यह बहुत गंभीर बात है की किन विषयों से हिंदुत्व खतरे में आ जाता है और कब हिंदुत्व को खतरा खत्म हो जाता है, इसे आज तक न तो किसी धर्म ग्रंथ में परिभाषित किया गया और न ही किसी विद्वान द्वारा इसे परिभाषित करने का प्रयास किया गया !
साथ ही यह एक गंभीर चिंतन का विषय है कि आज सत्य, सनातन, अनादि हिंदू धर्म बस राम और कृष्ण की जीवन लीलाओं तक ही सिमट कर सीमित क्यों रह गया है ?
जबकि हम सभी जानते हैं कि चारों वेदों, 6 दर्शन और 108 उपनिषद में कहीं भी राम और कृष्ण का वर्णन नहीं मिलता है !
राम के समकालीन लेखक महर्षि वाल्मीकि ने राम के मेधावी व्यक्तित्व के राजा होने के कारण उनके जीवन चरित्र को रामायण के रूप में प्रचारित किया ! जबकि राम के ही कुल में 100 से अधिक मेधावी, विद्वान, तपस्वी और पुरुषार्थी राजा हुये हैं !
किंतु उनके विषय में बहुत ही कम जानकारी दी गई क्योंकि लेखक का पूरा ध्यान राम के व्यक्तित्व लेखन पर ही था ! जबकि वह लोग राम से भी अधिक योग्य और अपने प्रजा के प्रति समर्पित थे !
इसी तरह कृष्ण के समकालीन लेखक वेदव्यास ने कृष्ण को उनके राजनैतिक प्रभाव के कारण मुख्य पात्र के रूप में चुना ! जबकि सभी जानते हैं कि कृष्ण अवसरवादी, कुटिल, सिद्धांत विहीन और क्रूर शासक थे !
उन्होंने अपना राजनीतिक प्रभाव बढ़ाने के लिए अपने निजी देखरेख में दर्जनों योग्य ब्राह्मणों की हत्या करवाई थी और उनके समय में अनुशासनहीनता का यह आलम था कि उनके ही वंश के निरंकुश परिवार वाले शराब के नशे में उनके ही सामने आपस में ही लड़ कर मर गए थे !
किंतु वेदव्यास में अपने लिखनी कौशल के द्वारा कृष्ण के हर विकृति पर शाप और आशीर्वाद का कपोल कल्पित प्रपंच लिखकर उन्हें भगवान घोषित कर दिया !
और कृष्ण को भगवान घोषित करने के लिए अपने ही बेटे के माध्यम से “भागवत कथा” का चलन शुरू किया ! जिसे बाद के कथावाचकों ने ढोलक मजीरा पीटकर अपनी रोजी रोटी का आधार बना लिया !
जिस भागवत कथा में अकबर के समय से एक कपोल कल्पित नायिका राधा का समावेश हुआ और आज धार्मिक फूहड़ता के नाम पर खुलेआम मंचों पर अश्लील रासलीला की जा रही है ! जिसका विरोध कोई भी तथाकथित हिंदू धर्म रक्षक नहीं करता है !
अब विचार का प्रश्न यह है कि क्या सत्य सनातन हिंदू धर्म मात्र दो राजा राम और कृष्ण के जीवन लीला तक ही सीमित है ! अगर ऐसा सत्य मान भी लिया जाये तो क्या राम के जन्म के पहले हिंदू धर्म का अनुपालन करने वाले लोग नहीं थे !
और यदि राम और कृष्ण के पहले भी हिंदू धर्म का अनुपालन करने वाले लोग थे, तो फिर मात्र राम और कृष्ण पर टिप्पणी करने मात्र से हिंदू धर्म खतरे में कैसे आ सकता है !
हिंदू धर्म को खतरे में बतलाने वाले कभी लाइसेंस प्राप्त पशु हत्या गृह को हिंदू धर्म के पतन का कारण क्यों नहीं बतलाते हैं ! जहां पर नित्य हजारों की तादाद में गोवंश काटा जाता है ! जो निर्दोष गौवंश हिंदू धर्म की प्रतीक ही नहीं बल्कि हमारी जीवनी ऊर्जा का आधार भी हैं ! ऐसी गायों के कटने पर हिंदुत्व खतरे में क्यों नहीं आता है ?
इसी तरह भूख प्यास, ठंड, गर्मी से नगर निगम के कांजी हाउस में तड़प तड़प कर मरते गोवंश को देखकर किसी धर्म धुरंधर का हिंदू धर्म खतरे में क्यों नहीं आता है !
आज हिंदू धर्म स्थल पर जो अपराधिक प्रवृति के पंडों ने कब्जा कर रखा है उस विषय पर कोई हिंदू धर्म रक्षक चर्चा क्यों नहीं करता है ? जहां पर भक्तों का अपमान ही नहीं बल्कि पूरी तरह से खुलेआम शोषण किया जाता है !
मंदिर के परिसर में शराब पीकर देव प्रतिमाओं के सामानों की ही चोरी नहीं बल्कि देव प्रतिमाओं की ही चोरी कर ली जाती है इस विषय पर हिंदू धर्म रक्षक चुप्पी क्यों साध जाते हैं !
सार्वजनिक स्थलों पर एक मूर्ति रख कर धीरे धीरे करोड़ों की सार्वजनिक जमीन कब्जा कर लिया जाता है और अयोग्य, शास्त्र विहीन, गैर ब्राह्मण उन कब्जा किए हुए स्थलों पर बाकायदे दुकाने बनवा कर करोड़ों की संपत्ति भगवान के नाम पर समाज से ठग ली जाती है ! इस विषय पर धर्म रक्षक मौन क्यों हो जाते हैं !
इसी तरह के सैकड़ों उदाहरण दिये जा सकते हैं ! जिस विषय पर तथाकथित सनातन धर्म रक्षक मौन होकर अपने दो गले होने का सबूत देते हैं ! क्योंकि यह तथाकथित धर्म रक्षक, धर्म की रक्षा या तो अपने राजनीतिक लाभ के लिए करते हैं या फिर धर्म रक्षक का आडंबर ओढ़ कर समाज का भावनात्मक शोषण करने के ;लिये करते हैं !
ऐसे दोहरे चरित्र के धर्म रक्षकों से न तो राम और कृष्ण ही बच पाएंगे और न ही सत्य सनातन हिंदू धर्म ही बच पाएगा ! इस पर हिंदुओं को विचार करना चाहिए !!