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पूर्ण साधक के लिये सभी धर्म ग्रंथ व्यर्थ हैं : Yogesh Mishra

धर्म ग्रंथ दो तरह के होते हैं ! एक अनुभूति धर्म ग्रंथ और दूसरा ठगी धर्म ग्रंथ ! अनुभूति धर्म ग्रंथ से तात्पर्य उस धर्म ग्रंथों से है, जिनको हम से अधिक विकसित चेतना के स्तर के व्यक्तियों द्वारा ईश्वर की व्यवस्था को अनुभूत करके लिखा गया ! और ठगी …

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आखिर हिंदू धर्म प्रतीक नाले तक कैसे पहुंचा : Yogesh Mishra

हिंदू सदैव से राजसत्ता का चाटुकार और धर्म के प्रति दोगला रहा है ! यही वजह है कि हिंदू धर्म के सर्वश्रेष्ठ पीठाधीश्वर भी हिंदुओं को संगठित करने के स्थान पर चंदा बटोरने के लिए शहर शहर चांदी की खड़ाऊ लेकर घूमते हैं ! आज हिंदुत्व के नाम पर बस …

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वेदों में पृथ्वी को मां क्यों कहा गया है : Yogesh Mishra

वैज्ञानिक विश्लेषण आज जो पृथ्वी पर जीवन है ! वह पृथ्वी के सहयोग से है ! अगर जीवों के साथ पृथ्वी का सहयोग न होता तो शायद अन्य ग्रहों की तरह यह पृथ्वी भी वीरान ग्रह के रूप में होती ! इसीलिए वेदों में पृथ्वी को मां का दर्जा दिया …

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भगवान के काले और सफेद होने का रहस्य : Yogesh Mishra

भगवान शिव के संदर्भ में कहा जाता है ! कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्। अर्थात भगवान शिव जो कपूर के समान सफ़ेद हैं ! वही भगवान विष्णु के लिये कहा जाता है ! शांताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशम् | विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम् ! अर्थात भगवान विष्णु जो मेघ के समान काले …

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ब्राह्मण तो ब्राह्मण ही है : Yogesh Mishra

ब्राह्मण अनादि काल से अपने धर्म और राष्ट्र का रक्षक रहा है ! जब भी कभी देश पर कोई बड़ी विपत्ति आयी है तब ब्राह्मण ही था ! जिसने आकर देश को संभाला है ! फिर वह चाहे पुष्यमित्र शुंग हो या चाणक्य ! तिलक हों या गोडसे ! विश्व …

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अग्नि आक्रान्ता वैष्णव की खोज है : Yogesh Mishra

वैष्णव धर्म ग्रंथों में अग्नि को मानव इतिहास की सबसे बड़ी खोज बतलाया गया है ! जबकि शैव जीवन शैली में अग्नि का कोई महत्व नहीं है ! क्योंकि वह प्रकृति के सहयोगी और उपासक हैं ! मानव में मात्र आक्रान्ता मनुष्य ही अग्नि द्वारा काम लेते हैं ! शेष …

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लूट ही संपन्नता का रहस्य है : Yogesh Mishra

प्रकृति ने समाज के हर व्यक्ति के लिए हर वस्तु सहज ही उपलब्ध करवाई है ! जिसे दूसरे शब्दों में कहा जाये कि प्रकृति के द्वारा उपलब्ध हर वस्तु पर हर व्यक्ति का समान अधिकार है ! किंतु समाज को चलाने वाले लोगों ने प्रकृति द्वारा सहज उपलब्ध करवाई गई …

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मनुष्य सामाजिक प्राणी नहीं है : Yogesh Mishra

पश्चिम जगत की हजारों अर्थहीन, अविकसित, भ्रमक, आम अवधारणाओं की तरह यह भी एक भ्रांति है कि मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ! जब की सत्यता यह है कि मनुष्य भावनात्मक प्राणी है ! वह तो समाज से संबंध बस सिर्फ समाज का शोषण करके अपनी निजी संपन्नता को बनाने …

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भारत के दो महापुरुष : Yogesh Mishra

मेरी दृष्टि में भारत के गौरवशाली इतिहास में महापुरुष तो दो ही हुये हैं ! एक स्वामी महावीर जी और दूसरे गुरु नानक जी महाराज ! दोनों के ही संदेश मानवता के लिए अद्भुत संदेश हैं ! यदि समाज मात्र इन 2 महापुरुषों के संदेशों को आत्मसात कर ले तो …

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किस व्यक्ति के लिये भगवान अनुपयोगी है : Yogesh Mishra

भारत में वैष्णव प्रपंच के दौरान भक्ति काल में फैलाये गये भ्रम के तहत समाज में यह अवधारणा विकसित हुई कि भगवान की पूजा करने से मनुष्य अपने जीवन में सब कुछ प्राप्त कर लेता है ! जबकि सनातन धर्म के ज्ञानमार्गी विचारक इस तथ्य को सिरे से अस्वीकार करते …

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