शरीर भगवान का दिया हुआ पंचतत्व से निर्मित एक ऐसा यंत्र है ! जिसे जीवनी ऊर्जा संचालित करती है ! यदि शरीर जीवनी ऊर्जा के अनुरूप अपना पोषण करेगी तो जीवनी ऊर्जा को कार्य करने में आसानी होगी ! यदि शरीर जीवनी ऊर्जा के विरुद्ध अपना आहार-विहार, विचार, संस्कार पोषित करेगा तो व्यक्ति को अनेकों प्रकार के कष्ट का सामना करना पड़ेगा ! ऐसी स्थिति में हम पूर्ण स्वस्थ कैसे रहें ! इस हेतु नीचे कुछ सत्य सनातन आयुर्वेदिक सिद्धांत बतलाने की चेष्टा कर रहा हूं ! आप इस पर विचार कीजिये और स्वस्थ जीवन यापन कीजिये ! ऐसी मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं !
1 – 90 प्रतिशत रोग केवल पेट से होते हैं ! पेट में कब्ज नहीं रहना चाहिये ! अन्यथा अनेकों रोग होंगे !
2 – कुल 13 अधारणीय वेग हैं ! जिन्हें कभी मत रोकिये !
3 -160 रोग केवल मांसाहार से होते है !
4 – 103 रोग भोजन के बाद जल पीने से होते हैं ! भोजन के 1 घंटे बाद ही जल पीना चाहिये !
5 – 80 रोग चाय पीने से होते हैं !
6 – 48 रोग ऐलुमिनियम के बर्तन या कुकर के खाने से होते हैं !
7 – शराब, कोल्डड्रिंक और चाय के सेवन से हृदय रोग होता है !
8 – अण्डा खाने से हृदयरोग, पथरी और गुर्दे खराब होते हैं !
9 – ठंडेजल (फ्रिज)और आइसक्रीम से बड़ी आंत सिकुड़ जाती है !
10 – मैगी, गुटका, शराब, सूअर का माँस, पिज्जा, बर्गर, बीड़ी, सिगरेट, पेप्सी, कोक से बड़ी आंत सड़ती है !
11 – भोजन के पश्चात् स्नान करने से पाचनशक्ति मन्द हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है !
12 – बाल रंगने वाले द्रव्यों(हेयरकलर) से आँखों को हानि (अंधापन भी) होती है !
13 – दूध(चाय) के साथ नमक (नमकीन पदार्थ) खाने से चर्म रोग हो जाता है !
14 – शैम्पू, कंडीशनर और विभिन्न प्रकार के तेलों से बाल पकने, झड़ने और दोमुहें होने लगते हैं !
15 – गर्म जल से स्नान से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है और शरीर कमजोर हो जाता है ! गर्म जल सिर पर डालने से आँखें कमजोर हो जाती हैं !
16 – टाई बांधने से आँखों और मस्तिष्क हो हानि पहुँचती है !
17 – खड़े होकर जल पीने से घुटनों(जोड़ों) में पीड़ा होती है !
18 – खड़े होकर मूत्रत्याग करने से रीढ़ की हड्डी को हानि होती है !
19 – भोजन पकाने के बाद उसमें नमक डालने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) बढ़ता है !
20 – जोर लगाकर छींकने से कानों को क्षति पहुँचती है !
21 – मुँह से साँस लेने पर आयु कम होती है !
22 – पुस्तक पर अधिक झुकने से फेफड़े खराब हो जाते हैं और क्षय(टीबी) होने का डर रहता है !
23 – चैत्र माह में नीम के पत्ते खाने से रक्त शुद्ध हो जाता है मलेरिया नहीं होता है !
24 – तुलसी के सेवन से मलेरिया नहीं होता है !
25 – मूली प्रतिदिन खाने से व्यक्ति अनेक रोगों से मुक्त रहता है !
26 – अनार आंव, संग्रहणी, पुरानी खांसी व हृदय रोगों के लिए सर्वश्रेश्ठ है !
27 – हृदयरोगी के लिए अर्जुनकी छाल, लौकी का रस, तुलसी, पुदीना, मौसमी,
सेंधा नमक, गुड़, चोकरयुक्त आटा, छिलकेयुक्त अनाज औषधियां हैं !
28 – भोजन के पश्चात् पान, गुड़ या सौंफ खाने से पाचन अच्छा होता है ! अपच नहीं होता है !
29 – अपक्व भोजन (जो आग पर न पकाया गया हो) से शरीर स्वस्थ रहता है और आयु दीर्घ होती है !
30 – मुलहठी चूसने से कफ बाहर आता है और आवाज मधुर होती है !
31 – जल सदैव ताजा(चापाकल, कुएंआदि का) पीना चाहिये, बोतलबंद (फ्रिज) पानी बासी और अनेक रोगों के कारण होते हैं !
32 – नीबू गंदे पानी के रोग (यकृत, टाइफाइड, दस्त, पेट के रोग) तथा हैजा से बचाता है !
33 – चोकर खाने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है ! इसलिए सदैव गेहूं मोटा ही पिसवाना चाहिये !
34 – फल, मीठा और घी या तेल से बने पदार्थ खाकर तुरन्त जल नहीं पीना चाहिये !
35 – भोजन पकने के 48 मिनट के अन्दर खा लेना चाहिये ! उसके पश्चात् उसकी पोषकता कम होने लगती है ! 12 घण्टे के बाद पशुओं के खाने लायक भी नहीं रहता है !
36 – मिट्टी के बर्तन में भोजन पकाने से पोषकता 100%, कांसे के बर्तन में 97%, पीतल के बर्तन में 93%, अल्युमिनियम के बर्तन और प्रेशर कुकर में 7 -13% ही बचते हैं !
37 – गेहूँ का आटा 15 दिनों पुराना और चना, ज्वार, बाजरा, मक्का का आटा 7 दिनों से अधिक पुराना नहीं प्रयोग करना चाहिये !
38 – 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को मैदा (बिस्कुट, ब्रेड , समोसा आदि) कभी भी नहीं खिलाना चाहिये !
39 – खाने के लिए सेंधा नमक सर्वश्रेष्ठ होता है उसके बाद काला नमक का स्थान आता है ! सफेद नमक जहर के समान होता है !
40 – जल जाने पर आलू का रस, हल्दी, शहद, घृतकुमारी में से कुछ भी लगाने पर जलन ठीक हो जाती है और फफोले नहीं पड़ते !
41 – सरसों, तिल,मूंगफली , सुरजमुखी या नारियल का कच्ची घानी का तेल और देशी घी ही खाना चाहिये है ! रिफाइंड तेल और वनस्पति घी (डालडा) जहर होता है !
42 – पैर के अंगूठे के नाखूनों को सरसों तेल से भिगोने से आँखों की खुजली लाली और जलन ठीक हो जाती है !
43 – खाने का चूना 70 रोगों को ठीक करता है !
44 – चोट, सूजन, दर्द, घाव, फोड़ा होने पर उस पर 5 -20 मिनट तक चुम्बक रखने से जल्दी ठीक होता है ! हड्डी टूटने पर चुम्बक का प्रयोग करने से आधे से भी कम समय में ठीक होती है !
45 – मीठे में मिश्री, गुड़, शहद, देशी(कच्ची) चीनी का प्रयोग करना चाहिये सफेद चीनी जहर होता है !
46 – कुत्ता काटने पर हल्दी लगाना चाहिये !
47 -बर्तन मिटटी के ही प्रयोग करने चाहिये !
48 – टूथपेस्ट और ब्रश के स्थान पर दातून और मंजन करना चाहिये दाँत मजबूत रहेंगे ! आँखों के रोग में दातून नहीं करना चाहिये !
49 – यदि सम्भव हो तो सूर्यास्त के पश्चात् न तो पढ़ें और लिखने का काम तो न ही करें तो अच्छा है !
50 – निरोग रहने के लिए अच्छी नींद और अच्छा(ताजा) भोजन अत्यन्त आवश्यक है !
51 – देर रात तक जागने से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति कमजोर हो जाती है ! भोजन का पाचन भी ठीक से नहीं हो पाता है आँखों के रोग भी होते हैं !
52 – प्रातः का भोजन राजकुमार के समान, दोपहर का राजा के समान और रात्रि का भोजन भिखारी के समान होता है यानी सुबह के समय खूब पेट भर कर खाना चाहिये, दोपहर को उससे कम खाना चाहिये और शाम को सबसे कम खाना चाहिये ! रात्रि का तो कोई भोजन ही नही होता !
53 – रात्रि जल्दी सोना चाहिये, सुबह सूर्य उदय से पहले अवश्य उठ जाना चाहिये ! सूर्योदय की लालिमा के दर्शन करने से असंख्य रोग शरीर के पास नहीं आते !
इसी तरह के अनेकों विस्तृत सिद्धांत हमारे वेदों से लेकर आयुर्वेदिक ग्रंथों में मौजूद हैं ! जिनका नियम से पालन करने पर हम पूर्ण स्वस्थ जीवन 100 वर्ष की आयु तक जी सकते हैं ऐसा हमें हमारे आयुर्वेदिक ग्रंथ बतलाते हैं !