भारतीय परंपरा में हर काम की शुरुआत में गणपति को पहले मनाया जाता है।
शिक्षा से लेकर नए वाहन तक, व्यापार से लेकर विवाह तक हर काम में पहले गणपति को ही आमंत्रित किया जाता है।
इस बात के पीछे दार्शनिक कारण है कि दरअसल गणपति बुद्धि और विवेक के देवता है।
बुद्धि से ही विवेक आता है और जब दोनों साथ हों तो कोई भी काम किया जाए उसमें सफलता मिलना निश्चित है।
हम जब गणपति को पूजते हैं तो यह आशीर्वाद मांगते हैं कि हमारी बुद्धि स्वस्थ्य रहे और हम सही वक्त पर सही निर्णय लेते रहे ताकि हमारा हर काम सफल हो।
इसके पीछे संदेश यही है कि आप जब भी कोई काम शुरू करें अपनी बुद्धि को स्थिर रखें,
हर निर्णय को भलीभांति सोच-समझने और उसके दूरगामी परिणामों को ध्यान में रखकर ही कार्य करे तब सफलता अवश्य मिलेगी। —