन्दुस्तानी सर न उठा सकें | इसके लिये भारतीय दंड संहिता 1860 पास की गई | जिसमें ऐसे प्रावधान किए गये कि यदि कोई भी भारतीय अंग्रेजों के विरुद्ध किसी भी प्रकार का कोई भी प्रयास करता है तो उसे तत्काल गिरफ्तार करके दंडित किया जा सके | यह गिरफ्तार करने वाले भी अंग्रेज अफसर थे और दंडित करने वाले भी अंग्रेज अफसर ही थे |

एक पक्षीय कानून व्यवस्था, एकपक्षीय न्याय व्यवस्था, एकपक्षीय कारावास व्यवस्था से दुखी होकर चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, लोकमान्य तिलक, उधम सिंह, सुखदेव जैसे लोगों ने सशस्त्र विद्रोह का रास्ता अपना लिया | हथियार खरीदने के लिये देश में अंग्रेजों के खजाने लुटे जाने लगे | सरेआम अंग्रेज अधिकारियों की हत्या की जाने लगी और देश के अंदर पूरी की पूरी प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा गई | जिससे परेशान होकर भारतीयों को शास्त्र विहीन करने के लिये ब्रिटेन की पार्लियामेंट ने भारतीय आयुध अधिनियम पास किया जिसके तहत कोई भी भारतीय बिना अंग्रेजों की इजाजत के कोई भी हथियार नहीं रख सकता था |

भारत में बार बार अंग्रेजों के खिलाफ इस तरह के क्रांतिकारी घटनाओं का डेटा इकट्ठा करने के बाद अंग्रेजों ने यह पाया कि देश के अंदर जो भी क्रांतिकारी घटनायें हो रही है | उसके पीछे अधिकांशत: देश के ब्राह्मण नौजवान का हाथ है या इन नौजवानों को कहीं न कहीं ब्राह्मणों का समर्थन प्राप्त है | अतः समाज के अंदर ब्राह्मणों के प्रति घृणा का वातावरण पैदा करने के लिए अंग्रेजों ने पूरे विश्व से कई विद्वानों को किराये पर लिया मैक्स मूलर, फ्राक्वीस वर्नियर, सर जॉन मार्शल, गार्डन चाईल्ड, मार्टीमर व्हीलर आदि आदि अंग्रेजो के द्वारा पैदा किए गये वह तथाकथित विद्वान् पिट्ठू थे | जिन्होंने हिंदूओं के इतिहास और धर्म शास्त्रों में जहर घोला फिर देश को कमजोर करने के लिये ब्राह्मणों को अपमानित करने और उन्हें विदेशी घोषित करने का इतिहास रचा | जिस कार्य में आज भी अमेरिका और ब्रिटेन प्रोजेक्ट बना कर लगा हुआ है |

उस समय तक ब्राह्मणों के अलावा कोई भी अन्य व्यक्ति सन्यास नहीं लेता था | अंग्रेजों ने एक योजना बनाकर गैर ब्राह्मणों को सन्यास लेने का अधिकार दिया | जैसे आज हिन्दू कानून के द्वारा विधर्मी बन सकता है | ऐसी कानूनी व्यवस्था बना कर अपने ढोंगी और पाखंडी अंग्रेजों के दलालों को भगवा कपड़े पहनाकर ब्राह्मणों का विरोध करने के लिए समाज में छोड़ दिया गया और उनके खर्चे अंग्रेज अधिकारी उठाया करते थे | इनका ट्रेनों में आने जाने का पास फ्री होता था और इनके साथ कोई घटना न हो इसके लिये इन्हें कानून व सरकार से संरक्षण प्राप्त था | इन्हीं लोगों ने श्रीमद्भगवद्गीता को नवजवानों से दूर रखने के लिये उसे बृद्धा अवस्था में पढ़ने का विषय बतलाया | क्योंकि उस समय श्रीमद्भगवद्गीता के प्रभाव से नवजवान क्रांतिकारी बन रहे थे |

इन्होने ही बताया कि माता सीता चरित्रहीन थी | द्रोपती के कारण महाभारत हुआ था | समाज को धर्म, शास्त्र और उनके संरक्षक ब्राह्मण से दूर रखने के लिये इसी तरह का अनर्गल प्रचार-प्रसार शुरू किया | साहित्यकारों को ब्राह्मण विरोधी उपन्यास और इतिहास लिखने के लिये अंग्रेज अधिकारियों द्वारा धन दिया जाने लगा | धन के लालच और लोलुपता में इन लेखकों ने मुसलमानों को महान, हिंदू राजे रजवाड़ों को अय्याश और ब्राह्मणों को विदेशी घोषित करना लिखित रुप से शुरु कर दिया |

आज भी वही परंपरा चली आ रही है | चाहे वह किसी विधानसभा के अध्यक्ष हो, चाहे सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज हो, चाहे वह वरिष्ठ वैज्ञानिक हो या भारतीय प्रशासनिक सेवा का वरिष्ठ पदाधिकारी हो | इन सभी के द्वारा आज भी देश में यह वातावरण बनाने का प्रयास किया जा रहा है कि ब्राह्मण विदेशी हैं और उन्होंने भारतीय समाज का शोषण किया है | इसलिए इनको देश के किसी भी संसाधन पर कोई भी हिस्सा नहीं दिया जाना चाहिये और एकजुट होकर इन ब्राह्मणों को देश के बाहर खदेड़ देना चाहिये | लेकिन विचार कीजिये ऐसा कभी कोई भी आंदोलन ईसाइयों, वामपंथियों, या मुसलमानों के विरुद्ध क्यों नहीं खड़ा होता है |

सच्चाई यह है कि सनातन हिंदू संस्कृत में ब्राह्मण ही इस संस्कृति की रीड है जिस पर पूरी सनातन संस्कृति टिकी हुई है और यदि ब्राह्मणों को देश से खदेड़ दिया गया जाये या प्रभावहीन कर दिया गया जाये तो इन विदेशी सत्ताओं को भारत पर कब्ज़ा करने और भारतीय संसाधनों का प्रयोग करने में कोई रोकने वाला नहीं होगा | आज भारत की संपदा भारत के ज्ञान भारत का विज्ञान जो भी कुछ इन विदेशियों द्वारा लूटा जा रहा है उसमें अवरोध करने वाला बस सिर्फ और सिर्फ भारत का ब्राह्मण ही है |

इसलिए तरह-तरह के कपोलकल्पित इतिहास और मनगढ़ंत वैज्ञानिक तथ्यों का सहारा लेकर विश्व के सभी लुटेरे जो भारतीय संपदा को लूटना चाहते हैं, वह भारत में अपने प्रबल विरोधी ब्राह्मणों के विरुद्ध अपनी जेब का पैसे खर्च कर के अभियान चला रहे हैं | जो पूरी दुनिया में कभी एक रुपए किसी को नहीं देते वह आज ब्राह्मणों के विरुद्ध अभियान चलाने के लिए अरबों रुपए NGO के माध्यम से भारत में भेज रहे हैं | भारत के पथ भ्रष्ट तथाकथित राष्ट्रवादी बुद्धिजीवी उनका साथ दे रहे हैं | लेकिन हम राष्ट्र प्रेमियों को इस पर विचार करना होगा और शासन सत्ता में बैठे हुए राष्ट्र भक्त लोगों को इस षडयंत्र पर रोक लगानी होगी अन्यथा वह समय दूर नहीं जब भारत पुनः इन लुटेरों के अधीन हो जाएगा |

अपने बारे में कुण्डली परामर्श हेतु संपर्क करें !

योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

 -: सम्पर्क :-
-090 444 14408
-094 530 92553

Check Also

प्रकृति सभी समस्याओं का समाधान है : Yogesh Mishra

यदि प्रकृति को परिभाषित करना हो तो एक लाइन में कहा जा सकता है कि …