प्रायः लोग सही समय पर सही निर्णय न लेने के कारण अपने आप को एक तनावपूर्ण जीवन में ढकेल लेते हैं और फिर उस तनाव से निकलने के लिए जीवन भर अतिरिक्त ऊर्जा लगाते रहते हैं ! जिसे वह लोग संघर्ष कहते हैं ! जबकि इसे आलस्य या गलत समय लिये गये निर्णय का परिणाम कहना चाहिये, संघर्ष नहीं !
ठीक इसी तरह जब कोई व्यक्ति अध्ययन और अनुभव के अभाव में कोई कार्य आरंभ करता है और कार्य की दिशा सही न होने के कारण अपने लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर पाता है ! तब वह व्यक्ति अपनी इस असफलता के लिए किए गए प्रयास को संघर्ष कहता है ! जबकि यह भी संघर्ष नहीं बल्कि अध्ययन और अनुभव की कमी है !
इसी तरह संसाधन का आंकलन किये बिना सामर्थ से अधिक कार्य की जिम्मेदारी उठा लेना और विवेक हीन तरीके से उस जिम्मेदारी को पूरा करने के लिये रातों दिन मेहनत करते रहने को भी कुछ लोग संघर्ष कहते हैं, जबकि यह भी संघर्ष नहीं बल्कि आपके द्वारा अपने सामर्थ का सही आंकलन न करने के कारण उत्पन्न परिस्थिति है !
एक और तरह का संघर्ष देखा जाता है कि किसी भी नये कार्य को करने में और अपने कार्य को समाज को बतलाने में एक निश्चित समय लगता है ! जब समाज आपके कार्य को समझने लगता है, तब उसे स्वीकृति प्रदान करता है !
अत: कार्य के आरंभ करने से लेकर समाज से स्वीकृति प्राप्त करने के बीच के समय को प्रायः लोग संघर्ष काल कहते हैं ! लेकिन यह संघर्ष नहीं बल्कि अपने मनोवृति और क्षमता का समाज को परिचय करवाने का प्रक्रियात्मक समय है !
इस तरह और भी कई तरह के संघर्ष की चर्चा समाज में होती रहती है ! लेकिन गहराई से जब आप विश्लेषण करेंगे तो यह पाएंगे कि कुछ संघर्ष सामाजिक व्यवस्था के कारण प्रक्रिया के तहत सभी को करने पड़ते हैं और कुछ संघर्ष हम अपने अनुभव और अज्ञानता के आभाव कारण करते हैं !
इसीलिए मैं कहता हूं कि संघर्ष एक भ्रम है ! जो संघर्ष समाज की सामान्य प्रक्रिया के तहत करना पड़ता है ! वह सभी को करना पड़ता है ! वह संघर्ष नहीं बल्कि अपने को स्थापित करने का काल है ! यह समय सभी को एक प्रक्रिया के तहत देना पड़ता है !
और जो संघर्ष अपने गलत निर्णय और अनुभव हीनता के कारण करने पड़ते हैं ! वह आपके अपरिपक्व होने के कारण उत्पन्न हुआ संघर्ष है ! जिसके लिए किसी भी योग्य व्यक्ति से मार्गदर्शन प्राप्त कर उसके अनुभव का लाभ उठाकर आप इस संघर्ष काल को टाल सकते हैं !
इसलिए संघर्ष का रोना मत रोइए ! संघर्ष का रोना एक आत्मविश्वास को कमजोर करने वाला और भ्रम पैदा करने वाला विधवा विलाप है !
सदैव सकारात्मक रहते हुए किसी योग्य व्यक्ति से मार्गदर्शन लेकर अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहिये क्योंकि लक्ष्य को प्राप्त करने के पहले की यात्रा सभी को करनी पड़ती है ! यही सफलता प्राप्त करने की प्रक्रिया है !!