क्या आप जानते हैं कि आपका दिमाग ही विश्व सत्ता का नया हथियार है ! चलिये इस पर थोड़ा विस्तार से चर्चा करते हैं !
मनुष्य की उत्पत्ति के साथ ही मनुष्य की भावनाओं ने और महत्वाकांक्षाओं ने व्यक्ति को लड़ने के लिये बाध्य किया ! उसका परिणाम यह हुआ कि पहले व्यक्ति शरीर की ताकत से लड़ता था ! लेकिन जो लोग शरीर से कमजोर थे ! वह जब बार-बार युद्ध में हारने लगे ! तब उन्होंने शरीर से ज्यादा दिमाग पर विश्वास करना शुरू किया और उन्होंने दिमाग से ईट पत्थर के हथियार बनाकर अपने दुश्मनों को मारना शुरू किया !
कुछ समय बाद धातु की खोज हो गई और धातु के हथियार तीर, कमान, भाला, तलवार, कटार आदि युद्ध में प्रयोग किया जाने लगा लेकिन इन सभी हथियारों का प्रयोग करने के लिये व्यक्ति को दुश्मन के निकट जाना पड़ता था ! अतः बहुत तेजी से इस बात की खोज शुरू हुई कि दूर रहकर ही दुश्मन को कैसे नष्ट किया जा सकता है !
इसके लिये सबसे पहले चीन में बारूद की खोज हुई और फिर यूरोप ने उस बारूद का इस्तेमाल युद्धों में करना शुरू कर दिया ! परिणामत: बंदूक, तोप आदि से युद्ध लड़े जाने लगे ! फिर प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मन के वैज्ञानिकों ने और भी बहुत से घातक हथियारों की खोज की ! परमाणु बम, हाइड्रोजन बम आदि अनेकों तरह के विनाशकारी हथियारों का प्रयोग द्वितीय विश्वयुद्ध में किया गया !
किंतु द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति के बाद यह महसूस किया गया कि यदि अति विनाशकारी घातक हथियारों का प्रयोग करके हम कोई युद्ध जीत भी लेते हैं ! तो उस जीते हुये क्षेत्र के पुनर्निर्माण के लिये बहुत बड़ी तादाद में धन व्यय करना पड़ता है ! इसलिये कोई ऐसी तकनीक विकसित की जानी चाहिये कि जिससे हम युद्ध जीत भी जाये और संपत्ति का नुकसान भी न हो ! अतः जैविक और विषाणु हथियारों की खोज की जाने लगी ! जिन खोजों के क्रम में एक विषाणु कोरोना वायरस भी है ! जिससे आज विश्व लड़ रहा है !
लेकिन जैविक और विषाणु हथियारों के अलावा भी एक विशेष तरह का और हथियार प्रयोग किया जा रहा है ! वह है “सूचना तंत्र का हमला” अर्थात व्यक्ति के सूचना स्रोतों को कब्जा कर लेना ! जैसे हम किसी भी विषय में जब कोई विश्लेषण करते हैं तो हमारे दिमाग में सूचना पर आधारित विश्लेषण का आधार वह सूचनायें होती हैं ! जो हमने टीवी पर समाचार में सुना है या इंटरनेट पर पढ़ा है या अखबार समाचार पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ है !
अब विचार कीजिये कि टी.वी. अखबार, पत्र-पत्रिका और इंटरनेट यदि पर योजनाबद्ध तरीके से वही न्यूज़ प्रकाशित की जाये जो प्रकाशित करने वाला चाहता है ! तो निश्चित रूप से आपका के विश्लेषण का निष्कर्ष भी वही निकलेगा जो इस तरह की सूचनाओं को प्रकाशित करने वाला चाहता है !
मतलब दूसरे शब्दों में कहा जाये तो सूचना तंत्र के हमले के द्वारा आपकी विश्लेषणात्मक बुद्धि ही आपके सर्वनाश के लिये आपके विरुद्ध हथियार के तौर पर प्रयोग की जा रही है और आप अपने को अति विद्वान समझते हुये अपने ही सर्वनाश के लिये वह सारे कार्य कर रहे हैं ! जो आप का सर्वनाश चाहने वाले चाहते हैं !
यह भी एक व्यवस्थित तकनीकी का बौद्धिक युद्ध है ! जो व्यक्ति इस बौद्धिक युद्ध के षड्यंत्र को समझेगा वही इस युद्ध में बचेगा वरना पूरी दुनिया पर शासन की इच्छा रखने वाले विश्व सत्ता के लोग तो यह चाहते हैं कि मात्र 50 करोड़ व्यक्ति ही इस धरती पर रहे जो उनके लिये उपयोगी है ! शेष 750 करोड़ व्यक्तियों को इस धरती से विदा लेना होगा !
इस बौद्धिक युद्ध के षड्यंत्र को पहचानिये यही एक विश्व सत्ता के षड्यंत्र से बचने का रास्ता है ! अन्यथा बौद्धिक गुलाम बनने या मरने के लिये तैयार रहिये !!