देव ऊर्जा का केन्द्र शंगरीला घाटी हिमालय में क्यों नहीं दिखती है ! : Yogesh Mishra

कहा जाता है कि यह लेह तथा तिब्बत के बीच में है ! जैसे की बरमूडा ट्राएंगल में कोई वस्तु अगर चली जाती है तो वह दुबारा लौट के नहीं आ सकती है ! ठीक वैसे ही शांगरीला घाटी के बारे में कहा जाता है ! कि इसे किसी भी आधुनिक यंत्रों से नहीं देखा जा सकता है ! इसीलिये इसे रहस्यमई घाटी भी कहते हैं !

कहा जाता है कि यह घाटी प्रकृति के चौथे आयाम अर्थात समय से प्रभावित होने के कारण रहस्यमई बनी हुई है ! इस घाटी के बारे में और जानने के लिये आपको काल विज्ञान के रहस्य को पढ़ना पड़ेगा ! जो कि आज भी तिब्बत के तवांग मठ के पुस्तकालय में रखी हुई है !

इस पुस्तक में लिखा हुआ है कि यह त्रीआयामी दुनिया एक निश्चित स्थान, समय तथा तरीके से काम करती है ! वहीं शांगरी ला घाटी में ब्लैक होल की तरह समय नगण्य है ! इसका मतलब यह है कि अगर आप वहां जाकर रहते हैं तो आपकी आयु बहुत ही धीमी गति से बढ़ेगी ! आप उसी उम्र में जितने साल चाहें जी सकते हैं ! शांगरीला घाटी में प्राण, मन और विचारों की शक्ति एक स्तर तक बढ़ जाती है ! इसे हम आध्यात्मिक शक्ति का एकमात्र केंद्र कह सकते हैं ! यह भी कहा जाता है कि शांगरीला घाटी दूसरे ब्रह्माण्ड में जाने का रास्ता भी है !

कहा जाता है कि कोई भी आम मनुष्य शांगरीला घाटी को देख नहीं सकता है ! क्योंकि देखने की प्रक्रिया के लिये प्रकाश का वस्तु से टकरा कर लौटना आवश्यक है ! किन्तु शांगरीला घाटी में प्रकाश टकरा कर लौटता नहीं है ! अत: इसे कोई नहीं देख पता है ! जब तक कि वहां के रहने वाले सिद्ध व्यक्ति न चाहें ! क्योंकि उस समय प्रकाश एक आयाम से दूसरे आयाम में चला जाता है इसलिये कुछ भी दिखाई नहीं देता है ! इस तरह के आयाम परिवर्तन के यौगिक क्रियाओं का वर्णन पतंजल योग सूत्र में मिलते हैं !

दिसंबर 1939 में चीन के दक्षिण में स्थित नानकिंग घाटी में चीन जापान युद्ध के समय चीन के 3000 सैनिक अचानक गायब हो गये थे ! आश्चर्य का विषय यह था कि उनके हथियार उसी जगह पर पड़े मिले ! जहां पर सैनिकों को अंतिम बार देखा गया था ! यह आज भी रहस्य है कि वह सैनिक कहाँ गये !

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योगेश कुमार मिश्र 

ज्योतिषरत्न,इतिहासकार,संवैधानिक शोधकर्ता

एंव अधिवक्ता ( हाईकोर्ट)

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