Tag Archives: shaivism and vaishnavism conflict

जानिये स्तम्भन का तंत्र विज्ञान : Yogesh Mishra

तंत्र की प्रयोगशाला हमारा शरीर है ! तंत्र का उद्देश्य है शरीर में विद्यमान शक्ति केंद्रों को जागृत कर विशिष्ट कार्यों को सिद्ध करना ! तंत्र अभ्यास और व्यवहारिक ज्ञान का शास्त्र है और तंत्र शब्द अपने आप में महत्वपूर्ण और गौरवमय है ! तंत्र शब्द ‘तन’ इस मूल धातु …

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सामूहिक स्तम्भन तंत्र कभी राजनीति का अंश रहा है !! :Yogesh Mishra

स्तम्भन का अर्थ है किसी भी वस्तु या व्यक्ति को किसी विशेष कार्य या उद्देश्य के लिये रोक देना या किसी को मानसिक रूप से बंधन में बांध देना ! तन्त्र में स्तम्भन क्रिया समझने से पहले हमें सृष्टि में स्तम्भन किस प्रकार से विद्यमान है ! इसको समझना होगा …

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रक्त वर्णीय चन्द्रमा महाविनाश का सूचक है : Yogesh Mishra

आज कल बार बार चन्द्रमा रक्त वर्णीय हो रहा है ! इस साल जून और जुलाई के महीने में करीब 30 दिन के अंदर तीन बड़े ग्रहण लगने जा रहे हैं ! ऐसी ही घटना महाभारत युद्ध के पहले भी घटी थी ! मेदिनी ज्योतिष के अनुसार में ग्रहण के …

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अपने इष्टदेव को कैसे पहचानें ? : Yogesh Mishra

वैसे तो इष्टदेव को गुरु ही पहचान सकता है क्योकि परब्रह्म परमात्मा की इस सृष्टि प्रपंच में विभिन्न स्वभाव के प्राणियों का निवास है ! इसलिये विभिन्न स्वभाव वाले प्राणियों की विभिन्न रुचियों के अनुसार भगवान भी विभिन्न रूप में प्रकट होते हैं ! किसी का चित्त भगवान के भोलेशंकर …

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राजनीति में तंत्र का प्रयोग कैसे होता है : Yogesh Mishra

भगवान शिव ने 64 तंत्रों की रचना की है ! जिसका परम ज्ञानता रावण था ! तंत्र असीमित है ! इसका वर्णन अग्नि पुराण में भी मिलता है ! वैसे तो वशीकरण एक असामान्य विद्या है परंतु यह भी एक विज्ञान ही है। वशीकरण विद्या अति प्राचीन विद्या है और …

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क्या है सीता के त्याग का रहस्य ? : Yogesh Mishra

प्राय: भगवान श्रीराम पर यह आरोप लगाया जाता है कि उन्होंने मात्र एक धोबी के कहने पर अपनी पत्नी श्रीमती सीता मैया का गर्भाकाल में परित्याग कर दिया था ! किंतु मैं आप सभी को यह बताना चाहता हूं कि बौद्ध रामायण और जैन रामायण के धर्म आचार्यों द्वारा लिखी …

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जानिये ग्रहों का युगों पर क्या प्रभाव पड़ता है : Yogesh Mishra

वैष्णव ऐसा मानते हैं कि धर्म की संस्थापना के लिये श्री विष्णु हर महायुग में दश अवतार लेते हैं ! जिनमें अन्तिम तो महायुग के अन्त में आते हैं जिनके लिये कालखण्ड बचता ही नहीं ! अतः नौ अवतार ही महायुग को बराबर भागों में बाँटते हैं ! 4 भाग …

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सनातन ज्ञान ही सभी संस्कृतियों का मूल है ! : Yogesh Mishra

कुछ लोग हिन्दू संस्कृति की शुरुआत को मात्र सिंधु घाटी की सभ्यता से जोड़कर देखते हैं ! जो गलत है ! वास्तव में संस्कृत और कई प्राचीन भाषाओं के उपलब्ध इतिहास के तथ्यों के अनुसार प्राचीन भारत में सनातन धर्म के इतिहास की शुरुआत ईसा से लगभग 13 हजार पूर्व …

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प्रकृति को समझने वाला व्यक्ति ही सर्वज्ञानी है : Yogesh Mishra

सनातन ग्रंथों में अनंत ज्ञान छिपा है ! सनातन ज्ञान के 1-1 ग्रंथों पर यदि अध्ययन किया जाये तो व्यक्ति का संपूर्ण जीवन ही छोटा पड़ सकता है ! लेकिन दुर्भाग्य है कि हमने सनातन ज्ञान के मार्ग को छोड़कर पैशाची संस्कृति के मार्ग को अपना लिया है और आज …

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हमारे पुराण रहस्य पूर्ण एवं ज्ञानवर्धक ग्रन्थ हैं ! : Yogesh Mishra

सामान्यतया ज्ञान मार्गी खासतौर पर आर्य समाजी पुराणों के महत्त्व का वर्णन करने की जगह उसकी सदैव आलोचना ही करते रहते हैं ! मैं यह मानता हूं कि अंग्रेजों के शासन काल में एक षड्यंत्र के तहत बहुत से पुराणों में बहुत से स्थानों पर बहुत कुछ इन षडयंत्रकारियों द्वारा …

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