सामान्यतया यह कहा जाता है कि अधिवक्ता और राजनीतिज्ञ सबसे अधिक झूठ बोलते हैं ! किंतु मैंने व्यवहार में देखा है कि अपना धंधा चलाने के लिए सबसे अधिक झूठ बोलने का कार्य भगवान के नाम पर कथावाचक करते हैं !
यह इनकी मजबूरी भी है क्योंकि यह लोग परजीवी होते हैं ! समाज का भावनात्मक शोषण ही इनके जीविकोपार्जन का आधार होता है !
ऐसे लोग हमेशा भावुक और अध्ययन हीन भक्तों के बाहुल्य क्षेत्र को अपने व्यवसाय का केंद्र बनाते हैं ! जहां पर मनगढ़ंत कपोल कल्पित कहानियां सुना कर समाज का भावनात्मक मनोरंजन करवाते हुये उनका शोषण किया जाना संभव हो सके !
क्योंकि यह लोग जानते हैं कि भगवान की प्रशंसा में बोले गये झूठ पर कभी कोई भक्त प्रमाण नहीं मांगता है !
यही कारण है कि आज भगवान राम पर 300 से अधिक रामायण लिखी जा चुकी हैं, जिन की आंतरिक कथाएं एक दूसरे से बिल्कुल अलग हैं !
और कृष्ण की श्रीमद् भगवत गीता पर 7000 से अधिक व्याख्याएं लिखी जा चुकी हैं ! भले ही वह श्रीमद् भगवत गीता असली ही न हो ! इसपर मैने पूर्व में कई लेख लिखे हैं !
तथाकथित आध्यात्मिक झूठ बोलने के लिए बस सिर्फ श्रीमद् भगवत गीता के नाम पर कृष्ण का नाम होना ही पर्याप्त है !
यही भगवान के नाम पर बोले जाने वाले इसी झूठ और प्रपंच ने आज सत्य सनातन हिंदू धर्म का सर्वनाश कर रखा है !
और दुर्भाग्य की बात यह है कि इन कथावाचकों के फैलाए हुए आध्यात्मिक जहर के बाद जिस क्षेत्र में हिंदू निर्बल और कमजोर हो जाता है, वहां पर यह कथा वाचक कभी भी कथा करने नहीं जाते हैं ! फिर चाहे वह काश्मीर हो या केरल !
क्योंकि यह कथावाचक जानते हैं कि वह धर्म के नाम पर जो भी बतला रहे हैं, वह मंदबुद्धि का अध्ययन और तर्कहीन भक्त ही सुन सकता है ! उनके इस प्रपंच में न तो पीड़ित हिंदू की कोई रुचि है और न ही विधर्मियों की !
इसीलिए मैं इन कथावाचकों को परजीवी और सत्य सनातन हिंदू धर्म का सर्वनाशक मानता हूँ !!